प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपनी-अपनी सेनाओं को सामरिक दिशानिर्देश जारी करने का फैसला किया है ताकि विश्वास और समझ कायम की जा सके. यह जानकारी शनिवार को एक आला भारतीय राजनयिक ने दी.
On the issue of India-China boundary question, the two leaders (Modi & Xi) endorsed work of the special representative to find a fair reasonable &mutual settlement: Foreign Secretary Vijay Gokhale pic.twitter.com/fB3p1Li42D
— ANI (@ANI) April 28, 2018
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में एक संयुक्त आर्थिक परियोजना पर काम करने के लिए सहमति जताई है. उनकी यह पहल पाकिस्तान को परेशान कर सकती है.
विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाले दोनों देशों के प्रमुखों के बीच पहली अनौपचारिक शिखर बैठक में इस बात सहमति बनी है. दो दिन की यह बैठक शनिवार को समाप्त हो गई.
सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के अधिकारी भविष्य में होने वाली चर्चाओं में परियोजना की पहचान करेंगे और उसके तौर-तरीकों और रूपरेखा पर काम करेंगे. संकट से घिरे अफगानिस्तान में भारत और चीन की ओर से शुरू की जाने वाली यह अपनी तरह की पहली परियोजना होगी.
सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत के साथ काम करने के चीन के फैसले से पाकिस्तान को परेशानी हो सकती है क्योंकि वह चीन को अपना ‘सदाबहार दोस्त’ मानता रहा है.
चीन को जब अफगानिस्तान में अपना प्रभुत्व बढ़ाना था तब उसने पाकिस्तान का समर्थन किया था. पाकिस्तान पर अफगानिस्तान और अमेरिका तालिबान को समर्थन देने का आरोप लगाते रहे हैं. उनका आरोप था कि पाकिस्तान आतंकी समूहों को अपने यहां सुरक्षित पनाह दे रहा है जो अफगानिस्तान में हमले करते हैं और उसे अस्थिर करने की कोशिश में लगे हैं.
पिछले साल दिसंबर में चीन ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ एक तीन-पक्षीय बैठक की थी. इसका मकसद दोनों देशों के बीच की दूरियां कम करना था. उस बैठक में चीन ने विवादित चीन- पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को अफगानिस्तान तक बढ़ाने की भी घोषणा की थी.
विदेश सचिव ने बताया, चीन में क्या हुई बात
मध्य चीन के वुहान शहर में दोनों नेताओं के बीच दो दिन की अनौपचारिक शिखर वार्ता के समापन पर पत्रकारों से बातचीत में विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं ने भारत-चीन सीमा क्षेत्र के सभी इलाकों में अमन- चैन कायम रखने को अहम करार दिया.
विदेश सचिव ने कहा, ‘इस बाबत दोनों नेताओं ने फैसला किया कि वे अपनी-अपनी सेनाओं को सामरिक दिशानिर्देश जारी करेंगे ताकि कम्युनिकेशन मजबूत किया जा सके, विश्वास और समझ कायम की जा सके और उन विश्वास बहाली के उपायों को लागू किया जा सके जिन पर दोनों पक्षों में पहले ही सहमति बन चुकी है. इनके अलावा, मौजूदा तंत्र को भी मजबूत किया जाएगा ताकि सीमाई इलाकों में हालात संभाले जा सकें.’
The two leaders (Modi & Xi) underscored that it is important to maintain peace along India-China border region & decided that they will issue strategic guidance to their respective militaries to strengthen communications & to build trust & understanding: Foreign Secretary pic.twitter.com/TWDmFYIWRk
— ANI (@ANI) April 28, 2018
मोदी और शी के बीच हुई ‘दिल से दिल की बात’ के समापन पर गोखले ने यह जानकारी दी. दोनों नेताओं के बीच हुई अनौपचारिक शिखर वार्ता को विश्वास फिर से कायम करने और संबंध सुधारने की भारत और चीन की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. पिछले साल डोकलाम में दोनों देशों के बीच करीब 73 दिनों तक कायम रहे गतिरोध ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा कर दी थी.
PM and President Xi also recognised the common threat posed by terrorism both reiterated their strong condemnation of a resolute opposition to terrorism in all its forms and manifestations. Both committed to cooperate further in counter-terrorism: Foreign Secretary Vijay Gokhale pic.twitter.com/zWjpfkhnYN
— ANI (@ANI) April 28, 2018
गोखले ने कहा, ‘दोनों नेताओं की राय है कि दोनों देशों में इतनी समझदारी होनी चाहिए कि वे संबंधों के दायरे में शांतिपूर्ण चर्चा से अपने मतभेद सुलझा सकें और इस बात का ख्याल रखें कि हम एक-दूसरे की भावनाओं, चिंताओं और आकांक्षाओं का सम्मान करें.’ उन्होंने कहा कि वे दोनों पक्षों के बीच व्यापक सामरिक संचार मजबूत करने पर भी सहमत हुए. गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद को साझा खतरा माना और आतंकवाद से मुकाबले में सहयोग को लेकर गर्मजोशी दिखाई.
ईस्ट लेक के किनारे की सैर
इससे पहले दोनों नेताओं ने खूबसूरत ‘ईस्ट लेक’ के किनारे सैर की. उनके साथ दो अनुवादक भी थे. सैर के बाद उन्होंने चाय पी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘भारत-चीन संबंधों को आगे की ओर देखने वाले पथ पर ले जाते हुए, संबंधों में भविष्य की दिशा तय करते हुए. पीएम नरेंद्र मोदी और चीन राष्ट्रपति शी ने आज सुबह वुहान में ईस्ट लेक के किनारे एक साथ सैर की.’
Prime Minister #NarendraModi and #Chinese President #XiJinping walked together at the picturesque East Lake
Read @ANI Story | https://t.co/dMZ6IbyLGP pic.twitter.com/aDYTOtV0VC— ANI Digital (@ani_digital) April 28, 2018
इसके बाद मोदी और शी ने ईस्ट लेक में नौका विहार का आनंद लिया. दोनों नेताओं को घरनुमा नौका के भीतर बेहद सुकून से एक-दूसरे से बातें करते देखा गया. मोदी के सम्मान में शी की मेजबानी में आयोजित भोज के साथ शिखर वार्ता का समापन होगा. इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी स्वदेश लौटेंगे.
#WATCH China: Prime Minister Narendra Modi & Chinese President Xi Jinping have tea after a walk along East Lake in Wuhan. pic.twitter.com/5BuROg31Cg
— ANI (@ANI) April 28, 2018
मोदी के सम्मान में भोज
शुक्रवार की बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, विदेश सचिव विजय गोखले और चीन में भारत के राजदूत गौतम बंबावाले बैठक में मौजूद थे. शी ने एक शिष्टमंडल की अध्यक्षता की जिसमें कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की केंद्रीय कमेटी के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य दिंग शूशियांग, सीपीसी के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य यांग जाइची और स्टेट काउंसेलर एवं विदेश मंत्री वांग यी शामिल थे. शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के बाद शी ने ‘ईस्ट लेक’ में मोदी के सम्मान में भोज की मेजबानी की.
(इनपुट भाषा के साथ)
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