संसद का मॉनसूत्र सत्र जारी है. गुरुवार को सर्वसम्मति से ओबीसी आयोग विधेयक पारित कर दिया गया लेकिन एससी/एसटी विधेयक का मामला अभी अधर में है. सरकार की पूरी कोशिश है कि इसे मौजूदा सत्र में ही पारित करा लिया जाए क्योंकि इस मामले में सरकार को काफी किरकिरी झेलनी पड़ी है.
संसद में पिछले दो दिन से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का मुद्दा छाया हुआ है. गुरुवार को असम के 6 नेताओं का दल असम पहुंचा जहां उन्हें सिलचर एयरपोर्ट पर रोक दिया गया. नेताओं को हिरासत में लिए जाने और उन्हें जनसभा करने की इजाजत न दिए जाने के खिलाफ संसद में तृणमूल नेताओं ने विरोध जताया है. शुक्रवार को लोकसभा में तृणमूल के सांसदों ने इस मुद्दे को गर्मजोशी से उठाया और काफी हो-हंगामा किया.
Uproar in Lok Sabha by Trinamool Congress MPs after TMC delegation was detained at Silchar airport yesterday #NRCAssam
— ANI (@ANI) August 3, 2018
इससे पहले तृणमूल के सांसद सौगात रॉय ने असम में अपनी पार्टी के नेताओं को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया जिस पर बहस होगी.
TMC MP Saugata Roy moves adjournment motion in Lok Sabha over detention of TMC delegation at Silchar airport yesterday. #NRCAssam pic.twitter.com/pFSkL21AEe
— ANI (@ANI) August 3, 2018
गुरुवार को भी तृणमूल के नेताओं ने इस मुद्दे पर संसद में गहरी नाराजगी जताई थी और केंद्र-असम सरकार से इस पर जवाब मांगा था.
संसद में एससी/एसटी विधेयक भी पारित होना है. गुरुवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आशा जताई कि मौजूदा सत्र में ही इस विधेयक को पारित कराया जा सकता है.
केंद्रीय रामविलास पासवान ने कहा कि एससी/एसटी (अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण) कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर सरकार एक नया विधेयक ला रही है जिसमें कानून को असली रूप में बहाल करने का प्रावधान है और सभी दलों को इसका समर्थन करना चाहिए. पासवान ने कहा कि जल्द ही सरकार एससी-एसटी कानून से जुड़ा विधेयक लेकर आ रही है जिसमें दलितों की सुरक्षा के बड़े प्रबंध होंगे.
इससे पहले केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास अठावले ने आशा जताई कि दलितों के खिलाफ अत्याचार रोकने वाले कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने वाला विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जाएगा. इस विधेयक को बुधवार को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है.
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Aug 3, 2018
म्यांमार के साथ कोई सीमा विवाद नहीं: किरेन रिजिजू
सरकार ने कहा कि भारत और म्यांमार के बीच किसी तरह का सीमा विवाद नहीं है और नौ पिलरों के सीमांकन का काम पड़ोसी देश के साथ पूर्ण सहमति के साथ किया जा रहा हा. गृह राज्य मंत्री ने कहा कि मणिपुर के इलाके में म्यांमार से सीमा विवाद की और पिलरों को गिराए जाने की खबर गलत हैं. उन्होंने एक उच्चस्तरीय केंद्रीय टीम जगह पर गई है और उन्होंने रिपोर्ट किया है कि इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है.
लोकसभा में आज विभिन्न दलों के सदस्यों ने स्कूलों में खेलों को बढ़ावा देने और ग्रामीण स्तर पर खेल आधारभूत संरचना के विकास पर जोर दिया और खिलाड़ियों को ‘राष्ट्रीय सम्पत्ति’ समझकर भोजन समेत अन्य सुविधाएं प्रदान करने की मांग की . राष्ट्रीय खेलकूद विश्वविद्यालय विधेयक 2018 पर चर्चा के दौरान प्रसिद्ध फुटबाल खिलाड़ी और तृणमूल कांग्रेस के प्रसून बनर्जी ने कहा कि खेल तो सिर्फ खेल होता है और इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए, यह किसी दल का विषय नहीं होता है. उन्होंने कहा कि क्रिकेट के अलावा भी कबड्डी, पहलवानी, खो खो सहित अन्य खेल हैं जिन्हें बढ़ावा दिये जाने की जरूरत है. खेलों में पैसा लगाने की जरूरत है. कोई भी खिलाड़ी सिर्फ रोटी, आलू, गोभी खाकर नहीं खेल सकता है. बनर्जी ने कहा कि जरूरत हो तब चुनाव खर्च का पैसा खेलों में लगायें. स्कूल, कालेजों में खेल को अनिवार्य बनाएं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि हमारे खिलाड़ी ओलंपिक में पदक नहीं जीत पाते हैं. ऐसा इसलिये हैं क्योंकि हम उन पर पर्याप्त ध्यान नहीं देते.
कांग्रेस सांसद थोकचॉम मीना ने स्पोर्ट्स बिल का समर्थन करते हुए अन्य सांसदों से भी इस पर सहयोग देने का आग्रह किया. मीना ने खेल यूनिवर्सिटी के तहत एक पोलो इंस्टीट्यूट स्थापित करने की मांग की.
बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने खेल विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा, हमें देश में केवल एक खेल यूनिवर्सिटी शुरू कर नहीं रुक जाना चाहिए. उन्होंने खेल मंत्री से जानना चाहा कि दुनिया के अन्य देशों के खिलाड़ियों से बराबरी करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं.
केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने लोकसभा में नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बिल, 2018 पेश किया. मौजूदा सत्र में यह छठा बिल है जिसे अध्यादेश के रूप में लाया गया है. इस बिल के तहत मणिपुर में एक खेल विश्वविद्यालय खोलने और इसके दो कोर्स शुरू करने की योजना है.
लंच के लिए लोकसभा की कार्यवाही स्थगित नहीं हुई. कार्यवाहक अध्यक्ष प्रह्लाद जोशी ने राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बिल को चर्चा के लिए पटल पर रखा.
राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बिल लोकसभा में रखा गया-इस मुद्दे पर बहस के दौरान बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा, खेल व्यक्तित्व निखारने में मदद करता है. राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय को खेल की संस्कृति मजबूत करने में अहम समझा जाना चाहिए. हमें खेल संगठनों के साथ हाथ मिलाकर इस संस्कृति को और मजबूत बनाना है.
इससे पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में कहा, रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए सरकार 7 हजार करोड़ रुपए की मशीन खरीद रही है. अगले साल हम इस काम में 13 हजार करोड़ रुपए निवेश करेंगे.
राज्यसभा 2.30 बजे तक स्थगित, लोकसभा की कार्यवाही फिलहाल जारी है.
कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में आरोप लगाया कि सरकार मीडिया संस्थानों को चुप करा रही है. खड़गे ने कहा, अगर बोलने की आजादी नहीं रहेगी तो हमलोग कैसे बोल पाएंगे? अगर आप लोगों को और संस्थानों को चुप कराना चाहते हैं जो आपके खिलाफ बोलते हैं, तो यह गलत है. यह मूलभूत अधिकारों को कुचलने की कोशिश है.
लोकसभा में राजनाथ सिंह ने कहा, असम में इंटेलिजेंस की सूचना के आधार पर प्रशासन ने सांसदों को हिरासत में लिया. जिला प्रशासन के अधिकारियों ने नेताओं से हाथ जोड़ कर विनती की कि एयरपोर्ट से बाहर जाना उनके लिए उचित नहीं होगा. इस दौरान एयरपोर्ट पर हल्का हंगामा भी हुआ. नेताओं ने सुरक्षा अधिकारियों से बहस शुरू कर दी. जिसके बाद उन्हें सीआरपीसी की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया. नेताओं को शुक्रवार को सुबह 7 बजे के बाद दिल्ली और कोलकाता भेज दिया गया.
टीएमसी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा, असम और बंगाल में न कोई गृह युद्ध है और न ही खून-खराबा. दोनों राज्यों के लोग अमन चैन से एक साथ रहना चाहते हैं.
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी आंदोलन कर रही हैं कि एनआरसी में 40 लाख लोगों को निकाल दिया गया, जबकि 2005 में खुद उन्होंने अवैध प्रवासियों के खिलाफ संसद में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था.
संसद से बाहर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ममता बनर्जी आश्वस्त कर रही हैं कि असम से निकाले गए लोगों को वे आश्रय देंगी लेकिन उन्होंने असम-बंगाल सीमा को सील करवा दिया है.
राजनाथ सिंह ने कहा, मैं फिर दोहरा रहा हूं कि किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होगी. लोगों के बीच एक डर का माहौल बनाया जा रहा है जो निंदनीय है.
राजनाथ सिंह ने कहा, एनआरसी की प्रक्रिया असम संधि के तहत 1985 में शुरू हुई जब स्वर्गीय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. इस निर्णय को 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आगे बढ़ाया.
एनआरसी मुद्दे पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा, इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में चल रही है. मैं बार-बार कह रहा हूं कि यह मसौदा है, कोई अंतिम लिस्ट नहीं. हर व्यक्ति को एक मौका जरूर दिया जाएगा.