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राजस्थान विधानसभा अपशकुनी है, यहां कभी भी एक साथ नहीं रहे 200 विधायक

राजस्थान विधानसभा को लेकर अब तक कहा जाता रहा है कि इस भवन में प्रेत आत्माओं का साया है और इसी वजह से कभी भी 200 विधायक एक साथ सदन में नहीं रहे

Updated On: Nov 29, 2018 08:35 PM IST

FP Staff

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राजस्थान विधानसभा अपशकुनी है, यहां कभी भी एक साथ नहीं रहे 200 विधायक

राजस्थान विधानसभा चुनाव से ठीक 7 दिन पहले अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट से बीएसपी उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह की मौत के बाद एक बार फिर विधानसभा भवन के अपशकुनी होने की चर्चाएं तेज हो गई हैं. राजस्थान विधानसभा को लेकर अब तक कहा जाता रहा है कि इस भवन में प्रेत आत्माओं का साया है और इसी वजह से कभी भी 200 विधायक एक साथ सदन में नहीं रहे. इसी साल सरकारी मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर ने इस मसले पर कहा था कि विधानसभा अपशकुनी है, विधानसभा में आत्माएं घूम रही हैं.

न्यूज़ 18 के अनुसार इतना ही नहीं सरकार की ओर से इस अपशकुन से छुटकारा पाने को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अनुष्ठान करवाने के लिए कहा जा चुका है. इस संबंध में जब मुख्य सचेतक गुर्जर से पूछा गया तो उनका कहना था कि विधानसभा में कभी भी 200 विधायक एक साथ नहीं रहे, कुछ न कुछ होता रहता है, यह सब आत्माओं की वजह से है. विधानसभा श्मशान और कब्रिस्तान की जमीन पर बनी है, बिना विधि-विधान के विधानसभा भवन चालू हुआ. जिसकी वजह से कुछ न कुछ होता रहता है. इसी वजह से कभी भी 200 विधायक एक साथ यहां नहीं रहे.

पिछले साल अगस्त में मांडलगढ़ से बीजेपी विधायक कीर्ति कुमारी का स्वाइन फ्लू से निधन हुआ, इसके सात माह बाद ही बीजेपी विधायक कल्याण सिंह चौहान का कैंसर की वजह से निधन हो गया. यह संयोग है लेकिन बीजेपी विधायक इससे खौफ में जरूर है.

कभी पूरा नहीं हुआ 200 का आंकड़ा

राजस्थान विधानसभा का नया भवन 1999 में बनकर तैयार हुआ, लेकिन विधानसभा भवन के निर्माण के दौरान ही करीब आधा दर्जन मजदूरों की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई. साल 2000 में इसमें नियमित बैठकें शुरू हो गईं. विधानसभा के नए भवन में शिफ्ट होने के बाद एक संयोग जुड़ गया कि किसी न किसी कारण से पूरे 200 विधायक कभी एक साथ नहीं बैठे. या तो विधायक के लोकसभा चुनाव जीतकर सासंद बन जाने से सीट खाली हुई या किसी विधायक की मौत का कारण रहा कि 200 का आंकड़ा कभी पूरा ही नहीं हुआ.

2000 की कांग्रेस सरकार में सागवाड़ा विधायक का निधन

साल 2000 में गहलोत सरकार में मंत्री और सागवाड़ा से विधायक भीखा भाई भील का निधन हुआ, इसी साल लूणकरणसर से विधायक भीमसैन चौधरी का निधन हुआ.

2003 की बीजेपी सरकार में लूणी और डीग विधायक का निधन

2003 से 2008 के बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भी यह संयोग जारी रहा. 2004 में लूणी से कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री रामसिंह बिश्नोई का निधन हुआ. 2005 में डीग से बीजेपी विधायक अरुण सिंह का निधन हो गया और इन दोनों जगह उपचुनाव हुआ.

भंवरीदेवी हत्याकांड के चलते दो विधायक जेल पहुंचे

साल 2008 से 2013 में 13 वीं विधानसभा के दौरान किसी मौजूदा विधायक का निधन नहीं हुआ लेकिन चार विधायकों के जेल जाने से सदन में विधायकों की संख्या फिर कम हो हुई. दिसंबर 2011 में मंत्री रहते हुए महिपाल मदेरणा और विधायक मलखान बिश्नोई भवरी देवी हत्या प्रकरण में जेल चले गए, दारिया एनकाउंटर मामले में बीजेपी विधायक राजेंद्र राठौड़ भी कुछ समय जेल में रहे और बाद में दुष्कर्म मामले में 2013 में तत्कालीन मंत्री बाबूलाल नागर को जेल हो गई.

पिछले साल मांडलगढ़ विधायक का निधन, धौलपुर विधायक को जेल 14वीं विधानसभा में भी यह संयोग जारी रहा, धौलपुर से बसपा विधायक बीएल कुशवाह चुनाव जीतने के तत्काल बाद हत्या के मामले में जेल चले गए, बाद में कुशवाह को सजा होने से उनकी सदस्यता चली गई. धौलपुर में अप्रैल 2017 में उपचुनाव में शोभारानी कुशवाह जीती, अगस्त में मांडलगढ़ विधायक कीर्ति कुमारी का निधन हो गया, मांडलगढ उपचुनाव में कांग्रेस के विवकेक धाकड़ जीते, उपचुनाव के महीने भर से पहले ही नाथद्वारा विधायक कल्याण सिंह का निधन हो गया.

पिछले साल मांडलगढ़ विधायक का निधन, धौलपुर विधायक को जेल

14वीं विधानसभा में भी यह संयोग जारी रहा, धौलपुर से बसपा विधायक बीएल कुशवाह चुनाव जीतने के तत्काल बाद हत्या के मामले में जेल चले गए, बाद में कुशवाह को सजा होने से उनकी सदस्यता चली गई. धौलपुर में अप्रैल 2017 में उपचुनाव में शोभारानी कुशवाह जीती, अगस्त में मांडलगढ़ विधायक कीर्ति कुमारी का निधन हो गया, मांडलगढ उपचुनाव में कांग्रेस के विवकेक धाकड़ जीते, उपचुनाव के महीने भर से पहले ही नाथद्वारा विधायक कल्याण सिंह का निधन हो गया.

इस बार भी पूरी नहीं होगी 200 की संख्या

अलवर की रामगढ़ विधानसभा सीट पर फिर से चुनाव होने के चलते एक बार फिर विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं पहुंच सकेंगे. और इसी के साथ विधानसभा के सदन में 200 विधायकों की संख्या पूरा नहीं होने का यह संयोग अब तक जारी रहेगा. हालांकि संविधान की शपथ लेने वाले विधायकों के इन तर्कों को न विज्ञान मानता है, न संविधान.

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