नोटबंदी के बाद मुश्किलों भरे 50 दिन बीतने वाले हैं. पूरे देश में चल रही नोटों की किल्लत के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 दिसंबर को देहरादून के परेड ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित करने जा रहे हैं. उनकी इस रैली पर सबकी नजर रहेगी कि वे अगली घोषणा क्या करते हैं.
नोटबंदी के बाद से ही प्रधानमंत्री लगातार रैलियां कर रहे हैं, जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं. लगभग हर रैली में उनका फोकस इस बात पर रहा है कि आतंकवाद, काला धन, टैक्स चोरी, नकली नोट आदि समस्याओं से निपटने के लिए नोटबंदी जरूरी थी.
प्रधानमंत्री बेहद आक्रामक तरीके से लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि नोटंबदी देशहित में है. इसके अलावा प्रधानमंत्री यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि जो लोग काला धन छुपा रहे हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.
अगला निशाना बेनामी संपत्ति
नरेंद्र मोदी ने आठ नवबंर को नोटबंदी की घोषणा के बाद बेनामी संपत्तियों के खिलाफ भी अभियान छेड़ने की घोषणा की है. सरकार टैक्स से बचने के लिए बेनामी संपत्ति खरीदने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है.
25 दिसंबर को प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम में बेईमानी और भ्रष्टाचार के काले कारोबार के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संकल्प व्यक्त किया था. उन्होंने कहा था कि सरकार ने बेनामी संपत्ति कानून को और धारदार बनाया है. आने वाले दिनों में यह कानून अपना काम करेगा.
मोदी ने कहा, '70 साल से बेईमानी और भ्रष्टाचार के काले कारोबार में कैसी शक्तियां जुड़ी हुई हैं? उनकी ताकत कितनी है? ऐसे लोगों से मैंने जब मुकाबला करने की ठान ली है तो वे भी तो सरकार को पराजित करने के लिए रोज नए तरीके अपनाते हैं.'
प्रधानमंत्री ने कहा, 'जब वो नए तरीके अपनाते हैं तो हमें भी तो काट के लिए नया तरीका ही अपनाना पड़ता है. तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात, क्योंकि हमने तय किया है कि भ्रष्टाचारियों को, काले कारोबारों को, काले धन को मिटाना है... मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि ये पूर्ण विराम नहीं है. ये तो अभी शुरुआत है. ये जंग जीतना है'
जनता को राहत का इंतजार
दूसरी तरफ आयकर विभाग का कहना है कि सरकार बैंक खातों के लेनदेन, फाइल किए गए रिटर्न आदि के जरिये रियल एस्टेट संपत्तियों की जांच करेगी.
चूंकि रियल एस्टेट का बाजार ऐसे लोगों के चंगुल में है, जो खासे प्रभावशाली और पैसे वाले लोग हैं. इसमें नेता, अफसर और अधिकारी तक शामिल होते हैं. इसलिए मोदी सरकार के लिए रियल एस्टेट से भ्रष्टाचार दूर करने का काम आसान नहीं होगा. प्रधानमंत्री के बयान से जाहिर है कि उन्हें इसका अंदाजा भी है.
सबसे खराब बात यह हुई है कि नोटबंदी से फायदा क्या हुआ, यह अभी किसी को नहीं पता है. जबकि जनता को अभूतपूर्व परेशानी हुई है. लोगों के रोजगार प्रभावित हुए हैं. मजदूरों को काम मिलना बंद हो गया है. सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने वाले हैं और अब भी लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही.
आक्रामक विपक्ष
नोटबंदी को लेकर विपक्ष भी लगातार हमलावर है. राहुल गांधी नोटबंदी के बाद से ही लगातार रैलियां कर रहे हैं. वे जनता को यह बता रहे हैं कि नोटबंदी आम जनता के खिलाफ और कुछ अमीर लोगों के पक्ष में थी.
जनता किसकी बात पर भरोसा करेगी, अपनी तकलीफों के बीच क्या धारणा बनाएगी, यह तो बाद की बात है, लेकिन इसका इंतजार सबको है कि मौजूदा नकदी संकट खत्म कब होगा.
प्रधानमंत्री को भी पता है कि 50 दिन बीतने के साथ अगर नकदी संकट खत्म नहीं हुआ तो उनकी खासी फजीहत हो सकती है. इस लिहाज से वे देहरादून रैली में कुछ नई घोषणाएं कर सकते हैं.
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