राजस्थान में कांग्रेस एक बार फिर सरकार बनाने जा रही है. राजस्थान में कई सालों से आ रही परिपाटी के मुताबिक ही इस बार भी जनता ने जनादेश दिया है. पांच सालों में यहां सरकार बदल जाती है, इस बार का भी परिणाम कुछ वैसा ही रहा. कांग्रेस को जीत मिल गई है, लेकिन, इस जीत के बाद कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर दौड़ काफी तेज हो गई है.
मुख्यमंत्री पद की रेस में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के संगठन महासचिव अशोक गहलोत सबसे आगे हैं. इन दोनों नेताओं में चुनाव से पहले से ही अंदरूनी खींचतान चल रही है, क्योंकि दोनों ही नेता राज्य के सबसे बड़े पद पर अपनी दावेदारी कर रहे हैं.
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पहले बात सचिन पायलट की करें तो उनके पाले में उनकी उम्र जाती है. क्योंकि सचिन पायलट 41 साल के युवा नेता हैं. दो बार सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा यूपीए सरकार के कार्यकाल में सचिन पायलट केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं. सचिन पायलट कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश पायलट के बेटे हैं, जिनके साथ पिता की राजनीतिक विरासत भी जुड़ी है. सचिन पायलट राजस्थान के ताकतवर गुर्जर समुदाय से आते हैं.
राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने इस युवा नेता को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ एक बड़े चेहरे के तौर पर सामने किया था. सचिन पायलट ने बतौर कांग्रेस अध्यक्ष वसुंधरा सरकार के खिलाफ झंडा बुलंद किया और संगठन में नई जान फूंककर लोकसभा चुनाव 2014 में राजस्थान से एक भी सीट नहीं जीतने वाली कांग्रेस के संगठन को वापस पटरी पर ला दिया.
इस बीच मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ नाराजगी भी बढ़ती गई और लोगों की इस नाराजगी का फायदा उठाकर सचिन पायलट ने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया. इसका असर भी दिखा जब अजमेर और अलवर लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को एकतरफा जीत मिली. पायलट राहुल गांधी की टीम का हिस्सा माने जाते हैं.
दूसरी तरफ, कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दूसरे दावेदार अशोक गहलोत हैं. 67 साल के गहलोत इससे पहले दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस वक्त वो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हैं. गहलोत महासचिव के तौर पर संगठन का काम संभाल रहे हैं. कांग्रेस में जनार्दन द्विवेदी के महासचिव पद से हटने के बाद बाद अशोक गहलोत ने यह जिम्मेदारी संभाल रखी है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की टीम के अहम हिस्सा बन चुके अनुभवी अशोक गहलोत पांच बार लोक सभा सदस्य रहे गहलोत जोधपुर में सरदारपुर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं. वो केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं. संगठन में काम को लेकर उन्हें जाना जाता है. 2017 में गुजरात चुनाव के लिए भी उन्हें इंचार्ज बनाया गया था. मुख्यमंत्री के तौर पर उनके पास काम का अनुभव है. परखे-आजमाए उम्मीदवार हैं. ऐसे में गहलोत को नजरअंदाज करना बीजेपी के लिए इतना आसान नहीं दिख रहा.
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वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडे भी मानते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज करना आसान नहीं दिख रहा. संजीव पांडे फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कहते हैं, ‘अगर राहुल गांधी सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहते भी हैं तो भी वो अभी इस स्थिति में नहीं हैं कि वरिष्ठ नेताओं की बातों को नजरअंदाज कर दें. उन्हें सबकी राय माननी होगी. अशोक गहलोत के अनुभव को इग्नोर करना आसान नहीं होगा.’
फिलहाल राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है. चुनाव परिणाम आने के अगले ही दिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है लेकिन, सबको पता है विधायक दल की बैठक के बाद भी राजस्थान में सिंहासन पर वही बैठेगा जिसके नाम पर कांग्रेस आलाकमान मुहर लगाएगा.
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