समय से पहले लोकसभा चुनाव होने की चर्चाअों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जुलाई महीने में उत्तर प्रदेश के एक से ज्यादा दौरों की तैयारी ने सियासी हलकों में समयपूर्व चुनाव की अटकलों को अौर हवा दी है. प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों का जो खाका सामने अाया है उसमें केंद्र सरकार द्वारा खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के बाद किसान एजेंडे को जोर-शोर से अागे बढ़ाने की झलक मिलती है.
यह साफ है कि भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक रूप से सबसे अहम उत्तर प्रदेश को अपने किसान प्रेम के दावों की सियासी खेती का बड़ा केंद्र बनाएगी अौर मोदी खुद इसकी कमान संभालेंगे. उल्लेखनीय है कि पीएम मोदी बीते महीने भी यूपी में योजनाअों के शिलान्यास-लोकार्पण के बहाने दो जनसभाअों को संबोधित कर चुके हैं. एक बागपत अौर दूसरा संत कबीरनगर में.
क्या है यूपी में पीएम मोदी की अति सक्रियता की वजह
यूपी को लेकर पीएम मोदी की अति सक्रियता की वजह यहां समाजवादी पार्टी अौर बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन की सुगबुगाहट है. उपचुनावों में इसका असर दिख चुका है अौर बीजेपी संयुक्त विपक्ष के सामने तीन लोकसभा सीटों समेत चार उपचुनाव हार चुकी है. एसपी अौर बीएसपी के इस गठबंधन में कौन कितनी सीटें लड़ेगा, उसमें बाकी विपक्षी दल भी शामिल होकर महागठबंधन बनाएंगे या नहीं, जैसे मुद्दों पर फिलहाल मंथन चल रहा है.
ऐसे में पीएम मोदी यूपी में लगातार सभाएं कर विपक्षी एका के खिलाफ बीजेपी के जमीनी कार्यकर्ताअों को मनोवैज्ञानिक बढ़त दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. प्रयास यह है कि विपक्ष का माहौल बनने से पहले ही मैदान में उतर जाया जाए. उल्लेखनीय है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी बीते दिनों यूपी में कई बैठकें कर चुके हैं अौर इक्का-दुक्का मौकों पर यह चुके हैं कि यूपी में एसपी-बीएसपी के गठबंधन से बीजेपी को चुनौती मिलेगी.
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पिछड़ों, दलितों को एकजुट करने की कवायद में जुटे विपक्षी प्रयासों को मोदी अपनी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाअों के प्रचार-प्रसार के जरिए काट करने की रणनीति पर चलते लग रहे हैं. 2014 के लोकसभा अौर 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली कामयाबी में धार्मिक ध्रुवीकरण अौर बदलाव की अपील का बड़ा हाथ था. 2019 के लोकसभा चुनाव में हालात अलग हैं.
उपचुनाव के नतीजों में दिखा कि ध्रुवीकरण की कोशिशों पर एसपी-बीएसपी अौर बाकी विपक्ष की जातीय गोलबंदी भारी पड़ी. पश्चिमी यूपी के कैराना संसदीय सीट पर ‘जिन्ना नहीं गन्ना’ का विपक्षी नारा कामयाब होने में इसे समझा जा सकता है. सियासत की जमीनी नब्ज समझने में माहिर माने जानेवाले पीएम मोदी इसलिए यूपी को लेकर कोई गफलत नहीं होने देना चाहते. लिहाजा लगातार दौरें कर उन्होंने बीजेपी के पक्ष में सूबे में माहौल बनाने की कमान अपने हाथों में लेने की पहल कर दी है. जो चुनाव तक हर गुजरते महीने में अौर मुखर होता दिखेगा.
इन दौरों से सियासी संदेश देंगे पीएम मोदी
जुलाई में अपने यूपी दौरों के तहत प्रधानमंत्री सोमवार शाम नोएडा में रहेंगे. जहां वे सैमसंग कंपनी की नई मोबाइल उत्पादक यूनिट का उद्घाटन करेंगे. उनके साथ दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून भी होंगे. 14 जुलाई के वे पूर्वांचल के बड़े सियासी गढ़ अाजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का शिलान्यास कर सभा को संबोधित करेंगे. यह एक्सप्रेस वे लखनऊ से पूर्वी यूपी के गाजीपुर को जोड़ेगा अौर बीजेपी पूर्वांचल में इसे बड़ा तोहफा बताकर पेश करने की तैयारी में है. वहां से प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र वराणसी जाएंगे अौर अगले दिन यानी 15 जुलाई को उनका मिर्जापुर में बाणसागर नहर परियोजना का लोकार्पण करने का कार्यक्रम है.
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यह परियोजना लंबे समय से लटकी थी अौर बीजेपी की सरकार में इसे पूरा कर किसानों को राहत देने का संदेश देना मोदी के एजेंडे पर होगा. खास बात यह कि इस जिले की सीमाएं चार राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ अौर झारखंड से लगती हैं. यानी मिर्जापुर के कायर्क्रम के जरिए मोदी इन पड़ोसी राज्यों तक भी अपना सियासी संदेश देने का लक्ष्य रखते हैं.
पश्चिमांचल अौर पूर्वी यूपी के बाद प्रधानमंत्री 21 जुलाई को रुहेलखंड अौर तराई के इलाके शाहजहांपुर में रहेंगे. जहां उनका किसान कल्याण रैली को संबोधित करने का कायर्क्रम है. नाम से ही साफ है कि प्रधानमंत्री की रैली का लक्ष्य किसान हैं जिसमें खरीफ की फसलों का एमएसपी बढ़ाया जाना बड़ा मुद्दा होगा. ध्यान रहे कि यूपी विधानसभा चुनावों से पहले 2016 में किसान फसल बीमा योजना लागू करने के बाद इसकी ब्रांडिग के लिए मोदी ने रुहेलखंड के मुख्यालय बरेली को चुना था. लगता है एमएसपी की ब्रांडिंग की शुरुअात भी वे किसान बहुल रुहेलखंड से ही करने की रणनीति पर चल रहे हैं.
जुलाई में यूपी के दौरों का समापन मोदी 29 जुलाई को यूपी की राजधानी लखनऊ में करेंगे. जहां वे महापौर सम्मेलन को संबोधित करेंगे. कार्यक्रम में देश भर के महापौर शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम के जरिए मोदी उनकी सरकार की शहरी योजनाअों मसलन पीएम अावास, स्मार्ट सिटी अौर अमृत अादि की चुनावी ब्रांडिंग करने की रणनीति अपना सकते हैं. चुनाव से पहले अक्टूबर के अंत में लखनऊ में बड़े पैमाने पर एक कृषि कुंभ अायोजित करने की भी बीजेपी रणनीतिकारों की योजना है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री कर सकते हैं.
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
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