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प्रणब दा के भाषण से पहले और बाद में कितनी बदली दिखी कांग्रेस

प्रणब मुखर्जी का कार्यक्रम होने से पहले कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने इसका विरोध किया. इसमें आनंद शर्मा से लेकर जयराम रमेश तक और खुद प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी भी शामिल थीं लेकिन भाषण संपन्न होने के बाद कांग्रेस के सुर बदल गए

Updated On: Jun 08, 2018 01:51 PM IST

FP Staff

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प्रणब दा के भाषण से पहले और बाद में कितनी बदली दिखी कांग्रेस

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय नागपुर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का भाषण आखिरकार गुरुवार को संपन्न हो गया. कार्यक्रम आयोजित होने से पहले तरह-तरह के विवाद हुए. कांग्रेस के अलग-अलग नेता अपनी-अपनी सलाह देते दिखे. कुछ ने कहा कि प्रणब दा को संघ मुख्यालय नहीं जाना चाहिए तो कुछ का मत था कि पूर्व राष्ट्रपति कहीं भी आने-जाने के लिए आजाद हैं. प्रणब मुखर्जी का कार्यक्रम में जाने से पहले और भाषण संपन्न होने के बाद कांग्रेस का क्या रुख रहा, आइए जानते हैं.

कार्यक्रम से पहले कांग्रेस के बयान और ट्वीट

बात सबसे पहले सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल की. पटेल ने प्रणब दा के भाषण से ठीक पहले एक ट्वीट कर कहा कि प्रणब मुखर्जी से ऐसी उम्मीद नहीं थी.

पटेल के इस ट्वीट ने राजनीति सरगर्मियां बढ़ा दीं कि क्या प्रणब मुखर्जी का कार्यक्रम होगा या निरस्त होगा.

इससे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पत्र लिखकर प्रणब मुखर्जी को संघ के कार्यक्रम में नहीं जाने की अपील की. रमेश ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि इस कदम से प्रणब मुखर्जी के पूरे राजनीतिक जीवन पर एक प्रश्नचिह्न लग सकता है. पूर्व राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में जयराम रमेश ने खुद को उनका राजनीतिक अनुयायी बताया.

इसी क्रम में दिल्ली कांग्रेस की महिला अध्यक्ष और प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने ट्वीट करके कहा था कि आरएसएस भी यह कल्पना नहीं कर सकता कि आप अपने भाषणों में उनके विचारों को बढ़ावा देंगे. लेकिन भाषणों को भुला दिया जाएगा और तस्वीरें याद रह जाएंगी.

उन्होंने अपने पिता के बारे में और कहा,'आप नागपुर जाकर बीजेपी और आरएसएस को फर्जी खबरें फैलाने और किसी ना किसी तरह विश्वसनीय बनाने की सुविधा दे रहे हैं. यह सिर्फ शुरुआत है.'

कुछ ऐसा ही बयान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा का आया. उन्होंने प्रणब मुखर्जी के कार्यक्रम में शामिल होने पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दुखी होने की बात उठाई.

आनंद शर्मा ने ट्वीट में कहा कि प्रणब मुखर्जी का संघ मुख्यालय जाने का फैसला उन सभी लोगों को निराश करेगा जो बहुलता, विविधता में एकता और भारतीय गणराज्य के मूल्यों में भरोसा रखते हैं.

प्रणब मुखर्जी के भाषण के बाद कांग्रेस का रुख

संघ मुख्यालय में प्रणब मुखर्जी का भाषण समाप्त होने के बाद कांग्रेस नेताओं ने अपनी-अपनी राय जाहिर की. कांग्रेस कार्यालय में पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर पार्टी की राय रखी.

सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा, प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस के मुख्यालय में संघ को आईना दिखा दिया. उन्होंने बहुलता, सहिष्णुता और विविध संस्कृति की बात की.

सुरजेवाला ने आगे कहा, 'प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को भारत के संविधान की याद दिलाई. उन्होंने संघ को सिखाया कि भारत की खूबसूरती अलग-अलग विचारों, धर्मों और भाषाओं को लेकर परस्पर सहिष्णुता में है.

सुरजेवाला के बयान के बाद आनंद शर्मा की भी टिप्पणी सामने आई. उन्होंने अपने पहले किए गए ट्वीट में प्रणब मुखर्जी का संघ मुख्यालय में जाने का विरोध किया था लेकिन बाद में उनके सुर बदल गए.

शर्मा ने कहा, हमने संघ मुख्यालय में न तो तिरंगा फहरते देखा और न ही राष्ट्रगान बजते सुना. प्रणब मुखर्जी की स्पष्टता और प्रतिबद्धता को लेकर हमें कभी संदेह नहीं था लेकिन संवाद के लिए दूसरे पक्ष का भी तैयार होना जरूरी है.

कांग्रेस के कई अन्य नेताओं ने भी भाषण समाप्त होने के बाद प्रणब मुखर्जी का बचाव किया. एक टीवी चैनल पर चर्चा के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया ने कहा कि कांग्रेस के किसी प्रवक्ता ने कभी आधिकारिक तौर पर प्रणब मुखर्जी के कार्यक्रम का विरोध नहीं किया था. अगर किसी नेता ने विरोध किया तो वह उसका निजी विचार हो सकता है.

इसी क्रम में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी प्रणब मुखर्जी के भाषण की तारीफ की. उन्होंने संघ के कार्यक्रम में गुरुवार को कांग्रेस की विचारधारा को आगे रखने के लिए पूर्व राष्ट्रपति की जमकर सराहना की.

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगवार के घर जाकर उनकी तस्वीर पर फूल चढ़ाए. इस दौरान प्रणब मुखर्जी का स्वागत आरएसएएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने किया.

प्रणब मुखर्जी ने हेडगवार को भारत मां का सपूत बताया. उन्होंने हेडगवार के जन्मस्थान पहुंचकर विजिटर बुक में लिखा कि 'आज मैं भारत माता के एक महान सपूत को अपना सम्मान जाहिर करता हूं और श्रद्धांजलि देता हूं.'

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