विधायकों और सांसदों से संबंधित 1500 से अधिक मामलों के निपटारे के लिए 12 विशेष अदालतों को चलाने पर करीब 8 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का खर्च आएगा. कानून मंत्रालय ने कैबिनेट सचिवालय को यह जानकारी दी है.
कानून मंत्रालय में सचिव (न्याय) ने इस महीने की शुरुआत में कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कहा था कि ‘प्रति वर्ष 12 अदालतों के संचालन के लिए 7.8 करोड़ रुपए का अनुमानित व्यय तैयार किया गया है. राज्यों को आनुपातिक राशि का आवंटन करने का काम किया जा रहा है, जहां ये अदालतें स्थापित की जाएंगी.’
सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को मंजूरी देते हुए केंद्र को उन राज्य सरकारों को राशि आवंटित करने का निर्देश दिया था, जहां ये विशेष अदालतें स्थापित की जानी हैं.
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों के निपटारे के लिए विशेष अदालतों के गठन का आदेश दिया था. कोर्ट ने 1,581 लंबित मामलों के निपटारे के लिए 12 विशेष अदालतें स्थापित करने से संबंधित एक योजना पेश करने का निर्देश भी दिया था.
जहां ये 12 अदालतें स्थापित की जाएंगी उन राज्यों को दी जाने वाली राशि के हिस्से को लेकर काम किया जा रहा है. लंबित मामलों के जल्द निपटारे के लिए 1 मार्च से ये अदालतें शुरू होनी हैं.
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