सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर के मूल्य में चार रुपए प्रति माह की वृद्धि करने के सरकार के कदम का कड़ा विरोध करते हुए विपक्षी दलों ने कहा है कि सरकार एक तरफ तो अधिक से अधिक आबादी तक रसोई गैस सुविधा पहुंचा रही है वहीं इसके दाम बढ़ाकर आम आदमी की कमर तोड़ रही है. विपक्ष का यह भी मानना है कि सरकार कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा रही है.
रसोई गैस की कीमत में चार रुपए प्रति माह बढ़ाने के सरकार के कदम के बारे में पूछे जाने पर सीपीआई नेता डी राजा ने भाषा से कहा , ‘वे चार रुपए प्रति माह की वृद्धि को लागू करना चाहते हैं, ताकि इसके मूल्य को किसी निश्चित समयावधि के भीतर बाजार मूल्य स्तर के बराबर लाया जा सके. साथ ही रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके.’
उन्होंने कहा कि यह भी एक विडंबना है कि उन्होंने पेट्रोल और डीजल को तो जीएसटी के दायरे के बाहर रखा है किंतु रसोई गैस को इसके तहत रख दिया है. इस बात को लेकर अभी तक अस्पष्टता बनी हुई है कि पेट्रोलियम पदार्थों को किस तरह से करों के दायरे में रखें.
राजा ने कहा कि मूलभूत बात है कि उन्होंने प्रशासनिक मूल्य प्रणाली को खत्म कर दिया है. अब मूल्य निर्धारण का काम पेट्रोलियम विपणन कंपनियों पर छोड़ दिया गया है ताकि अंतरराष्ट्रीय बजार के उतार चढ़ाव के अनुसार उनके दाम तय किए जा सके.
किंतु जब कच्चे तेल के अंतराष्ट्रीय दाम कम होते हैं तो भारतीय तेल कंपनियां उनका लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाती हैं. किंतु जब दाम बढ़ते हैं तो वे उसका बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं.
उन्होंने कहा, ‘अब सरकार ने तेल कंपनियों से कहा है कि रसोई गैस सिलेंडर की कीमत प्रति माह चार रुपए बढ़ाई जाए.’ राजा ने कहा कि उनकी पार्टी ने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया था. उन्होंने कहा कि हमने संसद में जीएसटी के तहत चर्चा के लिए नोटिस भी दिया था.
आम आदमी विरोधी है सरकार
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई ने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोग केवल कार्पोरेट सेक्टर के हित के बारे में सोचते हैं. उन्हें आम आदमी के फायदे नुकसान से कोई लेना देना नहीं है.
दलवई ने कहा कि एक तरफ तो नरेंद्र मोदी सरकार गरीबों को रसोई गैस मुहैया कराने के लिए योजना चला रही है. वहीं दूसरी तरफ हर महीने चार रुपए रसोई गैस की कीमत बढ़ाने का निर्देश दे रही है. ऐसे में सरकार के इस कदम से सबसे ज्यादा असर किस पर पड़ेगा? इस कदम से सबसे ज्यादा गरीब आदमी और मध्यम वर्ग के लोगों पर असर पड़ेगा.
कांग्रेस के नेता राजीव शुक्ला ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि अब सरकार कह रही है कि रसोई गैस पर प्रति महीने चार रुपए बढ़ाने का जो कदम है यह यूपीए सरकार का फैसला है. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार का फैसला तब का था जब कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम 120 डालर प्रति बैरल थे. यह फैसला उस समय नहीं लिया गया जब आज की तरह कच्चे तेल के दाम इतने कम हैं.
उल्लेखनीय है कि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले सप्ताह एक प्रश्न के लिखित जवाब में लोकसभा को बताया था कि सरकार ने तेल विपणन कंपनियों को सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम चार रुपए प्रति माह बढ़ाने के निर्देश दिए हैं.
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