बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा है कि ‘एनआरसी का मुद्दा हमारे लिए चुनावी मुद्दा नहीं है. लेकिन, इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार ने ही हिम्मत दिखाई.’ न्यूज 18 इंडिया के विशेष कार्यक्रम ‘बैठक’ में शिरकत करते हुए बीजेपी महासचिव ने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया की शुरुआत तो 1951 में ही हुई थी. लेकिन, उस मुद्दे पर आगे काम नहीं हुआ.
दरअसल पहले टीएमसी नेता ममता बनर्जी से लेकर और भी कई नेताओं ने पहले इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए घुसपैठियों की समस्या को लेकर आवाज उठाई है. लेकिन, आज एनआरसी के मुद्दे पर उनके सुर अलग हैं. यही वजह है कि बीजेपी उन्हें घेरने की कोशिश कर रही है. बीजेपी बार-बार सवाल खड़ा कर रही है जिस कांग्रेस के समय में एनआरसी के मुद्दे पर आगे बढ़ने की बात हुई थी, वही कांग्रेस अब एनआरसी के मुद्दे पर विरोध क्यों कर रही है ?
हालांकि शुरू में विरोध के बाद कांग्रेस के भी सुर में कुछ नरमी आई है. कांग्रेस को लगने लगा है कि एनआरसी के मुद्दे पर उसके हाथ से मुद्दा खिसकता जा रहा है. असम समेत पूरे नॉर्थ-ईस्ट की जमीनी हकीकत का अंदाजा लगते ही कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अपने रुख में परिवर्तन करते हुए असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को आगे कर दिया.
बीजेपी इसी मुद्दे को आगे बढ़ा रही है. बीजेपी बार-बार यही कह रही है कि एनआरसी के मुद्दे पर काम करने और खुलकर बोलने की हिम्मत सिर्फ हमने दिखाई है. बीजेपी महासचिव राम माधव भी उसी बात को दोहराते नजर आए.
हालांकि राम माधव ने साफ कर दिया कि आज की तारीख में वे सभी 40 लाख लोग घुसपैठिए नहीं माने जाएंगे, क्योंकि अभी भी उनके पास सितंबर के आखिर तक अपने-आप को देश का नागरिक साबित करने का वक्त है. उसके बाद फाइनल डॉक्यूमेंट आएगा, तब बाकी बचे हुए उन लोगों को घुसपैठिए कहा जाएगा जो कि अपनी नागरिकता नहीं साबित कर पाए.
हालांकि एनआरसी के मुद्दे पर आगे बढ़ने और बीजेपी के अपने कोर मुद्दे को भूल जाने के सवाल पर बीजेपी महासचिव ने कहा कि ‘हर चीज का नंबर आएगा. राम माधव ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मुद्दे पर सुनवाई चल रही है, जिस दिन इस पर फैसला आ जाएगा, उस पर आगे बढ़ा जाएगा. उसी तरह 35 ए पर इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में एक्टिव बहस चल रही है.’
#Baithak | 'BJP Ka ‘Ram’Baan' -- @BJP4India's National General Secretary @rammadhavbjp in conversation with @awasthis | #RamMadhavAtBaithak
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— News18 (@CNNnews18) August 7, 2018
जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती सरकार से अलग होने के फैसले का भी राम माधव ने बचाव किया है. राम माधव जम्मू-कश्मीर के प्रभारी भी रहे हैं. पीडीपी के साथ गठबंधन के दौरान उनकी बडी भूमिका रही है. उन्होंने साफ कर दिया कि ‘जिस दिशा में महबूबा मुफ्ती जा रही थी, उस दिशा में जाना संभव नहीं था, जिसके कारण सरकार से अलग होने का फैसला किया गया.’
कार्यक्रम के दौरान राम माधव ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के संसद के भीतर प्रधानमंत्री से गले मिलने को सियासी फायदे के लिए किया गया ड्रामा बताया. राम माधव ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि यह पहले से ही तय था.
इस वक्त देश के कई भागों में लिंचिंग की घटना सामने आ रही है. इस मुद्दे को लेकर कई बार प्रधानमंत्री ने भी अपनी तरफ से सख्त हिदायत भी दी है. लेकिन, कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष इस तरह की घटनाओं के लिए बीजेपी और संघ के लोगों को जिम्मेदार ठहराता रहा है. राम माधव ने विपक्ष से इस मुद्दे पर सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि जहां भी लिंचिंग की घटना होती है, वहां कार्रवाई होती है, लेकिन, जब राजस्थान में घटना होती है तो विपक्ष हो-हंगामा करता है लेकिन, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में इस तरह की घटना होती है तो विपक्ष चुप क्यों रहता है ? उसके लिए जिम्मेदार कौन है ?
बीजेपी पूरी तरह से 2019 की तैयारी को लेकर इस वक्त लगी हुई है. विपक्ष की तरफ से हर मुद्दे पर बीजेपी को घेरा जा रहा है, लेकिन, राम माधव ने दावा किया कि 2019 में भी देश के लोग हमारे साथ रहने वाले हैं.
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