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महाराष्ट्र में अब नहीं पढ़ाया जाएगा किसने बनवाया कुतुब मीनार और ताजमहल!

महाराष्ट्र स्टेट एजुकेशन बोर्ड की किताब से मुगल और इससे पहले सल्तनत काल के मुस्लिम शासकों से संबंधित कई तथ्यों को हटा दिया गया है

Updated On: Aug 07, 2017 07:44 PM IST

FP Staff

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महाराष्ट्र में अब नहीं पढ़ाया जाएगा किसने बनवाया कुतुब मीनार और ताजमहल!

यूपी के मुगलसराय स्टेशन के बाद अब मुगलों और मुसलमान शासकों को इतिहास की किताबों से भी निकाला जा रहा है. यह नया फैसला महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना सरकार के तहत हुआ है.

मुंबई मिरर में छपी खबर के अनुसार महाराष्ट्र स्टेट एजुकेशन बोर्ड ने इस बार के अकादमिक सत्र के लिए 7 वीं और 9 वीं क्लास के लिए इतिहास की जो टेक्स्टबुक जारी किए हैं उसमें मराठा राज के संस्थापक योद्धा राजा शिवाजी के बारे में विस्तार से बताया गया है. साथ ही 7 वीं क्लास की किताब से मुगल और इससे पहले सल्तनत काल के मुस्लिम शासकों से संबंधित कई महत्वपूर्ण तथ्यों को हटा दिया गया है.

नई किताब में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि क़ुतुब मीनार, लाल किला और ताजमहल जैसे शानदार इमारतों का निर्माण किस शासक ने करवाया था. नौवीं क्लास के की किताब में आपातकाल और बोफोर्स घोटाले का जिक्र किया गया है.

क्यों और क्या हुआ बदलाव?

कोल्हापुर के रहने वाले और पुराने और नए दोनों इतिहास की किताबों के कंटेंट को तय करने वाली कमिटी के सदस्य बापूसाहेब शिंदे ने मुंबई मिरर को बताया कि पिछले साल राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने आरएसएस की थिंक टैंक माने जाने वाली संस्था रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी में नए सिलेबस पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बैठक बुलाई थी. शिंदे के अनुसार, ‘इस बैठक में यह महसूस किया गया कि हमें आधुनिक घटनाओं को इतिहास की किताबों अधिक जगह देनी चाहिए.’

शिक्षा मंत्री तावडे की इस नए सिलेबस के बारे में अब तक नहीं मिल पाई है. सातवीं क्लास की किताब में भारतीय उपमहाद्वीप का 9 वीं शताब्दी से 18 शताब्दी तक का इतिहास दिया गया है. इसमें अकबर के शासनकाल के बारे में लिखा गया है कि अकबर मुगल वंश का सबसे शक्तिशाली राजा था जो भारत को एक केंद्रीय शासन के तहत लाना चाहता था. लेकिन उसे महाराणा प्रताप, चांद बीबी और रानी दुर्गावती के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा. इसके संघर्ष इतिहास में उल्लेखनीय हैं.

जबकि पिछले साल तक अकबर के बारे में इसी टेक्स्टबुक में लिखा था कि अकबर एक उदार और सहिष्णु शासक था जिसने कला को संरक्षण दिया. इसके अलावा पिछले किताब में यह भी लिखा था कि अकबर ने हिंदुओं पर से जजिया कर को हटा दिया था और दिन –ए-इलाही धर्म की भी शुरुआत की थी. उसने सती प्रथा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. अकबर के इन सभी कामों का नई किताब में कहीं जिक्र नहीं है.

इसके अलावा टेक्स्टबुक से इस बात को भी हटा दिया गया है कि अफगान शासकों ने भारत में रुपए का प्रचलन शुरू किया था. इसके साथ ही साथ देश की पहली महिला शासक रजिया सुल्तान, मुहम्मद बिन तुगलक और शेरशाह सूरी से संबंधित कई महत्वपूर्ण तथ्यों और घटनाओं को नए किताब से हटा दिया गया है.

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