live
S M L

सांसदों और विधायकों को भी आचार संहिता की जरूरतः वैंकेया नायडू

यह सही समय है जब कि हमें सभी राज्यों की विधानसभाओं में उच्च सदन की जरूरत को देखते हुए इनके गठन के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने पर विचार और फैसला करना चाहिए

Updated On: Sep 03, 2018 09:02 AM IST

Bhasha

0
सांसदों और विधायकों को भी आचार संहिता की जरूरतः वैंकेया नायडू

उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने संसदीय प्रणाली में उच्च सदन के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि विधान परिषदों का विस्तार अब सभी राज्यों की विधायिका तक होना चाहिए.

नायडू ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में एक साल के कार्यकाल के अनुभवों पर आधारित अपनी पुस्तक ‘मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड’ के विमोचन कार्यक्रम में कहा ‘यह सही समय है जब कि हमें सभी राज्यों की विधानसभाओं में उच्च सदन की जरूरत को देखते हुए इनके गठन के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाने पर विचार और फैसला करना चाहिए.’

नायडू ने ये भी कहा कि अगर जनता का भरोसा राजनीती और उनके संगठनों पर बनाए रखना है सांसदों और विधायकों को भी आचार संहिता का पालन करना होगा. सिर्फ इतना ही नहीं पार्टी के सभी सदस्यों के लिए आचार संहिता जरूरी है. नायडू की इस बात से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री मोदी ने भी बताया की उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू को हमेशा से ही अनुशासन में रहना पसंद है. पार्टी के दूसरे लोग भी उनसे प्रेरणा लेते हैं. हालांकि हमारे देश में अनुशासन को प्रजातंत्र से कभी नहीं जोड़ा जाता है. अगर कोई अनुशासन में रहना पसंद करता है तो उसे निरंकुश समझा जाता है.

नायडू ने संसदीय व्यवस्था में समय की मांग के मुताबिक माकूल बदलाव की जरूरत का हवाला देते हुए कहा कि उच्च सदन विधायिका में संतुलन की अनिवार्य कड़ी है. उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है जिस पर समय रहते ध्यान दिया जाना चाहिए. इस दिशा में कुछ राज्यों में उच्च सदन के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है.

नायडू ने कहा कि इस दिशा में एक सार्वभौमिक नीति बनाकर आगे बढ़ने के लिए यह उपयुक्त समय है. उल्लेखनीय है कि देश के सात राज्यों, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र की विधायिका दो सदन वाली है.

इन राज्यों की विधायिका में विधान परिषद उच्च सदन के रूप में और विधानसभा निम्न सदन के रूप में कार्य करता है. संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत किसी भी राज्य की विधानसभा उच्च सदन के रूप में विधानपरिषद के गठन का प्रस्ताव दो तिहाई बहुमत से पारित कर संघीय संसद के समक्ष भेज सकती है.  इस प्रस्ताव को अनुच्छेद 171 के तहत संसद के दोनों सदनों से साधारण बहुमत से पारित किए जाने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर उक्त राज्य में विधान परिषद का गठन किया जा सकता है.

राजस्थान और असम की विधानसभा द्वारा पारित इस आशय के प्रस्तावों को संसद से मंजूरी का इंतजार है. वहीं, तमिलनाडु और ओडिशा में भी यह कवायद फिलहाल प्रक्रिया के दौर में है. पश्चिम बंगाल सरकार ने भी विधान परिषद के गठन के लिये 2011 में विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया था.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi