दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्कूली छात्रों से रू-ब-रू हो रहे थे. मोदी स्कूली छात्रों को एक्जाम के वक्त और उससे पहले तनाव रहित होने को लेकर कई गुर सिखा रहे थे. लेकिन, इस प्रोग्राम के आखिर में एक स्कूली छात्र ने अगले साल होने वाली उनकी परीक्षा को लेकर ही सवाल कर दिया.
स्कूली छात्रों को आत्मविश्वास से लबरेज रहने की सलाह देने वाले मोदी ने अपनी परीक्षा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में आत्मविश्वास का ही परिचय दिया. उनकी बातों से लग रहा था कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले वो जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के वादे को पूरा कर लेंगे.
पाई-पाई का हिसाब देने का वादा करने वाले मोदी को पांच साल पूरा होने के बाद 2019 में बड़ी परीक्षा में जनता के दरबार में उतरना है. लेकिन, उनके भीतर का आत्मविश्वास उनकी भ्रष्टाचार मुक्त ईमानदार शासन को लेकर है, जिसकी बदौलत वो फिर से जनता के दरबार में हाजिरी लगाने की तैयारी में हैं.
दिल्ली के छात्र गिरीश सिंह के सवाल के जवाब में मोदी ने कहा ‘मैं हमेशा मानता हूं कि आप पढ़ते रहिए, सीखने की कोशिश करते रहिए. भीतर के विद्यार्थी को जितना उर्जावान बनाना चाहते हों, उतना बनाते रहिए. यही जीवन का धर्म बनाकर चलिए. एक्जाम, रिजल्ट और अंक बाई प्रोडक्ट होना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा कि ‘आपने काम किया है, जो रिजल्ट आएगा तो आएगा. अंक के हिसाब से चलने से भी जिन चीजों को आप प्राप्त करना चाहते हैं शायद नहीं प्राप्त कर पाएंगे. राजनीति में भी मैं इन्हीं सिद्धांतों पर चलता हूं कि सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए जितना मेरे पास शक्ति है, समय है, उर्जा है, दिमागी सामर्थ्य है. सबकुछ सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए खपाता रहूं. समय का क्षण-क्षण , शरीर का कण-कण सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए लगाता रहूं. चुनाव आएंगे, जाएंगे यह तो बाई प्रोडक्ट होता है.’
जवाब में चुनावी संकेत
उनके इस जवाब में वो सभी बात छिपी हुई है जिसको लेक विपक्षी दलों की तरफ से उनको घेरा जाता रहा है. नोटबंदी से लेकर जीएसटी तक के कड़े फैसले को लेकर उनकी आलोचना होती रही है. इन कड़वी दवाओं को पिलाने के साइड इफेक्टस के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता. लेकिन, उनके जवाब से साफ है कि इसका ज्यादा असर उनपर नहीं हो रहा है.
वो ईमानदारी के साथ अपने कड़े फैसले के तरीके से ही आगे बढ़ने वाले हैं. एक्जाम और अंक को बाई प्रोडक्ट बताकर उसकी चिंता छोड़ देश सेवा के लिए हर पल और हर क्षण अपने-आप को समर्पित करने की उनकी कोशिश ही उनके भीतर इस तरह आत्मविश्वास को बढ़ाने वाली है जिसकी कमी अक्सर परीक्षार्थियों के भीतर परीक्षा में बैठने से पहले होती है.
मोदी ने इस मौके पर अपने आलोचकों को भी जवाब देने की कोशिश की. अगले साल की परीक्षा को लेकर उनका अपने-आप पर भरोसा इतना ज्यादा है कि बीच-बीच में आने वाले कुछ विपरीत परिणाम को भी वो ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे. इसे बाई प्रोडक्ट बताकर उसको नजरअंदाज ही करते दिख रहे हैं.
लेकिन, ऐसा कर मोदी उन लोगों को संदेश देना चाह रहे हैं जो बीच-बीच में अलग-अलग जगहों पर होने वाले उपचुनाव या किसी स्थानीय निकाय के चुनाव की हार को सीधे उनकी हार से जोड़ने की कोशिश करते हैं. भले ही उन्होंने स्थानीय निकाय चुनाव का जिक्र किया हो, लेकिन, उनकी बातों से साफ झलक रहा था कि राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव की हार के बाद वो उन लोगों को जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं जो इसे मोदी की कम होती लोकप्रियता से जोड़ कर देख रहे हैं.
मोदी यह साफ करना चाहते हैं कि स्थानीय निकाय चुनाव या फिर इस दौरान अलग-अलग जगहों पर हो रहे उपचुनाव से कोई असर नहीं पड़ने वाला. अगले साल जब उनकी असली परीक्षा होगी तो उसमें वो फिर से सफल होकर बाहर निकलेंगे.
फिर से अटल जी की याद
जनसंघ के जमाने की बातों को याद करते हुए मोदी की तरफ से गुजरात के एक चुनाव का हवाला दिया गया जब 103 सीटों में से महज 4 सीटों पर जमानत जब्त होने से बच गई थी. इन्हीं चार सीटों पर जमानत बचाने की खुशी में पार्टी करने और खुशी मनाने को मोदी ने हर छात्र के लिए परिणाम की चिंता त्याग कर अपने काम पर ध्यान देने का गुरु-मंत्र दिया.
छात्रों के ही बहाने उन्होंने अपने विरोधियों को भी एक सख्त संदेश दे दिया है. अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का जिक्र कर मोदी ने अगली लड़ाई के लिए अपनी मंशा फिर से साफ कर दी है. मोदी ने कहा ‘अटल जी कहते थे कि “हार नहीं मानूंगा”. ये हार न मानूंगा कि जीविषिका होनी चाहिए ये सबके भीतर होनी चाहिए. आपके बोर्ड के एक्जाम के लिए मेरी शुभकामना है. लेकिन, मेरे बोर्ड के एक्जाम के लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों का आशीर्वाद मेरे साथ है.वही मेरी ताकत है. उसी के भरोसे मैं चलता हूं.’
अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले इस साल आठ राज्यों में चुनाव होने हैं. त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में इसी फरवरी में ही चुनाव हो रहे हैं. उसके बाद अप्रैल-मई में कांग्रेस शासित कर्नाटक में विधानसभा का चुनाव है. लेकिन, साल के आखिर में बीजेपी शासित राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ औ राजस्थान के विधानसभा चुनाव का परिणाम अगले लोकसभा चुनाव के पहले माहौल बनाने और बिगाड़ने का काम कर सकते है.
इस बात का अंदाजा मोदी को है. लेकिन, वो राज्यों के चुनाव परिणामों को राज्यों के काम से जोड़कर देखने को कह रहे हैं. स्थानीय निकाय चुनाव को वहां की स्थानीय राजनीति से ही जोड़कर देखने को कह रहे हैं.
स्कूली बच्चों को अपने लक्ष्य को लेकर ध्यान केंद्रित करने की नसीहत देने वाले गुरु-मोदी अपने लक्ष्य को लेकर भी विचलित नहीं हैं. बच्चों की पाठशाला के दौरान साफ हो गया कि मोदी ने भी अपने लिए लक्ष्य तय किया है और उस लक्ष्य को लेकर ही उनका प्रयास जारी है.
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