कांग्रेस ने राफेल विमान सौदे को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर शुक्रवार को फिर निशाना साधा और आरोप लगाया कि जो नए तथ्य सामने आए हैं उनसे यही लगता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस विमान सौदे में 'बिचौलिए' की तरह काम किया. पार्टी ने अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ की एक खबर की पृष्ठभूमि में यह भी आरोप लगाया कि इस विमान सौदे को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने फ्रांस के साथ समानांतर बातचीत कर रक्षा मंत्रालय के पक्ष को कमजोर किया.
दूसरी तरफ, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारण ने शुक्रवार को लोकसभा में कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, 'कल चौकीदार ने संसद में अपने पाकसाफ होने, दूसरों के दोषी होने का दावा किया. आज सुबह ही चौकीदार की असलियत देश के सामने आ गई.' उन्होंने कहा, 'सरकार की तरफ से लोगों को भ्रमित करने और तथ्यों को छिपाने का हर संभव प्रयास किया गया.
लेकिन सच किसी न किसी तरह सामने आ ही जाता है.' तिवारी ने कहा, 'अखबार की रिपोर्ट सामने आने के बाद सरकार ने आनन-फानन में अपने बचाव में कई दूसरे कागज भी सामने रख दिए. जब बचाव पक्ष का वकील कागजों को ढंग से नहीं पढ़े तो वह अपने मुवक्किल को बचाने की बजाय फंसा देता है. आज रक्षा मंत्री ने भी प्रधानमंत्री के साथ वही किया.’
राफेल का मुद्दा बार-बार उठाना गड़े मुर्दे उखाड़ने के जैसा
उन्होंने दावा किया, ‘जो फाइल नोटिंग (टिप्पणी) लीक की गई है वो प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री पर ज्यादा गंभीर सवाल खड़े करती है. रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रधानमंत्री ने बातचीत की पूरी प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया और मंत्रालय के पूरे पक्ष को ध्वस्त कर दिया था.’ तिवारी ने आरोप लगाया, ‘प्रधानमंत्री के पद और कार्यालय का हम बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन जो कागज सामने आए हैं उससे यह लगता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बिचौलिये की तरह काम किया. यह मेरा सीधा आरोप है.’ उन्होंने कहा कि इसका जवाब प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय को देना चाहिए.
कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व रक्षा मंत्री ने पद पर रहते हुए अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वहन नहीं किया.
उन्होंने कहा, ‘हम आशा करते हैं कि उच्चतम न्यायालय इस तथ्य का संज्ञान लेगा कि प्रधानमंत्री के स्तर से समानांतर बातचीत चल रही थी और सरकार ने इस तथ्य को छिपाया.’राफेल सौदे को लेकर अखबार की खबर को सिरे से खारिज करते हुए लोकसभा में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा,‘यह गड़े मुर्दे उखाड़ने के जैसा है.’ विपक्ष पर निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘विपक्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों और निहित स्वार्थ से जुड़े तत्वों के हाथों में खेल रहा है उनकी (विपक्ष की) वायु सेना को मजबूत बनाने में कोई रूचि नहीं है.’
खबरों के मुताबिक तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपनी फाइल नोटिंग में कहा था, ‘ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और फ्रांसीसी राष्ट्रपति के कार्यालय में शिखर स्तरीय बैठक में तय मुद्दे पर हुई प्रगति की निगरानी कर रहा है. पैरा 5 (उप रक्षा सचिव की टिप्पणी) जरूरत से ज्यादा की गई प्रतिक्रिया है.’
गौरतलब है कि अखबार की खबर में कहा गया है कि रक्षा मंत्रालय ने इसको लेकर आपत्ति जताई कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने राफेल विमान सौदे को लेकर फ्रांस के साथ समानांतर बातचीत की जिससे इस बातचीत में रक्षा मंत्रालय का पक्ष कमजोर हुआ.
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