त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. रविवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पश्चिम त्रिपुरा जिलों में रैलियों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां के लोगों को ही राज्य के पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.
गडकरी ने गोमती में एक जनसभा में कहा, 'मैं मुख्यमंत्री माणिक सरकार या उनके मंत्रिमंडल को आपके पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराऊंगा. बल्कि मैं आपको जिम्मेदार मानूंगा क्योंकि आपने 25 सालों में कोई बदलाव नहीं किया.'
गडकरी ने आगे कहा, 'यहां अस्पताल हैं, लेकिन डॉक्टर नहीं. आपको स्कूल मिल जायेंगे लेकिन शिक्षक नहीं. राज्य में एक भी अच्छा उद्योग नहीं है और रोजगार सृजन के मुद्दे की अनदेखी बनी हुई है.' उन्होंने कहा, 'अगर भाजपा सत्ता में आयी तो वो राज्य में निवेश लाने और युवाओं के वास्ते रोजगार सृजित करने की पहल करेगी.'
इससे पहले पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी त्रिपुरा में दो रैलियों को संबोधित किया था. त्रिपुरा में 1993 से ही कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है. इस बार यहां सीधी टक्कर मोदी और मुख्यमंत्री माणिक सरकार के बीच है. बीजेपी ने इस बार 'चलो पल्टी' का नारा दिया है, जिसका मतलब है 'आओ बदलाव लाएं'.
बीजेपी का आरोप है कि यहां की सरकार पिछले 24 साल में कोई बदलाव नहीं लाई है. 60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा के लिए 18 फरवरी को चुनाव होने वाले हैं, जिसके लिए भाजपा और आईपीएफटी ने हाथ मिलाया है. भाजपा 51 और आईपीएफटी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. आईपीएफटी एक जनजातीय पार्टी है. 3 मार्च को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे.
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