दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि आम आदमी पार्टी के विधायक चुनाव आयोग को इस बात के लिए मजबूर नहीं कर सकते कि संसदीय सचिव के रूप में उनकी नियुक्ति को ‘लाभ का पद’ बताने का आरोप लगाने वाले व्यक्ति से पूछताछ की जाए.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्र शेखर की पीठ ने कहा कि यह साबित करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है कि आप विधायकों ने लाभ का पद ग्रहण किया और विधायक यह नहीं कह सकते कि वे शिकायतकर्ता से पूछताछ करेंगे.
पीठ ने कहा, ‘कानूनी स्थिति के अनुसार, आप चुनाव आयोग को (शिकायतकर्ता) प्रशांत पटेल को बुलाकर उनसे पूछताछ करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. विवाद बहुत सीमित है. चुनाव आयोग शिकायतकर्ता की शिकायत पर भरोसा नहीं कर रहा है, वह दस्तावेजों पर भरोसा कर रहा है.’
एक आप विधायक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने कहा कि उन्हें पटेल से पूछताछ और गवाहों को बुलाने की अनुमति मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वे विधानसभा के महासचिव और प्रशासन विभाग, एकाउंट और कानून मंत्रालय के संबंधित अधिकारियों को गवाहों के रूप में बुलाकर यह साबित करना चाहते हैं कि आप विधायक लाभ के पद पर काबिज नहीं थे.
आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद निगम ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि दस्तावेजों की विश्वसनीयता को लेकर कोई विवाद नहीं है और यह पूरी तरह से दस्तावेजों की व्याख्या का मामला है. कुछ समय के लिए मामले की सुनवाई करने के बाद पीठ ने मामले की सुनवाई नौ अगस्त तक स्थगित कर दी.
हाईकोर्ट ने 23 मार्च के अपने फैसले में चुनाव आयोग की आप विधायकों को अयोग्य ठहराने की सिफारिशों को ‘कानून की नजर में गलत’ बताया था और उससे मामले को नए सिरे से सुनने का निर्देश दिया था.
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