नमिता ... नहीं सर मनीता. झारखंड की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपना नाम इतनी खुशी से बता रही थीं उन्होंने बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. असल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार मनीता की जगह नमिता कहकर संबोधित कर रहे थे. और मनीता उन्हें उतनी ही खुशी और दिलचस्पी से सुधार कर रही थीं...नमिता नहीं मनीता.
मौका था देश भर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को नमो ऐप के जरिए संबोधित करने का. नरेंद्र मोदी जब आंगनवाड़ी से जुड़ी महिलाओं से बात कर रहे थे तब हर महिला खुशी और उत्साह से अपनी बात रखने की कोशिश कर रही थी. उनकी बातचीत का जोश देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था कि उन्हें एक पहचान मिली है.
इससे पहले शायद ही कभी हुआ होगा कि किसी प्रधानमंत्री ने गांव और कस्बों में इतने छोटे स्तर पर काम करने वाली कार्यकर्ताओं से बात की हो. नरेंद्र मोदी बड़ी सहजता से उन महिलाओं से बात कर रहे थे. अभी एक दिन पहले ही डीजल और पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ कांग्रेस की अध्यक्षता में भारत बंद का आह्वान किया था. बिहार, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में इस बंद का अच्छा खासा नजर भी आया. मुमिकन है कि इससे बीजेपी के कुछ वोटर टूट भी जाएं. लेकिन आज जब मोदी और आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से बात कर रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि उन महिलाओं को पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से कोई सरोकार नहीं है.
निश्चित तौर पर पीएम मोदी वोटर के एक ऐसे वर्ग को जोड़ रहे हैं, जिनके लिए नोटबंदी या अार्थिक नीतियों का कोई मोल नहीं. उनके लिए नरेंद्र मोदी का संबोधन ही काफी था. कहना ना होगा कि बिहार में जिस तरह नीतीश कुमार ने महिलाओं का दिल जीता था उसी तरह नरेंद्र मोदी भी कोशिश कर रहे हैं.
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