पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस की रैली संपन्न हुई. एनडीए इसे फ्लॉप शो करार दे रही है वहीं कांग्रेस का उत्साह इस रैली के बाद सातवें आसमान पर है. कांग्रेस इसे ऐतिहासिक रैली इसलिए करार दे रही है क्योंकि 29 साल बाद पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस अपने दम पर रैली बुलाने का हिम्मत दिखा पाई है.
हलांकि इस रैली में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहित हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी और लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव ने भी शिरकत की. लेकिन इस रैली का असली मकसद कांग्रेस द्वारा अपना शक्ति प्रदर्शन था ताकी महागठबंधन में उसकी हैसियत को कमतर न आंका जा सके और कांग्रेस ज्यादा से ज्यादा सीट हथियाने में कामयाब हो सके.
कहीं पे निगाहें कहीं पर निशाना
रैली में भले ही मोदी और नीतीश को जमकर लताड़ा गया लेकिन कांग्रेस इस रैली के सहारे जनसमर्थन जुटाकर शक्ति प्रदर्शन कर मौके को भुनाने का भरपूर प्रयास कर रही थी. कांग्रेस इस कड़ी में पूरी तरह तैयार थी और अपने तीन नए मुख्यमंत्रियों को गांधी मैदान में उतारकर ये मैसेज दे रही थी कि बीजेपी को पटखनी देने का मादा वो रखते हैं और गांधी मैदान में कांग्रेस उन योद्धाओं के साथ मैदान में उतरी है जिन्होंने तीन राज्यों में बीजेपी को धूल चटाकर विजय तिलक लगाने में सफलता हासिल की है.
कांग्रेस द्वारा बुलाई गई इस रैली में कांग्रेस के तमाम नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री पटना के गांधी मैदान पहुंचे थे. इस रैली में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पहुंचे थे.
ज़ाहिर है एक के बाद एक दूसरे दिग्गज नेताओं ने एनडीए के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सरकार अपने बजट में किसानों के लिए महज 17 रुपए और असंगठित मजदूर को साढ़े तीन रुपए देने का वादा करती है जबकि पूंजीपति मित्र को 30 हजार करोड़ का लाभ पहुंचाती है.
राहुल ने कहा कि हम छोटे वादे करते हैं लेकिन उन्हें पूरा जरूर करते हैं. हमने जो भी किसानों से वादा किया वो कांग्रेस सरकार बनते ही तीन राज्यों में पूरा किया. हम बिहार में भी सरकार बनते ही पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाएंगे और देश के हर गरीब के खाते में मिनिमम इनकम की गारंटी होगी.
मध्य प्रदेश के सीएम कमल नाथ ने कहा कि गंगा साफ का दावा करने वाली मोदी सरकार ने बैंक साफ कर दिया है. देश में अब जल्द ही बदलाव दिखेगा जिसका बिगुल पटना में बज गया है. आनेवाले समय में परिणाम सामने होगा. छत्तीसगढ़ के सीएम भुपेश बघेल ने कहा कि राहुल संघर्ष के प्रतीक हैं और अपने हर वादे को पूरा करने का मादा रखते हैं. बघेल ने कहा कि विपक्ष को एकजुट होकर एनडीए को सत्ता से हटाने का भरपूर प्रयास करना चाहिए.
पीएम को बताया झूठ बोलने की फैक्ट्री
आरजेडी युवा नेता तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के सम्मान में खूब कसीदे पढ़े. तेजस्वी यादव ने कहा कि राहुल गांधी में प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं. तेजस्वी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के साथ बिहार को भी खूब ठगा है और वो झूठ बोलने की फैक्ट्री हैं.
वहीं लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव ने देश में अघोषित आपातकाल की स्थिती का जिक्र करते हुए कहा कि देश को बचाने के लिए मोदी सरकार को हटाना जरूरी है. इसलिए सभी विरोधी दलों को एक साथ आना होगा. इस रैली में सीपीआई राज्य सचिव सत्यनारायण समेत कई अन्य नेताओं ने कांग्रेस द्वारा पार्टी में जान फूंकने के प्रयास को सराहा और केंद्र से मोदी सरकार को हटाने के लिए गंभीर प्रयास पर जोर दिया.
बिहार के कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि जुमलेबाज भगाएंगे अच्छे दिन लाएंगे. इन नारों के साथ शक्ति सिंह गोहिल ने साफ शब्दों में बयां भी कर दिया कि पिछले काफी सालों से कांग्रेस रैली बुलाती नहीं थी बल्कि उसके नेता मेहमान की तरह शिरकत करते थे लेकिन ये रैली कांग्रेस द्वारा बुलाई गई है जिसमें अन्य दलों के नेता आमंत्रित किए गए हैं.
महागठबंधन मे शक्ति प्रदर्शन का इरादा कितना हो पाया कारगर?
महागठबंधन के नेताओं ने रैली में शिरकत जरूर की लेकिन अपने समर्थकों के बगैर. मंच पर लाउड स्पीकर के जरिए एक सुर में सभी ने मोदी सरकार को लताड़ा लेकिन असली मंशा गैर कांग्रेसी दलों के लिए कांग्रेस की ताकत को आजमाना था. वहीं कांग्रेस अपने तमाम नेताओं को मंच पर लाकर महागठबंधन के घटक दलों को साफ कर देना चाह रही थी कि बिहार में उसकी शक्ति को कम आंकना बड़ी भूल होगी.
इसलिए आरजेडी के मुखिया तेजस्वी यादव कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें देकर आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को गंभीरता से लें. दरअसल उत्तर प्रदेश में एसपी- बीएसपी गठबंधन के बाद जिस तरह तेजस्वी ने मायावती और अखिलेश यादव से मिलकर प्रेस कॉफ्रेंस कर दोनों नेताओं की प्रशंसा की उससे ये कयास लगने लगे थे कि कहीं तेजस्वी भी मायावती और अखिलेश की राह पर चलकर कांग्रेस से बिहार में किनारा तो नहीं कर लेंगे.
वहीं दूसरी सोच यह भी फिजा में तैरने लगी थी कि कांग्रेस द्वारा 15 सीट मांगने के दबाव को कम करने के लिए तेजस्वी मायावती और अखिलेश से मिलने गए थे जिससे कांग्रेस को हद में रहने की सीख दी जा सके. लेकिन कांग्रेस आज की रैली से उत्साहित है और इसका असर सीधे तौर पर सीट बंटवारे में होने वाली रस्साकशी में साफ परिलक्षित होगा.
अनंत सरीखे नेताओं को इस रैली की सफलता से होगा फायदा?
कांग्रेस बाहुबलियों से लगातार संपर्क में थी जिनमें लोगों का हुजुम इकट्ठा करने की अदभुत क्षमता है. बाढ़ से लेक मुंगेर तक लोगों में विशेष पैठ रखने वाले अनंत सिंह भी कांग्रेस की रैली की सफलता के लिए महीनों से प्रयासरत थे वहीं तकरीबन 20 दिनों पहले नालंदा के दबंग विधायक पप्पू खान को पार्टी में शामिल करा कांग्रेस ने साफ कर दिया था कि बिहार में पार्टी को मज़बूत करने के लिए बाहुबलियों का सहारा लेने से उसे कोई परहेज नहीं है.
मुज़फ्फरपुर के बिजेंद्र चौधरी से लेकर महाराजगंज के जितेंद्र स्वामी तक कांग्रेस में एंट्री के लिए इस रैली को हिट कराने के लिए जुटे हुए थे. हलांकि एनडीए के तमाम घटक दल इसे फ्लॉप शो करार दे रहे हैं वहीं कांग्रेस रैली में आई भारी भीड़ की मौजूदगी से बेहद उत्साहित है. देखना होगा कि रैली की इस सफलता के बाद क्या उन लोगों को इसका इनाम मिलेगा जिनके बाहुबल के दम पर बिहार की कांग्रेस उत्साहित दिख रही है.
फिलहाल पार्टी का पूरा जोर महागठबंधन में ज्यादा से ज्यादा सीटें हथियाने को लेकर है और इस रैली के बाद कांग्रेस अपनी रणनीति में किस हद तक सफल हो पाती है ये सीटों के बंटवारे के बाद ही पता चल पाएगा. कांग्रेस की सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि महागठबंधन के मुख्य घटकदल आरजेडी कांग्रेस द्वारा बुलाए गए जनसमर्थन की ताकत को कितनी गंभीरता से लेती है?
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