संसद के मॉनसून सत्र के आगाज होने से पहले ही तकरार के आसार दिखने लगे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आगामी सत्र में महिला आरक्षण बिल पास करने की मांग कर दी है. उधर, कांग्रेस दूसरे विपक्षी दलों को भी साथ लाने की कोशिश कर रही है.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने इस बाबत दूसरे दलों के नेताओं को भी साथ लाने की कोशिश की है. विपक्ष की मीटिंग के जरिए कांग्रेस चाहती है कि सरकार को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा जाए. लिहाजा सभी विरोधी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश हो रही है. कम-से-कम कुछ मुद्दों पर एक राय बनाकर सरकार को घेरने की तैयारी हो रही है.
इन मुद्दों पर सरकार को घेर सकता है विपक्ष
यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी विपक्षी दलों की बैठक से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकत कर मॉनसून सत्र की रणनीति पर चर्चा की. फिलहाल कांग्रेस के एजेंडे में सरकार को घेरने के लिए कई तीर हैं. मसलन, देश भर में बैंकिंग सेक्टर में होने वाले फ्रॉड को मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने की कोशिश होगी. नीरव मोदी मामले को लेकर कांग्रेस पहले से ही मोदी सरकार पर हमलावर रही है. अब तैयारी संसद के भीतर इस मुद्दे को फिर से उठाने की है.
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देश के अलग-अलग हिस्सों से महिलाओं और बेटियों के साथ हो रहे जुल्म को लेकर देश भर में रोष है. हालांकि सरकार की तरफ से इसको लेकर सख्त कार्रवाई और सख्त कानून की बात तो की जाती रही है, लेकिन, इस पूरे मामले को महिला सुरक्षा से जोड़कर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश करने वाली है.
इसके अलावा कश्मीर के हालात और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को उठाकर कांग्रेस केंद्र सरकार पर नाकामी का ठीकरा फोड़ने की तैयारी में है.
जारी रहेगा टीडीपी का आक्रामक रवैया
हालांकि कांग्रेस के अलावा दूसरे विपक्षी दलों ने भी एक साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी की तैयारी की है. लेफ्ट ने पहले ही सांप्रदायिक माहौल खराब होने और मॉब लिंचिंग की घटना को लेकर सरकार के खिलाफ हमला बोलने का फैसला किया है. इस मुद्दे पर उसे सभी विपक्षी दलों का समर्थन हासिल होने वाला है.
उधर, एनडीए से अलग होने के बाद टीडीपी आंध्र प्रदेश के मुद्दे को लेकर फिर से सरकार के खिलाफ हंगामा करने की तैयारी में है. टीडीपी ने पिछले सत्र के दौरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया था. इस बार फिर से कुछ उसी तरह का माहौल संसद में देखने को मिल सकता है.
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आंध्र प्रदेश की राजनीति में बढ़त लेने की कोशिश में टीडीपी सरकार के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकती है. टीडीपी के आक्रामक तेवर को देखकर इस मुद्दे पर वाईएआर कांग्रेस और कांग्रेस भी इस मुद्दे को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रामक रवैया अपना सकते हैं जैसा कि पिछले सत्र के दौरान किया था.
उपसभापति के चुनाव में दिखेगा शक्ति प्रदर्शन
हालांकि विपक्षी दलों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा राज्यसभा के उपसभापति का चुनाव है. एक जुलाई को उपसभापति पी जे कुरियन का कार्यकाल खत्म होने के बाद अब इस पद के लिए चुनाव होना है. इस पद पर टीएमसी या एनसीपी अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकती है. माना जा रहा है कि टीएमसी की तरफ से इस पद के लिए राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय का नाम सामने आ सकता है.
अगर टीएमसी अपना उम्मीदवार खड़ा करती है तो कांग्रेस उसके उम्मीदवार को समर्थन दे सकती है. लेकिन, कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इसके बदले में टीएमसी के साथ सौदा करने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस चाहती है कि लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में टीएमसी उसके साथ गठबंधन करे और गठबंधऩ में उसके लिए बारह सीटें छोड़े. इसके बदले में कांग्रेस उसके उम्मीदवार को उपसभापति के चुनाव में समर्थन करेगी.
हालांकि सरकार की तरफ से बीजेडी, एआईएडीएमके जैसे दलों को साथ लाने की तैयारी हो रही है. अगर इनका समर्थन मिल जाता है तो सरकार की तरफ से उपसभापति के लिए शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल उम्मीदवार हो सकते हैं. हालांकि सूत्रों के मुताबिक, हो सकता है कि संसद के मॉनसून सत्र में उपसभापति का चुनाव भी न हो, फिर भी दोनों पक्ष अपनी-अपनी तैयारी में लगे हैं.
सरकार की तरफ से मौजूदा सत्र में तीन तलाक बिल, पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल और बलात्कार के दोषियों को सख्त सजा के प्रावधान वाला बिल पास कराने की पूरी कोशिश होगी. लेकिन, विपक्षी दलों की सरकार को घेरेबंदी की तैयारी से लगता है कि सरकार के लिए इन बिलों को पास कराना आसान नहीं होगा.
कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष को लगता है कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले संसद का हर सत्र अब महत्वपूर्ण रहने वाला है. संसद में सरकार को घेरकर बढ़त बनाने के लिए विपक्ष की पूरी कोशिश होगी. ऐसे में संसद में बहस से ज्यादा हंगामे की संभावना ज्यादा नजर आ रही है.
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