2012 में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नया चेहरा सामने आया था. सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश को एकजुट कर दिया था. उनके उस आंदोलन के बाद लोकपाल और लोकायुक्त बिल लाया गया. लेकिन तब भी इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सका. आज तक लोकपाल नियुक्त नहीं किया जा सका है. अब अन्ना हजारे इसके लिए फिर आंदोलन करने वाले हैं.
अन्ना हजारे ने शनिवार को कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल की नियुक्ति ना होने पर वह अपने गांव में 30 जनवरी से भूख हड़ताल करेंगे.
उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह को लिखे पत्र में एनडीए सरकार पर केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति ना करने के लिए बहाने बनाने का आरोप लगाया.
हजारे ने कहा कि नरेन्द्र सरकार ने पहले कहा कि लोकसभा में विपक्ष में कोई वरिष्ठ नेता ना होने के कारण लोकपाल नियुक्त नहीं किया जा सकता (जो नियुक्ति प्रक्रिया का हिस्सा है) और बाद में कहा कि चयन समिति में कोई प्रतिष्ठित न्यायवादी नहीं है.
उन्होंने कहा कि वह इस साल 23 मार्च को रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे थे, लेकिन पीएमओ के उनकी मांग पूरी करने के लिखित में आश्वासन देने के बाद उन्होंने हड़ताल खत्म कर दी थी. हजारे ने कहा कि उन्होंने फिर दो अक्टूबर तक का समय दिया.
उन्होंने लिखा, ‘दो अक्टूबर को अपने गांव रालेगण सिद्धि से आंदोलन शुरू करना था, लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं ने फिर आश्वासन दिया कि लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. मैंने उन्हें एक और मौका देने और 30 जनवरी तक इंतजार करने का मन बनाया है.’
हजारे ने आरोप लगाया कि ‘यह स्पष्ट तौर पर मौजूदा सरकार की मंशा लोकपाल और लोकायुक्त नियुक्त करने की नहीं है.’
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