पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल सत्यपाल मलिक को पत्र लिखा. पीडीपी की तरफ से यह पत्र राज्यपाल कार्यालय को फैक्स किया गया है. हालांकि मुफ्ती ने ट्वीट किया कि यह फैक्स गर्वनर ऑफिस ने रिसीव नहीं किया है और राज्यपाल भी फोन नहीं उठा रहे हैं. हालांकि मुफ्ती रात करीब 9 बजे राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी.
मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा, 'जैसा कि आप जानते हैं कि राज्य विधानसभा में 29 विधायकों के साथ पीडीपी सबसे बड़ी पार्टी है. मीडिया के जरिए आपको जानकारी मिल ही गई होगी कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस पीडीपी के साथ सरकार बनाने पर सहमत हो गए हैं. एनसी के पास 15 और कांग्रेस के पास 12 विधायक हैं. इस तरह हमारे पास कुल 56 विधायकों का समर्थन है. मैं अपनी पार्टी की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश करती हूं.' इससे पहले दिन में खबर आई थी कि पीडीपी नेता अल्ताफ बुखारी को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
Have been trying to send this letter to Rajbhavan. Strangely the fax is not received. Tried to contact HE Governor on phone. Not available. Hope you see it @jandkgovernor pic.twitter.com/wpsMx6HTa8
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) November 21, 2018
जम्मू-कश्मीर में नई सरकार के गठन को लेकर महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), उमर अबदुल्ला की अध्यक्षता वाली नेश्नल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस साथ आ रहे हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्य की सियासत में धुर विरोधी मानी जाने वाली एनसी और पीडीपी ने बीजेपी को रोकने के लिए साथ आने का फैसला किया है.
सूत्रों ने साथ ही बताया कि तीनों दलों की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए अल्ताफ बुखारी के नाम पर सहमति बनी है. उन्होंने बताया कि तीनों पार्टियों के नेता जल्द ही राज्यपाल सत्यपाल मलिक से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.
पीडीपी के पास 28 विधायक हैं जबकि नेशनल कांफ्रेंस के पास 15 और कांग्रेस के 12 विधायक हैं. तीनों पार्टियों के पास कुल मिलाकर 55 विधायक हैं जो कि बहुमत के आंकड़े से काफी ज्यादा है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 89 सीटें हैं.
मार्च 2015 में पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार बनी थी. तब मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद बने थे, उनके निधन के बाद महबूबा मुफ्ती सीएम बनीं. इस साल 16 जून को पीडीपी-बीजेपी गठबंधन से बीजेपी अलग हो गई थी. जिसके बाद से यहां राज्यपाल शासन लगा हुआ है. 19 दिसंबर को राज्यपाल शासन के छह महीने पूरे हो जाएंगे. इसे और अधिक बढ़ाया नहीं जा सकता है. 19 दिसंबर तक यदि कोई पार्टी सरकार बनाने पर सहमत नहीं होती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लाया जा सकता है.
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