सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने चालू वित्त वर्ष में कथित रूप से अवैध तौर पर धन जुटाने की गतिविधियों में शामिल रहने के लिए 63 कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की. इस लिहाज से हर महीने औसतन सात कंपनियों की जांच की गई.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इस साल एसएफआईओ के पास जांच के लिए भेजी कई कंपनियों की संख्या, पिछले तीन वित्तीय वर्षों में सबसे अधिक है.
चिटफंड/ मल्टी लेवल मार्केटिंग/ पॉन्जी गतिविधियों में शामिल कुल 63 कंपनियों की विस्तृत जांच की जिम्मेदारी एसएफआईओ को सौंपी गई. 2016-17 में एसएफआईओ के रडार पर सिर्फ 27 कंपनियां थीं जबकि 2015-16 में यह संख्या 47 से अधिक थी.
आंकड़ों के मुताबिक, कथित तौर पर पॉन्जी योजनाओं के लिए 51 कंपनियों के खिलाफ एसएफआईओ को जांच के आदेश दिए गए थे.
सामान्य तौर पर पॉन्जी योजनाएं अवैध रूप से धन जुटाने संबंधी गतिविधियां हैं, जिसमें निवेशकों को अल्प अवधि में निवेश पर उच्च रिटर्न का लालच देकर धन जुटाया जाता है. केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार के प्राधिकरण इस तरह की योजनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं.
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