यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर की हार पर अपनी चुप्पी तोड़ी है. योगी आदित्यनाथ ने न्यूज 18 के राइजिंग इंडिया समिट में गोरखपुर की हार पर बोलते हुए कहा कि ‘यह अतिआत्मविश्वास की हार है. योगी ने कहा कि जब भी अतिआत्मविश्वास में काम करेंगे और मान लेंगे कि यह तो हमारी है, तो आप पुरुषार्थ करना भूल जाएंगे तो यही होगा.’
योगी ने गोरखपुर और फूलपुर की हार पर कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता यह समझ बैठे की यह तो सीएम और डिप्टी सीएम की सीट है यहां तो जीत निश्चित है, इसलिए कुछ लोग मतदान करने नहीं गए, जिसके कारण दोनों ही सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.
उन्होंने कहा हर जीत प्रेरणा देती है, लेकिन, हर हार हमें सबक देती है. ऐसे में हम गोरखपुर की हार से सबक लेकर आगे बेहतर करने का प्रयास करेंगे.
2019 में सभी 80 सीटें जीतने का किया दावा
हालांकि उपचुनाव में हार के बावजूद भी योगी अभी भी आत्मविश्वास से लबरेज दिखने की कोशिश कर रहे हैं. गोरखपुर जैसे मजबूत गढ़ के ध्वस्त होने के बावजूद योगी आदित्यनाथ ने 2019 में यूपी की 80 की 80 सीटों पर जीतने का दावा कर दिया.
उपचुनाव में हार का कारण एसपी-बीएसपी के बीच गठबंधन का होना माना जा रहा है. फिर भी योगी अगले लोकसभा चुनाव में अखिलेश, मायावती और कांग्रेस के बीच संभावित गठजोड़ की संभावना को अपने लिए कोई खतरा नहीं मान रहे हैं.
योगी ने कहा कि इस उपचुनाव ने साबित कर दिया है कि ‘इन तीनों में से किसी में अकेले बीजेपी से मुकाबला करने की ताकत नहीं है. इसीलिए मिल कर लड़ रहे हैं.’ उन्होंने इन तीनों दलों को चुनौती देते हुए कहा कि पहले तय कर लें कि अखिलेश, मायावती और राहुल गांधी में से उनका नेता कौन है, फिर वो चुनाव लड़ने आएं.
गोरखपुर की हार के पीछे कहा जा रहा है कि बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ला योगी की पसंद के नहीं थे, लिहाजा वहां भी पार्टी के भीतर की गुटबाजी हावी रही. इस पर योगी आदित्यनाथ ने न्यूज 18 समिट के दौरान कहा कि कैंडिडेट को लेकर बीजेपी में कोई ऐसी बात नहीं थी, सबकुछ डेमोक्रेटिक तरीके से हुआ था.
हार से सबक लेकर योगी अब नई रणनीति की बात कर रहे हैं. उनका कहना है कि अब वक्त आने पर इस रणनीति को हम अपनाएंगे, लेकिन, बीजेपी की भावी रणनीति का खुलासा करने से वो कतरा रहे हैं.
योगी आदित्यनाथ कुछ भी कहें लेकिन, गोरखपुर की हार ने बीजेपी आलाकमान को भी अंदर तक झकझोर दिया है. अभी हाल ही में राजस्थान की दो लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में मिली हार ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी थीं. वहां चुनाव नतीजे को राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ गुस्से के तौर पर देखा जा रहा था.
गोरखपुर में हार से बढ़ गई है बीजेपी की चिंता
लेकिन, बीजेपी के लिए गोरखपुर और फूलपुर की सीट प्रतिष्ठा की सीट बन गई थी. उसमें भी गोरखपुर की सीट तो और भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी. क्योंकि 1989 से लगातार इस सीट पर गोरखधाम मंदिर के महंत का कब्जा रहा है. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यहां से 1998 से सांसद रहे हैं. यहां चुनाव उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद सांसद पद से इस्तीफे के बाद हुआ था, ऐसे में इस हार को हल्के में नहीं लिया जा सकता.
बीजेपी के विरोधियों को इस हार ने एक संजीवनी दे दी है. उन्हें लगने लगा है कि अगर सब मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ें तो फिर बीजेपी को 2019 में मात दी जा सकती है.
बीजेपी के रणनीतिकारों की भी चिंता बढ़ गई है क्योंकि उन्हें भी पता है कि पिछली बार यूपी की 80 में से 73 सीटों को जीतने के बाद ही अपने दम पर सत्ता मिली थी. लेकिन, जनता का मूड अगर इस बार अगर वैसा नहीं रहा तो फिर मुश्किलें हो सकती हैं.
लेकिन, बीजेपी को प्रधानमंत्री मोदी से उम्मीद है. मोदी उपचुनाव में प्रचार के लिए नहीं गए थे. पार्टी नेताओं को लग रहा है कि 2019 में लड़ाई मोदी बनाम कौन की होगी, ऐसे में फिर मोदी के नाम पर जनता बीजेपी का साथ देगी.
लेकिन, योगी भी इस बात को समझ रहे हैं. उन्हें भी ऐसा लग रहा है कि उपचुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़ा गया था, न कि प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर. ऐसे में इस हार को सीधे योगी की हार के तौर पर ही देखा जा रहा है. चुनाव परिणाम ऐसे वक्त आया है, जब योगी सरकार 19 मार्च को अपना एक साल पूरा कर रही है. लिहाजा, योगी के माथे पर चिंता की लकीरें जरूर हैं. यह अलग बात है कि वो अपने गम को भुलाकर चिंतन करने और यूपी की सभी सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं.
हिंदुत्व के झंडाबरदार रहे योगी आदित्यनाथ अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर भी श्री श्री रविशंकर के प्रयास का स्वागत कर रहे हैं. लेकिन, उन्होंने राम जन्म भूमि मुद्दे को आस्था से जुड़ा मुद्दा बताकर राम मंदिर बनने की उम्मीद जताई.
सांप्रदायिक सौहार्द पर खुलकर बोले योगी
योगी ने यूपी में सांप्रदायिक सौहार्द के मुद्दे पर भी खुलकर अपनी बात कही. योगी ने अपनी सरकार के एक साल पूरा होने के मौके पर कहा कि पिछले एक साल में यूपी में कहीं भी दंगा नहीं हुआ है.
यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के बीजेपी के लोगों को ड्रामेबाज कहने वाले बयान पर भी इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने पलटवार किया. योगी ने पलटवार करते हुए कहा कि वो पहले कहते थे कि वो एक्सीडेंटल हिंदू हैं, लेकिन, उन्हें मंदिर-मंदिर क्यों घूमना पड़ा. वे खुद ड्रामेबाज हैं. कांग्रेस हताश है और उनकी हताशा को हम समझ सकते हैं.
योगी फायरब्रांड नेता रहे हैं. हिंदुत्व के पोस्टर ब्वाय के तौर पर उनकी पहचान रही है. अपने बयानों से सुर्खियों में भी रहते हैं और विवादों में भी. लेकिन, इस हार ने उनके लिए बडा सबक दिया है. हार से सबक लेकर आगे बढ़ने का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ अगर सही में आत्मचिंतन करें तो फिर उनके लिए और उनकी पार्टी के लिए बेहतर होगा, वरना इस हार को हल्के में लेकर टालने की कोशिश उनपर भारी पड़ सकती है.
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