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बीजेपी कार्यकर्ताओं को मोदी-मंत्र: संगठन और बूथ मैनेजमेंट के दम पर कर्नाटक जीत पाएगी बीजेपी ?

दक्षिण के इस राज्य में कांग्रेस अभी सत्ता में है. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी के एजेंडे में कर्नाटक काफी महत्वपूर्ण है

Updated On: Apr 26, 2018 02:10 PM IST

Amitesh Amitesh

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बीजेपी कार्यकर्ताओं को मोदी-मंत्र: संगठन और बूथ मैनेजमेंट के दम पर कर्नाटक जीत पाएगी बीजेपी ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा मैं ‘भी कन्नाडिगा हूं. इसे मानें और आगे बढ़ें. मैं भी इसका खयाल रखते हुए आगे आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार हूं.’ मोदी ने नमो ऐप के माध्यम से पार्टी के कर्नाटक में विधानसभा चुनाव लड़ रहे बीजेपी उम्मीदवारों, संगठन से जुड़े हुए पदाधिकारियों और बीजेपी के सभी कार्यकर्ताओं से संवाद के दौरान यह बात कही.

हर मतदाता तक पहुंचने का लक्ष्य

उन्होंने पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं से राज्य के एक-एक मतदाता तक हर हाल में पहुंचने का गुरु-मंत्र दिया. अपने-आप को पार्टी का आम कार्यकर्ता बताकर कर्नाटक के लाखों कार्यकर्ताओं को दिया गया उनका मंत्र उनकी रणनीति का परिचायक है.

संगठन की मजबूती और सभी समर्पित कार्यकर्ताओं का मोदी की तरफ से दिया मंत्र यह बताने के लिए काफी है कि बीजेपी अपनी विरोधी कांग्रेस समेत दूसरी पार्टियों से कितनी आगे है. आरएसएस के स्वयंसेवकों के अलावा भी बीजेपी के कार्यकर्ताओं की बूथ स्तर तक एक ऐसी फौज है जो दूसरे दलों से बीजेपी के चुनावी मैनेजमेंट को और मजबूत बना देती है.

मोदी ने इन बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को टिप्स देते हुए कहा ‘हमारा लक्ष्य हर मतदाता तक पहुंचना होना चाहिए.’ यहां तक कि इस चुनाव को विधानसभा चुनाव जीतने का एजेंडा नहीं बताकर बूथ जीतने के एजेंडे पर चलने की उन्होंने नसीहत भी दी.

मतदान कराने की जिम्मेदारी भी बूथस्तर के कार्यकर्ताओं को

कर्नाटक में 12 मई को विधानसभा चुनाव होना है, उसके पहले लगभग दो हफ्ते का वक्त बचा है. मोदी चाहते हैं कि उनकी पार्टी के सभी कार्यकर्ता इस दौरान केवल अपने-अपने इलाके में मतदाताओं से संपर्क में लगाएं. उन्होंने अपने संवाद के दौरान खासतौर से इस बात पर जोर देते हुए कहा कि बूथ स्तर के हर कार्यकर्ता को दस-दस परिवार बांट कर उनसे लगातार संपर्क में रहना चाहिए. यहां तक कि मतदान कराने तक की जिम्मेदारी इन बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की ही होनी चाहिए.

अपनी सरकार के चार साल के काम-काज के दौरान कर्नाटक में हुए विकास के कई कामों का जिक्र कर मोदी ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में कर्नाटक में हुए विकास से बेहतर बताया. अपने कार्यकर्ताओं को मोदी ने आंकड़ों के जरिए समझाया भी. अब वो चाहते हैं कि पार्टी कार्यकर्ता मोदी सरकार की उपलब्धियों और कर्नाटक के विकास में उनके योगदान को घर-घर तक पहुंचाएं. प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि कर्नाटक की सिद्धरमैया सरकार की विफलताओं को भी घर-घर जाकर बताया जाए.

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मोदी ने बूथ-स्तर के कार्यकर्ताओं में पुरुष कार्यकर्ताओं के साथ-साथ पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं को भी बराबर का प्रतिनिधित्व देने को कहा. उन्होंने पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं को साफ-साफ शब्दों में कहा कि अगर बूथ मैनेजमेंट सही रहा तो फिर चुनाव जीतने के लिए और किसी चीज की जरूरत नहीं है.

पार्टी संगठन को सबसे बड़ी ताकत बताने वाले मोदी इस बात को समझ रहे हैं कि नेताओं की रैलियां, उम्मीदवारों का चुनाव और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप तो चुनाव में चलते रहे हैं, लेकिन, चुनावों में मतदाताओं को मतदान केंद्र तक ले जाक वोट डालवाने की असली जिम्मेदारी बूथ स्तर के कार्यकर्ता ही करते हैं. यही वजह है कि अपने संवाद में मोदी ने बूथ मैनेजमेंट के अपने आजमाये फॉर्मूले पर सबसे ज्यादा जोर दिया.

दरअसल, गुजरात में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से ही नरेंद्र मोदी ने वहां बूथ-स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की एक फौज खड़ी कर दी थी. मोदी की इस रणनीति का गुजरात में लगातार मिली जीत में बड़ा योगदान रहा है. इसी फॉर्मूले को बीजेपी अब देश भर में आजमा रही है. बीजेपी का माइक्रो मैनेजमेंट यूपी समेत और भी कई राज्यों में काफी सफल रहा है. अब बीजेपी इसे कर्नाटक में भी सही तरीके से लागू करना चाहती है.

जातिवाद की काट कैसे करेंगे मोदी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कर्नाटक का चुनाव जीतना काफी अहम है. दक्षिण के इस राज्य में कांग्रेस अभी सत्ता में है. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी के एजेंडे में कर्नाटक काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में यहां की जीत और हार अगले लोकसभा चुनाव में दक्षिण भारत में पार्टी की संभावनाओं को प्रभावित करने वाला हो सकता है.

बीजेपी को लगता था कि कांग्रेस की पांच साल की एंटीइंकंबेंसी का फायदा उठाकर वो आसानी से चुनाव जीत लेगी. लेकिन, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के लिंगायत कार्ड ने बीजेपी को परेशान कर रखा है. लिंगायत समुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने का सिद्धरमैया का दांव बीजेपी के लिए परेशानी खड़ा कर रहा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान इसे कांग्रेस का लॉलीपाप बता कर लिंगायत समुदाय को आगाह भी किया. मोदी ने इसे भारतीय राजनीति का कांग्रेसी कल्चर बताया. राजनीति में तमाम बुराइयों के लिए उन्होंने कांग्रेस के कुकर्मों को जिम्मेदार ठहरा दिया.

कर्नाटक की राजनीति में 17 फीसदी आबादी वाले लिंगायत समुदाय से आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री वी एस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने जो सियासी दांव खेला था. उसको कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है. मोदी अब कांग्रेस की इस रणनीति की हवा निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

विकास, विकास और विकास

अपने संवाद की शुरुआत ही मोदी ने विकास-विकास और विकास के मूल-मंत्र से की. सबका साथ, सबका विकास के अपने स्लोगन को दोहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से विकास के एजेंडे पर ही अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं को कर्नाटक के चुनाव में उतरने को कहा.

लेकिन, कई चुनावी सर्वे में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा आने की तस्वीर ने अभी से ही चुनाव परिणाम को लेकर कयासों का बाजार गर्म कर दिया है. प्रधानमंत्री मोदी को भी लगता है कि इस तरह के सर्वे से पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं के मन में भ्रम हो सकता है.

लिहाजा फिर से अपने पुराने अंदाज में मोदी ने पॉलिटिकल पंडितों की 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त की गलत भविष्यवाणी की याद दिलाकर पार्टी के कार्यकर्ताओं को पूर्ण बहुमत के लिए काम करने का मंत्र दे दिया. इसमें मोदी का संदेश कर्नाटक के मतदाताओं के लिए भी था.

अपने चीन दौरे से लौटने के बाद मोदी कर्नाटक के मैदान-ए-जंग में उतरेंगे. उनकी ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां भी होनी है जिसके जरिए वो कर्नाटक के चुनाव की दिशा मोड़ने की पूरी कोशिश करेंगे. लेकिन, उससे पहले पार्टी कैडर्स में नई जान फूंककर वो आने वाली बड़ी लड़ाई से पहले उनमें भरोसा और विश्वास जगाने में लगे हैं.

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