नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार ने एक ऐसा जुआ खेला है, जिसका हश्र कुछ भी हो सकता है. पासा पक्ष में रहा तो सरकार की बल्ले-बल्ले लेकिन, दांव उल्टा पड़ गया तो लेने के देने पड़ सकते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कालेधन पर अबतक का सबसे बड़ा प्रहार किया. पटरी से उतरी व्यवस्था को सुधारने की दिशा में इसे कड़ा कदम माना गया . लेकिन, अब इस सर्जिकल स्ट्राइक के साइड इफेक्ट का डर सरकार को भी सताने लगा है. जमीनी हकीकत का अंदाजा सरकार को भी है. लोगों को होने वाली परेशानी का पता है. मरहम लगाने की कवायद भी हो रही है. लेकिन, विपक्ष के हमले ने सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
विपक्ष जनता का हितैषी बनना चाहता है, लेकिन, खुद पर सबसे ज्यादा भरोसा रखने वाले पीएम मोदी को लगता है जनता कड़वी खुराक के बाद भी उनका साथ नहीं छोड़ेगी.
'हम सत्ता में गरीबों के लिए आए हैं'
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इसी भरोसे को लेकर मोदी बीजेपी संसदीय दल की बैठक में एक बार फिर से भावुक हो गए. अपनी पार्टी के सभी सांसदों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा हम सत्ता में गरीबों के लिए आए हैं. बीजेपी संसदीय दल की बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग भ्रष्टाचार से त्राहि-त्राहि कर रहे थे. नोटबंदी से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी.
प्रधानमंत्री का यही भरोसा उन्हें इस लड़ाई में आगे बढने को ताकत दे रहा है. मोदी को मालूम है कि नोटबंदी की इस लड़ाई को सीधे-सीधे भ्रष्टाचार से जोड़ना होगा तभी तमाम परेशानी के बावजूद जनता उनका साथ नहीं छोड़ेगी.
मोदी पहली बार नोटबंदी के बाद बोलते हुए गोवा की रैली में भावुक हो गए थे. एक बार फिर बीजेपी संसदीय दल की बैठक में अपने सभी सांसदों के सामने भावुक हो गए हैं.
लेकिन, विपक्ष इसी मुद्दे पर सरकार को घेर रहा है. विपक्ष के निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी हैं. वो भी इसलिए, क्योंकि सवाल सीधे यही खड़ा हो रहा है प्रधानमंत्री मोदी बाहर बोलते हैं लेकिन, संसद में नोटबंदी पर क्यों नहीं बोल रहे. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री के इसी रुख पर सवाल किया है. राहुल ने पूछा है प्रधानमंत्री टीवी पर बयान देते हैं लेकिन, संसद में आकर नहीं बोलते. अपनों को समझाने की जिम्मेदारी
लेकिन, बीजेपी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि विपक्ष के साथ-साथ अपनों को समझाने की. भले ही बीजेपी के सांसद इस मुद्दे पर सरकार के साथ दिख रहे हों. लेकिन, हकीकत से वास्ता सबका है.
सभी सांसदों को जनता से सीधे जुडना पड़ रहा है और उन्हें भी लोगों के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ता है.
भले ही सांसद खुलकर ना बोलें लेकिन, अंदर खाने उन्हें हो रही परेशानी का अंदाजा मोदी को है. इसीलिए मोदी सांसदों को समझाते हुए खुद भावुक हो गए. विपक्ष के सवाल का सामना संसद में कैसे किया जाए. नोटबंदी से जुड़े मुद्दे पर कैसे सरकार को घेरने की विपक्ष की चाल को चलता किया जाए सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरूण जेटली ने भी संसदीय दल की बैठक में इस बाबत बीजेपी सांसदों को पाठ पढाया.
जेटली ने कहा नोटबंदी से गरीबी मिटेगी. देशहित में यह फैसला किया गया है जिसका पूरे देश में स्वागत हो रहा है.
फिलहाल संसद में इस मुद्दे पर गतिरोध कायम है. विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से जवाब की मांग पर अड़ा है. लेकिन, संसद में जवाब देने के बजाए मोदी सीधे जनता के दरबार में हाजिरी लगाने में लगे हैं. कभी रैलियों के माध्यम से नोटबंदी पर अपनी बात करते हैं तो अब सीधे नरेन्द्र मोदी एप के सहारे जनता से सीधे सुझाव मांग रहे हैं.
मोदी का भरोसा अभी भी डगमगा नहीं रहा है. मोदी को उम्मीद है इस बड़ी लड़ाई में जनता उनका साथ नहीं छोड़ेगी.
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