उम्रदराज लोगों में फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर युवा लोगों की तुलना में ‘फर्जी खबरें’ शेयर करने की अधिक संभावना होती है. यह खुलासा एक अमेरिकी अध्ययन में किया गया है.
यह अध्ययन जर्नल ‘साइंस एडवांसेज’ में प्रकाशित किया गया है. इसमें कहा गया है कि नौ फीसदी से कम अमेरिकियों ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार अभियान के दौरान फेसबुक पर ‘फर्जी खबरों’ के लिंक शेयर किए. हालांकि, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि यह प्रवृत्ति 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा आम थी.
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर जोशुआ टकर ने कहा, ‘फर्जी खबरों की घटना में व्यापक दिलचस्पी के बावजूद, कौन ऐसी खबरों को शेयर करता है उसके बारे में हम बहुत कम जानते हैं.’ टकर ने कहा, 'शायद सबसे महत्वपूर्ण बात जो हमने पाई कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार के दौरान फेसबुक पर इस तरह की सामग्री को साझा करना अपेक्षाकृत दुर्लभ गतिविधि थी.’
सर्वेक्षण कंपनी यूजीओवी द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि सिर्फ 8.5 फीसदी लोगों ने फेसबुक के माध्यम से फर्जी समाचार साइटों से लिंक को शेयर किया. इसमें पाया गया कि 18-29 आयु वर्ग के सिर्फ तीन फीसदी लोगों ने फर्जी समाचार साइटों से लिंक को साझा किया जबकि 65 से अधिक आयु वर्ग में यह आंकड़ा 11 फीसदी था.
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