गठबंधन हुआ, जीत मिली और अब उसका असर भी दिख रहा है. यूपी में हुए उप चुनावों में एसपी-बीएसपी गठबंधन को गोरखपुर, फूलपुर सीट पर जीत क्या मिली, दोनों पार्टियों के बीच लंबे समय से चल रहे सियासी दुश्मनी खत्म होती नजर आ रही है. लखनऊ में एसपी के पार्टी ऑफिस के बाहर अब दोनों नेताओं को पोस्टर एक साथ लगाए गए हैं.
Poster with pictures of Akhilesh Yadav and Mayawati seen outside Samajwadi Party office in Lucknow pic.twitter.com/htBac1mAjn
— ANI UP (@ANINewsUP) March 16, 2018
एक तरफ जहां यूपी बीजेपी का कहना है कि यह यह गठबंधन मौकापरस्ती का परिणाम है. ज्यादा दिन नहीं टिक सकता. वहीं दूसरी तरफ एसपी-बीएसपी के बीच हर दिन बढ़ती नजदीकियां सत्तारूढ़ दल भीतर डर पैदा कर रही है. इस बात को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव भी मान रहे हैं. उनका कहना है कि यह देखना होगा कि यह गठबंधन कितना असर डाल सकती है.
जानकारों की मानें तो राजनीति में कोई भी सफलता स्थायी नहीं होती और चुनावी राजनीति में इलेक्शन जीतकर ही राजनीतिक वैधता पाई जा सकती है. अगर आप चुनाव नहीं जीत सकते, तो वंशावली, प्रभावशाली भाषण देने का कौशल और यहां तक की मीडिया को मैनेज करने की कला भी आपको नेता से राजनेता नहीं बना सकती.
चुनाव जीतना राजनेता बनने की कसौटी है. इस तरह से देखा जाए तो उपचुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव का गठजोड़ राजनीतिक सूझबूझ की एक उम्दा मिसाल है.
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