जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर सीएम नीतीश कुमार के लिए ‘बोझ’ बनते दिख रहे हैं? बिहार सरकार में साझीदार बीजेपी के विधायकों तथा नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. साथ ही आरएसएस एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े कई नेताओं ने किशोर पर कठोर शब्दों में फायरिंग करनी शुरू कर दी है.
बीजेपी विधायक नितिन नवीन, अरुण कुमार सिन्हा, संजीव चैरसिया, विधान परिषद सदस्य सुरज नंदन प्रसाद तथा बीजेपी के प्रदेश महासचिव राजेन्द्र सिंह ने प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पीरबहोर थाने में धरना दिया. पत्रकारों से बातचीत में इन नेताओं ने कहा, ‘पुलिस प्रशांत किशोर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर तुरंत उनकी गिरफ्तारी करे क्योंकि वे अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर गैर कानूनी कार्य कर रहे हैं.’
इसी तरह की मांग एबीवीपी और आरएसएस की तरफ से भी उठाई गई है. इन संगठनों ने धमकी भी दी है कि अगर प्रशांत किशोर के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई या उनको बांध कर नहीं रखा गया तो आंदोलन किया जाएगा. बिहार के विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ का चुनाव होने वाला है. पटना यूनिर्वसिटी में बुधवार को मतदान होना है. हर राजनीतिक दल ने अपने छात्र विंग से अपना-अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है.
सोमवार को प्रशांत किशोर पटना विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर से मिलने उनके दफ्तर चले गए. जिसको लेकर विभिन्न छात्र संगठनों ने हिंसक विरोध किया. आक्रोशित छात्रों ने पत्थरबाजी करके प्रशांत किशोर की कार को क्षतिग्रस्त कर दिया. बीजेपी के नेताओं का आरोप है,‘छात्रसंघ के चुनाव को प्रभावित करने की नीयत से प्रशांत किशोर ने वीसी से मुलाकात की है’.
वीसी से मुलाकात के सवाल पर प्रशांत किशोर के खिलाफ छात्र आरजेडी, पप्पू यादव का जाप, आइसा, एआइएसएफ, एबीवीपी और एनएसयूआई लामबंद हो गए हैं. हालांकि प्रशांत किशोर ने अपने ऊपर लगे अरोप का खंडन किया है. वो कहते हैं, ‘मेरा वीसी से निजी काम था. इसी सिलसिले में मैं अपने चाचा उदयकांत मिश्रा को साथ लेकर वीसी से मिलने चला गया जिसका दूसरा अर्थ निकाला जा रहा है.’
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अगर प्रशांत किशोर का बयान सही है तो अभी तक जेडीयू के किसी नेता ने सामने आकर उनका बचाव क्यों नहीं किया है? जेडीयू के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है, ‘प्रशांत किशोर को जो जिम्मेदारी मिली है, उस पर ध्यान न देकर अपने एजेंडे पर काम करना शुरू कर दिया है. इनकी चाहत है कि किसी भी तरह से संगठन के सारे विंग को अपने कन्ट्रोल में कर लें’. नीतीश कुमार के करीबी एक मंत्री का कहना है, ‘प्रशांत किशोर समझते हैं कि वही संगठन के सर्वेसर्वा हैं. लेकिन ये उनकी भूल है. बहुत जल्द पार्टी अध्यक्ष उनको उनकी स्थिति बता देंगे. अभी उड़ने के लिए छोड़ दिए हैं.’
प्रशांत किशोर को किस मकसद से पार्टी में लाकर नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे बड़े सांगठनिक ओहदे पर बिठा दिया है. इसका खुलासा तो स्वयं वही करेंगे. लेकिन जेडीयू के भीतर बहुत कम नेता है जो प्रशांत किशोर की काम करने की अदा से खुश या संतुष्ट दिखते हैं. पटना विश्वविद्यालय एपीसोड को लेकर सभी खफा हैं. लगता है दल के नेताओं के इस मूड को भांपकर नीतीश कुमार ने अपने प्रवक्ताओं को प्रशांत किशोर के बचाव में आने से मना किया हो.
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