राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला था. कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर दूसरे विरोधियों की तरफ से सदन के भीतर सरकार के वादों और उस पर किए गए अमल की याद दिलाई गई. वादों पर खरे नहीं उतरने के आरोप भी लगाए गए. लेकिन, अब बारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की थी.
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मोदी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में कांग्रेस पर हमला कर दिया. मोदी को कांग्रेस के हर आरोप का जवाब देना था. उन्होंने अपने डेढ़ घंटे के लंबे संबोधन में जवाब दिया भी. वो भी कांग्रेस के सांसदों के हंगामे के बीच. लेकिन, जवाब देने खड़े हुए मोदी ने शुरू में ही अपने तेवर साफ कर दिए कि उनके भाषण का एजेंडा क्या रहने वाला है.
मोदी ने सबसे पहले कांग्रेस को देश तोड़ने वाला बताया. मोदी ने कहा कि ‘जब आपने देश के टुकड़े किए, जहर बोया, आज आजादी के 70 साल बाद भी उस पाप की सजा सवा सौ करोड़ देशवासी भुगत रहे हैं.’
मोदी का मकसद कांग्रेस को जवाब माना जा रहा है जिसमें कांग्रेस पाकिस्तान के साथ एलओसी पर तनाव और जम्मू-कश्मीर में सैनिकों की शहादत को लेकर मोदी सरकार पर हमला कर रही है. मोदी के 56 इंच के सीने वाले बयान पर तंज कसने वाले कांग्रेसी नेताओं को उनकी तरफ से सबसे पहला जवाब मिला.
मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े करने वाले कांग्रेस के नेताओं की नीयत को फिर कठघरे में खड़ा किया. राहुल गांधी का नाम लिए बगैर चीन के राजदूत से मुलाकात को लेकर भी मोदी ने हमला बोला. उनको शिमला समझौते के वक्त की याद दिलाई जब अटल बिहारी वाजपेयी ने उस वक्त सरकार का खुलकर साथ दिया था.
कांग्रेस को पढ़ाया लोकतंत्र का पाठ
कांग्रेस के नेताओं की तरफ से चर्चा के दौरान मोदी राज में लोकतंत्र पर खतरे की बात कही गई थी. मोदी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के इतिहास के पन्ने को पलटना शुरू कर दिया था. यहां भी निशाने पर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और बाकी नेताओं की नेहरू-गांधी परिवार के प्रति भक्ति थी.
मोदी ने कहा, ‘अगर कांग्रेस ने आजादी के बाद सही दिशा रखी होती और इस तरह की नीति बनाई होती तो यह देश आज कई गुना आगे गया होता. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. एक परिवार की भक्ति से खड़गे की जगह बनी रहेगी.’
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‘लोकतंत्र खतरे में है’ कहने वालों को पीएम ने लोकतंत्र का पाठ भी पढ़ाने की पूरी कोशिश की. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की तरफ से राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के वक्त शाहजहां और औरंगजेब के वक्त सत्ता हस्तांतरण को लेकर दिया बयान एक बार फिर से कांग्रेस पर भारी पड़ा. मोदी ने इस बयान की याद दिलाते हुए कहा कि ऐसा बोलने वाले लोकतंत्र की बात करें तो शोभा नहीं देता.
मोदी ने कांग्रेसी नेताओं और नेहरू-गांधी परिवार की तरफ से लोकतांत्रिक मूल्यों को कई बार ठेस पहुंचाने का मुद्दा एक-एक कर गिनाया. निशाने पर नेहरू थे तो राजीव भी. राजीव गांधी के द्वारा एयरपोर्ट पर ही आंध्रप्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री को अपमानित करने के मुद्दे को भी उठाकर कांग्रेस के दलित-प्रेम और लोकतंत्र के हमदर्दी होने की हवा निकालने की कोशिश की. उन्होंने कहा, ‘एक चुने हुए प्रतिनिधि, जो कि दलित समुदाय से था, उसके साथ ऐसा करना क्या दिखाता है.’
कांग्रेस की केंद्र सरकारों ने अलग-अलग वक्त में सबसे ज्यादा धारा 356 का प्रयोग कर देश के अलग-अलग राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया है. मोदी ने 356 का दुरुपयोग कर राष्ट्रपति शासन लागू करने वाली कांग्रेस सरकार का जिक्र कर एक बार फिर से कांग्रेस को लोकतंत्र के धर्म की याद दिलाई.
यूपीए सरकार के कार्यकाल में जिस अंदाज में कांग्रेस उपाध्यक्ष रहते राहुल गांधी ने कैबिनेट के फैसले के बाद पारित अध्यादेश को सार्वजनिक तौर पर फाड़ डाला था, उसका जिक्र कर मोदी ने कांग्रेस को लोकतंत्र की याद दिलाई. जब मोदी बोल रहे थे तो उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी संसद में बैठकर उनकी बातों को सुन रहे थे.
कश्मीर समस्या नेहरू की देन
लेकिन, कांग्रेस के अतीत से लेकर वर्तमान तक का जिक्र करते हुए बीच-बीच में अतीत के पन्नों को पलटते दिखे. आजाद भारत में बहुमत के बावजूद सरदार पटेल को नजरअंदाज कर पंडित जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाने के फैसले को लेकर भी मोदी ने नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस पर हमला बोला.
एक बार फिर से कश्मीर समस्या को उस वक्त के नेतृत्व की देन बताकर मोदी ने कहा, ‘अगर सरदार पटेल देश के पीएम होते तो आज कश्मीर का हाल ऐसा नहीं होता. आज कश्मीर की समस्या नहीं होती और पूरा कश्मीर भारत में मिला होता.’
कांग्रेस हंगामा करती रही, मोदी हमला करते रहे
कांग्रेस को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने के बाद भी मोदी के निशाने पर कांग्रेस और कांग्रेस की पिछली सरकार ही रही. मोदी ने कांग्रेस को छोटे मन का बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का जिक्र किया, जिसमें वाजपेयी ने लिखा था ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता.’ कांग्रेस पर तंज करते हुए मोदी ने कहा कि आप वहीं रह जाओगे.
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एक तरफ प्रधानमंत्री बोल रहे थे, तो दूसरी तरफ, कांग्रेस के सांसद लगातार नारेबाजी कर रहे थे. कांग्रेस की तरफ से प्रधानमंत्री के पुराने वादों पर कुछ नहीं करने का आरोप लग रहा था. लेकिन, हर तरह के स्लोगन और हंगामे के बावजूद अपने अंदाज में मोदी का कांग्रेस पर वार जारी रहा.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस पर वार
मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि 2022 तक का जिक्र जब हम करते हैं तो उसको लेकर कांग्रेस को दुख होता है. आधार कार्ड से लेकर बाकी हर योजनाओं में सरकार की तरफ से दलालों और बिचौलियों के रोल को खत्म देने को अपनी प्राथमिकता बताने वाले प्रधानमंत्री ने इसे ही कांग्रेस के दुख का कारण बता कर फिर से कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर दिया.
दरअसल, बैंकों से कर्ज लेकर पैसे न देने के मामले यानी एनपीए को लेकर कांग्रेस की तरफ से सरकार पर हमला बोला जाता रहा है. लेकिन, एक बार फिर से मोदी ने इसे कांग्रेस का पाप बताकर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की. उनका कहना था कि ‘कांग्रेस ने एनपीए 36 फीसदी बताया था, लेकिन, असल में आंकड़ा तो 82 फीसदी का था.’
मोदी की तरफ से कांग्रेस की सरकार के वक्त किए गए कई सौदों का जिक्र कर यह दिखाने की कोशिश की है कि कैसे उनकी सरकार ने उन सभी सौदों को रिव्यू कर देश का फायदा पहुंचाया. शायद मोदी राफेल डील के मुद्दे को लेकर कांग्रेस के आरोपों का जवाब देना चाह रहे थे, लेकिन, उन्होंने राफेल के मुद्दे पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन, और कई उदाहरण देकर कांग्रेस को बैकफुट पर लाने की कोशिश की.
कतर से गैस लेने के कॉन्ट्रेक्ट को रिव्यू कर 8000 करोड़ रुपए बचाने की बात हो या एलईडी बल्ब को लेकर 4000 करोड़ रुपए की बचत की बात हो या फिर सोलर पावर के खर्च में कमी की बात हो, लोकसभा में उनकी तरफ से यह बताने की कोशिश की गई कि कैसे कांग्रेस की सरकार ने सरकारी खजाने का नुकसान किया था.
मोदी ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए कांग्रेस पर फिर से कटाक्ष किया. उनका कहना था कि पहले लूटो-लूटो, हमारो भी ख्याल रखो की नीति थी, अब इस पर रोक लग गई है.
प्रधानमंत्री की तरफ से अपने लंबे भाषण के दौरान अपनी सरकार की तीन साल की योजनाओं का लेखा-जोखा रखा गया. कई बड़ी उपलब्धियों का जिक्र भी हुआ. लेकिन, हर बार निशाने पर कांग्रेस ही रही जिसके इर्द-गिर्द ही उनका पूरा भाषण फोकस रहा.
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