प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में विपक्ष के कई आरोपों का जवाब दिया. बेरोजगारी, आर्थिकी, महिला सशक्तीकरण, एनआरसी और जीएसटी से लेकर भारत-पाक संबंधों पर भी पीएम ने अपनी राय रखी.
समूचा विपक्ष कई वर्षों से नरेंद्र मोदी नित केंद्र सरकार को रोजगार के मुद्दे पर संसद से लेकर बाहर तक घेरता रहा है. इसके जवाब में पीएम ने कहा कि पिछले एक साल में 1 करोड़ से ज्यादा रोजगार दिए गए हैं, इसलिए इस मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा गैर-वाजिब है.
पीएम ने एनआरसी के मुद्दे पर लोगों को भरोसा दिलाया कि अपनी नागरिकता साबित करने का मौका जरूर दिया जाएगा. महागठबंधन को लेकर भी बात हुई. भारत-पाक संबंधों पर पीएम ने जोर देकर कहा कि रिश्ते तभी प्रगाढ़ होंगे, जब सरहद के दोनों तरफ अमन-चैन कायम हो.
रोजगार और बेरोजगारी का मुद्दा
पीएम ने रोजगार को देश की तेज बढ़ती आर्थिकी से जोड़ा और कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के गिने-चुने देशों में शामिल है जहां इतनी तेजी से विकास हो रहा है. ऐसे में रोजगार क्यों नहीं बढ़ेगा? सड़कों का जाल बिछ रहा है, रेल लाइनों का विस्तार हो रहा है, बिजली में तेजी से काम हो रहा है, फिर रोजगार क्यों नहीं बढ़ेंगे? पीएम ने कहा, देश में विदेशी पूंजी की आमद रिकॉर्ड स्तर पर है, तो क्या इससे मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार वृद्धि में तेजी नहीं आएगी?
पीएम ने सवालिया लहजे में कहा, जब देश में मोबाइल बनाने वाली कंपनियां 2 से 120 हो गईं, तो इसका असर क्या रोजगार पर नहीं पड़ेगा? दिनों दिन बढ़ते स्टार्ट-अप्स, देश में विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या, उड्डयन क्षेत्र का विस्तार और 13 करोड़ लोगों को मुद्रा लोन क्या रोजगार में परिणत नहीं होता? बकौल पीएम, साढ़े तीन करोड़ नए उद्यमियों को पहली बार मुद्रा योजना के तहत कर्ज दिए गए, इससे क्या देश में रोजगार नहीं बढ़ेगा?
पीएम ने कर्मचारी भविष्य निधि (इंपलॉयमेंट प्रॉविडेंट फंड) का भी हवाला दिया. प्रधानमंत्री के मुताबिक, ईपीएफ से 45 लाख और बीते 9 महीने में 5.68 लाख लोग पेंशन स्कीम से जुड़े हैं. इन सभी फैक्टर को जोड़ दें तो बीते एक साल में एक करोड़ से ज्यादा रोजगार पैदा हुए हैं. इसलिए बेरोजगारी के नाम पर विपक्ष का भ्रामक प्रचार रुकना चाहिए. लोग अब इसे पसंद नहीं करेंगे.
जीएसटी या गब्बर सिंह टैक्स
जीएसटी को लेकर विपक्ष पीएम मोदी पर रुख बदलने का आरोप लगाता रहा है जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा, यूपीए सरकार के वक्त जीएसटी का विरोध क्यों हो रहा था? इसलिए कि तत्कालीन सरकार राज्यों की बात न सुनकर सिर्फ अपनी बात रख रही थी. गुजरात ही क्या, कई दूसरे राज्य भी थे जिन्हें यूपीए सरकार पर भरोसा नहीं था.
पीएम ने कहा, यूपीए सरकार इस बात पर राजी नहीं थी कि जीएसटी लागू होने के 5 साल के अंदर जो भी घाटा होगा, राज्यों को उसकी भरपाई की जाएगी. जीएसटी का क्रियान्वयन एनडीए सरकार में इसलिए संभव हो सका क्योंकि प्रदेशों को कर की क्षतिपूर्ति पर एक आम राय बन पाई.
पीएम ने कहा, हमारा जीएसटी मॉडल इसलिए स्वीकार हुआ क्योंकि हमें राज्यों की फिक्र थी. उनकी भलाई पर हमने गौर किया. प्रधानमंत्री ने इस बात का भी पुरजोरी से जवाब दिया कि समूचा विपक्ष जीएसटी के खिलाफ है. उन्होंने कहा, कुछ ही विपक्षी पार्टियां हैं जो खिलाफत में हैं क्योंकि उन्हें लोगों को बरगलाना है और विरोध के नाम पर विरोध करना है, बस. योग. आयुष्मान भारत, स्वच्छ भारत, एनआरसी, सर्जिकल स्ट्राइक पर उनका (विपक्ष) क्या नजरिया है, सब लोग देख रहे हैं.
पीएम ने कहा, रही बात गब्बर सिंह टैक्स की तो जिन्होंने पूरी जिंदगी अपने आस-पास डकैतों को देखा हो, जाहिर सी बात है कि वे हमेशा डकैतों के बारे में ही सोचेंगे.
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