मोदी सरकार ने साढ़े तीन साल में प्रचार पर 3,754 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. यह खर्च इस साल अक्टूबर तक का है. न्यूज़18 की खबर के मुताबिक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट मीडिया और आउटडोर पब्लिसिटी में मोदी सरकार ने अप्रैल 2014 से अक्टूबर 2017 के बीच 37,54,06,23,616 रुपए खर्च किए हैं.
यह आरटीआई ग्रेटर नोएडा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रामवीर तंवर ने लगाई थी. जिसके जवाब में यह खुलासा हुआ है.
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने 1,656 करोड़ रुपए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रचार में खर्च किए हैं. इसमें कम्युनिटी रेडियो, डिजिटल सिनेमा, दूरदर्शन, इंटरनेट, मैसेज और टीवी संसाधन भी शामिल हैं. प्रिंट मीडिया में प्रचार के लिए मोदी सरकार ने 1,698 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
आउटडोर पब्लिसिटी, होर्डिंग, पोस्टर, बुकलेट और कैलेंडर के माध्यम से प्रचार करने के लिए केंद्र सरकार ने 399 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
यह खर्च केंद्र सरकार की कई मिनिस्ट्री के सालाना बजट से भी ज्यादा है. इसके अलावा आपको जानकर हैरानी होगी कि सरकार ने प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाने पर सिर्फ 56.8 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
2015 में एक आरटीआई से खुलासा हुआ था कि केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रोग्राम 'मन की बात' के प्रचार पर 8.5 करोड़ रुपए खर्च किए थे. यह खर्च न्यूज़ पेपर में विज्ञापन देने पर किया गया था.
2015 में बीजेपी और कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के प्रचार पर खर्च को खूब हवा दी थी. इसमें 'आप' सरकार ने 2015 में विज्ञापन में 526 करोड़ रुपए खर्च किए थे. सोचिए क्या सरकारें अपने काम पर इतना भी विश्वास नहीं करतीं जो उन्हें अपनी योजनाओं और खुद का प्रचार करने के लिए इतना पैसा खर्च करना पड़ जाता है?
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