राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश में अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) के सब-कैटगरी का अध्ययन करने के लिए एक ओबीसी आयोग का गठन किया है. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सरकार सभी अन्य पिछड़ा वर्गों में आरक्षण के लाभों के समान वितरण के तरीकों पर विचार करेगी. इस आयोग की अध्यक्ष पूर्व चीफ जस्टिस जी रोहिणी होंगी.
सोमवार को जारी आधिकारिक प्रेस रिलीज में बताया गया कि राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत प्रदत्त शक्तियों के तहत अन्य पिछड़ा वर्गों के सब-कैटगरी की व्यवहार्यता की जांच करने के लिए अन्य पिछड़ा वर्गों के एक आयोग का गठन किया है. इसकी रिपोर्ट पर सरकार, केंद्र सरकार की नौकरियों और केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए सभी ओबीसी में आरक्षण के लाभों के समान वितरण के तरीकों पर विचार करेगी.
12 हफ्ते के अंदर आयोग राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा
आयोग के अध्यक्ष द्वारा पद संभालने की तारीख से 12 हफ्ते के अंदर आयोग राष्ट्रपति को इस बारे में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा. प्रेस रिलीज में बताया गया कि आयोग की अध्यक्ष दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस जी रोहिणी होंगी.
समाजनीति समीक्षण केंद्र के निदेशक डॉ जे के बजाज इसके सदस्य होंगे और दो पदेन सदस्यों में कोलकाता स्थित भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण के निदेशक और भारत के महापंजीयक एवं जनगणना आयुक्त होंगे. सामाजिक और अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले सामाजिक और अधिकारिता विभाग के संयुक्त सचिव इस आयोग के सचिव होंगे.
इस आयोग का मुख्यालय दिल्ली में होगा. इसके कार्यक्षेत्र में केंद्रीय सूची में शामिल अन्य पिछड़ा वर्गों के संदर्भ में ओबीसी की विस्तृत श्रेणी में शामिल जातियों-समुदायों के बीच आरक्षण के लाभ के असमान वितरण की मात्रा की जांच करना, ऐसे पिछड़े वर्गों के अंतर्गत सब-कैटगरी के लिए क्रिया विधि, मानदंड और मानकों का वैज्ञानिक तरीके से आकलन करना और ओबीसी की केंद्रीय सूची में संबंधित जातियों/समुदायों/उप-जातियों/पर्यायों की पहचान करने. और उन्हें उनकी संबंधित सब-कैटगरी में वर्गीकृत (कैटेगराइज) करने की प्रक्रिया आरंभ करना शामिल है.