केरल में निकाय उपचुनावों में सत्ताधारी सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) का जलवा पूरी तरह से बरकरार रहा है. न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार एलडीएफ ने 39 में से 21 सीटें जीती हैं जबकि कांग्रेस नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) को 12 सीटें मिली हैं. सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ आक्रामक बीजेपी के लिए नतीजे अच्छे नहीं रहे. उसे केवल 2 सीटें मिली हैं. नतीजों का ऐलान बीते शुक्रवार को हुआ है.
एलडीएफ ने अपनी सीटें बरकरार रखीं
सबरीमाला मंदिर मामले के सुर्खियों में आने के बाद राज्य में पहली बार कोई चुनाव हुआ था. हालांकि नतीजों से पहले राजनीतिक विश्लेषक उम्मीद जता रहे थे कि सबरीमाला मंदिर मामले के चलते हिंदुओं की नाराजगी का फायदा बीजेपी को मिल सकता है. वहीं एलडीएफ को नुकसान झेलना पड़ सकता है तो यूडीएफ के वोट बीजेपी के पास जा सकते हैं. हालांकि नतीजे सामने आने के बाद ये सब दावे गलत साबित हो गए. सत्ताधारी एलडीएफ ने न केवल अपनी सीटें बरकरार रखीं बल्कि वोट प्रतिशत भी जानदार तरीके से बढ़ाया.
सबरीमाला मंदिर पर प्रदर्शन के चलते काफी बड़ा असर हुआ है
बीजेपी की सीट एक से बढ़कर 2 हो गई. कागजों में देखने पर लगता है कि यह 100 प्रतिशत का इजाफा है लेकिन हकीकत में तस्वीर बिल्कुल अलग है. केरल बीजेपी अध्यक्ष श्रीधरन पिल्लई ने बताया कि सबरीमाला मंदिर पर प्रदर्शन के चलते काफी बड़ा असर हुआ है. उन्होंने कहा कि यह इदुक्की, अलापुझा और पथनमथिट्टा जिलों में वोट प्रतिशत बढ़ने से भी दिखाई दे रहा है.
कट्टर मुस्लिम सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी को भी 2 वार्ड मिले हैं
बीजेपी ने थ्रिसूर जिले के पराप्पुक्करा में अपना वार्ड गंवा दिया है. यह वार्ड एलडीएफ ने जीता है. हालांकि थ्रिसूर जिले में बीजेपी को लोकसभा चुनावों में वोट प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. पथनमथिट्टा जिले में भी ऐसा ही रहा है. यहां पर पांडलम राजघराने का प्रभाव है. बीजेपी यहां पर दो वार्ड में तीसरे नंबर पर रही है. कट्टर मुस्लिम सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी को भी 2 वार्ड मिले हैं. बता दें कि इस पार्टी पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी के साथ गठजोड़ का आरोप लगता रहा है.
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