सोमवार को मिजोरम में 2018 के विधानसभा के चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था. राज्य में 28 नवंबर को वोट डाले जाने हैं. प्रचार के आखिरी दौर में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी, ताकि सत्ता में आ सके. मिजोरम, पूर्वोत्तर का इकलौता राज्य है, जहां पर बीजेपी या उसके सहयोगी सत्ता में नहीं हैं.
मिजोरम में चुनाव प्रचार के लिए बीजेपी ने अपनी त्रिपुरा इकाई को वोटरों को लुभाने की जिम्मेदारी सौंपी थी. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव, बीजेपी के स्टार प्रचारकों में से एक थे. बिप्लब ने पिछले एक महीने में कई बार मिजोरम का दौरा किया और चुनावी रैलियां कीं.
बीजेपी की त्रिपुरा इकाई के एक सदस्य, जो पिछले दो महीने से मिजोरम में डेरा डाले हुए थे, उन्होंने बताया कि पार्टी की त्रिपुरा इकाई को मिजोरम के 21 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार की जमीन तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन, अब बीजेपी के त्रिपुरा के नेता आधिकारिक रूप से मिजोरम की पांच विधानसभा सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. ये सीटें हैं-हचेक, डाम्पा, ममित, वेस्ट तुईपुई और तुइचॉन्ग.
जिस तरह बीजेपी ने त्रिपुरा में सीपीएम की अगुवाई वाली वाम मोर्चे की सरकार को 25 साल बाद सत्ता से बाहर कर दिया, ठीक उसी तरह मिजोरम में बीजेपी के नेता बदलाव की बातें कर रहे हैं.
प्रतिमा भौमिक ने बताया कि वो और बीजेपी के दूसरे कई विधायक लगातार पार्टी महासचिव राम माधव के संपर्क में हैं. इनके अलावा उत्तर-पूर्व डेमोक्रेटिक एलायंस के संयोजक और असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा भी इन नेताओं के संपर्क में हैं. हेमंत बिस्वा शर्मा ही मिजोरम में बीजेपी के चुनाव प्रभारी हैं. प्रतिमा भौमिक और मिजोरम में प्रचार कर रहे बीजेपी के दूसरे नेता त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देव के भी संपर्क में हैं. त्रिपुरा के सामाजिक कल्याण मंत्री संतन चकमा भी मिजोरम में चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.
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प्रतिमा भौमिक बीजेपी की उन मुट्ठी भर नेताओं में से हैं, जिन्हें मिजोरम में चुनाव प्रचार करने और ब्रू, चकमा, हमर जैसे छोटे समुदायों के वोटरों को बीजेपी के पाले में लाने की जिम्मेदारी दी गई. त्रिपुरा और मिजोरम की सीमा पर स्थित विधानसभा क्षेत्र ममित में डेरा जमाए प्रतिमा भौमिक इस वक्त 11,232 रजिस्टर्ड ब्रू वोटरों को लुभाने में जुटी हैं. ये लोग त्रिपुरा के एक शरणार्थी कैम्प में रह रहे हैं.
ये शरणार्थी वोटर मिजोरम की तीन सीटों ममित, कोलासिब और लुंगलेई पर वोट डाल कर अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनने के हकदार हैं. पिछले चुनावों की तरह ही इस बार भी चुनाव आयोग ने इन शरणार्थियों के लिए वोट डालने का इंतजाम किया है. ब्रू समुदाय के वोर मिजोरम के कन्हमुन में जाकर वोट डाल सकते हैं. इन लोगों को 28 नवंबर को कड़े सुरक्षा घेरे में कन्हमुन ले जाया जाएगा, ताकि वो अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग कर सकें. वोट डालने के बाद ये लोग उसी दिन वापस त्रिपुरा आ जाएंगे.
मिजोरम की ये अल्पसंख्यक जनजाति, लंबे वक्त से अपने अधिकारों की मान्यता के लिए लड़ रही है. रियांग जनजाति के लोग मौजूदा सरकार के भेदभाव भरे बर्ताव से नाखुश हैं. मिजोरम की 40 में से 12 विधानसभा क्षेत्रों में रियांग जनजाति के वोटर अच्छी खासी तादाद में हैं और नतीजों पर असर डालने की हैसियत रखते हैं. इसीलिए बीजेपी, मौजूदा सरकार के खिलाफ माहौल का फायदा उठाकर इन शरणार्थी वोटरों को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
18 नवंबर को हेमंत बिस्वा शर्मा ने उत्तरी त्रिपुरा में स्थित कंचनपुर शरणार्थी कैम्प का दौरा किया था. उन्होंन रियांग शरणार्थियों को भरोसा दिया कि उनकी पार्टी शरणार्थियों की समस्या सुलझाने में पूरा जोर लगाएगी. शर्मा को प्रतिमा भौमिक के साथ गुवाहाटी में कुछ ब्रू नेताओं से भी मिलना था. इस बैठक में कई और बीजेपी नेता शामिल होने वाले थे. प्रतिमा भौमिक कहती हैं कि, 'हम ने गुवाहाटी में 21 नवंबर को एक बैठक में हिस्सा लिया. इस मीटिंग में हेमंत बिस्वा शर्मा ने हमें बताया कि किस तरह चुनाव की तैयारी करनी है.'
नेशनल पीपुलस पार्टी के प्रमुख नेता डॉक्टर लालरिना कहते हैं कि उन्हें बीजेपी या किसी और पार्टी का बाहर के नेता लाकर राज्य में प्रचार कराने से कोई ऐतराज नहीं है. लालरिना कहते हैं कि, 'तमाम जनजातियों और समुदाय होने के बावजूद उत्तर-पूर्व के राज्य एकजुट हैं. किसी भी राजनैतिक पार्टी को जनता को बांटने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.'
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नेशनल पीपुल्स पार्टी को मिजोरम में चुनाव प्रचार के लिए 28 नवंबर को लॉन्च किया गया था. इस पार्टी की अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय में अच्छी पकड़ है. मेघालय में तो एनपीपी ने इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव के बाद बीजेपी और दूसरे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई है.
सूत्रों के मुताबिक त्रिपुरा के बीजेपी नेता जो मिजोरम में काम कर रहे हैं, उन्हें भरोसा है कि वो 7-9 विधानसभा सीटें जीत लेंगे. इन सीटों पर त्रिपुरा बीजेपी के नेता गैरआधिकारिक रूप से चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
मिजोरम के कई नेताओं ने राज्य में अपनी सरकार बनाने के दावे किए हैं. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सोच अलग है. बीजेपी के एक सदस्य नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं, 'अमित शाह को पता है कि मिजोरम में बीजेपी अगली सरकार नहीं बना सकती. लेकिन हम इस बात पर पूरा जोर दे रहे हैं कि अगली सरकार बनाने में हमारा रोल हो. इसके लिए हम ब्रू और चकमा वोटरों पर ध्यान दे रहे हैं. ये मतदाता कम से कम 9 सीटों के नतीजों पर असर डालने की हैसियत रखते हैं.'
इस दौरान मिजोरम की बीजेपी इकाई ने बाहरी लोगों से राज्य में प्रचार के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. मिजोरम के बीजेपी नेताओं का कहना है, 'दूसरे राज्यों के नेताओं का प्रचार करना कोई नई बात नहीं है और न ही ये मिजोरम तक सीमित है. जब भी और जहां भी बीजेपी को जरूरत होती है, तो पार्टी के नेता वहां बुलाए जाते हैं.'
मिजोरम बीजेपी के अध्यक्ष वी के ह्लूना कहते हैं, 'खुद मैंने पार्टी के लिए मणिपुर, त्रिपुरा और मेघालय में वहां के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार किया था.'
(बिश्वास कल्याण पुरकायस्थ के इनपुट्स के साथ. दोनों लेखक स्वतंत्र पत्रकारों के जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेटवर्क 101 रिपोर्ट्स के साथ जुड़े हुए हैं.)
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