यूपी विधानसभा चुनाव में हार के बाद ऐसी उम्मीद की जा रही है थी कि समाजवादी पार्टी इस हार से सीख लेकर पार्टी के भीतर चल रहे अंतर्विरोधों को दूर करने की कोशिश करेगी.
इतना ही नहीं उम्मीद इस बात की भी थी कि पार्टी इस बात पर भी विचार और आत्ममंथन करेगी कि जनता के सामने जिस तरह से ये लड़ाई खुल कर आयी उससे भी पार्टी को काफी नुकसान हुआ है और पार्टी को आइंदा ऐसे हालात पैदा नहीं होने देना चाहिए.
लेकिन, लखनऊ से आ रही ताजा जानकारी के अनुसार समाजवादी पार्टी इसी हफ्ते पहली विधायक दल की बैठक करने जा रही है, जिसमें पार्टी के सभी विधायकों को बुलाया गया है. पर गंभीर बात ये है कि ये बैठक एक नहीं दो दिन और एक नहीं दो नेताओं की तरफ से बुलाई गई है.
चुनाव प्रचार के दौरान खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित करने वाले अखिलेश यादव ने 28 को विधानमंडल दल की बैठक बुलाई है तो दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव ने 29 मार्च की शाम को नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई है.
मुलायम-शिवपाल की अनदेखी
बताया जा रहा है कि विधानमंडल की बैठक में नेता और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव किया जा सकता है. वहीं मुलायम नए विधायकों से राज्य के नए राजनीतिक हालात पर चर्चा करेंगे.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव दोनों को ही नहीं बुलाया गया है जिससे पार्टी के भीतर तनाव बना हुआ है.
पार्टी की हार के बाद भी मुलायम ने खुलकर अखिलेश के खिलाफ कुछ नहीं कहा था, बल्कि वे नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में अखिलेश को लेकर पीएम मोदी से बात करते हुए भी देखे गए थे, जिसके बहुत सारे मतलब निकाले गये थे.
लेकिन चाचा शिवपाल सिंह यादव तब भी अखिलेश पर निशाना साधने से नहीं चूके थे. उन्होंने चुनावों में मिली हार को अखिलेश के घमंड की हार बता दिया था.
मुलायम सिंह यादव जिस बैठक की अगुवाई करेंगे उसमें नए विधायकों को रात के खाने का भी न्योता मिला है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में वे विधानसभा में विधायक दल के नेता को लेकर भी विधायकों से चर्चा कर सकते हैं.
नेता प्रतिपक्ष का चुनाव
28 मार्च को ही यूपी विधानसभा और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा होनी है, जिसे ध्यान में रखते हुए ये बैठकें बुलाई गई हैं. इसके अलावा दोनों सदनों में उपनेता, मुख्य सचेतक, सचेतक और अन्य पदाधिकारियों का भी नाम तय किया जाएगा.
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जिस तरह से ये बैठकें बुलाई गई हैं उससे एक बार फिर से बाप-बेटे के बीच तलवारें खिंचने की आशंका तेज होती जा रही है.
शनिवार को समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुलायम नहीं आए थे. इस बैठक में फैसला लिया गया था कि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष 30 सितंबर से पहले चुना जाएगा. ऐसे में मुलायम की नवनिर्वाचित विधायकों के साथ बैठक को इसी दिशा में कदम माना जा रहा है.
विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए आजम खान और शिवपाल का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि मुलायम ने जिस तरह से नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई है, वह अखिलेश पर दबाव होगा कि शिवपाल को ही यह पद दें.
जबकि, अखिलेश ने अब तक अपना इरादा जाहिर नहीं किया है. 28 और 29 मार्च को नए विधायकों की शपथ होनी है. माना जा रहा है कि विधायकों की शपथ ग्रहण के पहले एसपी नेता प्रतिपक्ष का ऐलान कर देगी. पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष चुनने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष को दे रखा है.
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