बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 2019 की तैयारी को लेकर सभी राज्यों के संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने में लगे हैं. 110 दिन के देशव्यापी प्रवास के अलग-अलग चरणों में शाह का सफर जारी है. लेकिन, शाह अबतक इस प्रवास के दौरान बिहार दौरे पर नहीं जा पाए. पिछले कुछ महीनों से बिहार के बदलते सियासी घटनाक्रम के चलते अमित शाह का दौरा टलता रहा था.
लेकिन, अब जबकि लालू का साथ छोड़ कर नीतीश कुमार बीजेपी के पाले में आ चुके हैं, तब अमित शाह बिहार के दौरे पर निकल रहे हैं. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह का बिहार दौरा नवंबर के पहले हफ्ते में होगा. शाह का दौरा दो, तीन और चार नवंबर को होगा. इस दौरान संगठन के लोगों, पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात के साथ-साथ अमित शाह कुछ प्रबुद्ध तबके के लोगों के साथ भी बात कर सकते हैं.
लेकिन, इसके पहले ही दिल्ली में पार्टी कार्यालय में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार बीजेपी की कोर कमेटी के साथ बैठक कर बिहार के सियासी हालात और सरकार के कामकाज पर चर्चा भी की. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में बिहार बीजेपी के नेताओं की तरफ से अमित शाह को बताया गया कि नीतीश कुमार के साथ सरकार बनने के बाद केंद्र सरकार की तमाम योजनाएं काफी तेजी से लागू की जा रही हैं.
बिहार बीजेपी नेताओं से मिले फीडबैक से उत्साहित अमित शाह ने की तरफ से बिहार के बीजेपी कोटे के सभी मंत्रियों को यह निर्देश दिया गया कि सरकार के काम-काज को जनता तक पहुंचाने का काम करें जिससे सरकार की बेहतर छवि बन सके. इस बाबत बिहार में डिप्टी सीएम सुशील मोदी समेत बीजेपी कोटे के सभी मंत्री हर सोमवार और मंगलवार को जनता से सीधे संवाद भी करेंगे.
दरअसल, अमित शाह की दो चिंताएं दिख रही हैं. पहली चिंता है कि केंद्र और राज्य में दोनों जगह अब बीजेपी सरकार में है. ऐसे में लोकसभा चुनाव के वक्त दोहरे एंटीइंकंबेंसी से जूझना होगा. यही वजह है कि हर हाल में केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार की योजनाओं के सही तरीके से धरातल पर उतारने और उसका संदेश जनता के बीच ले जाने की नसीहत देते दिख रहे हैं.
अमित शाह की दूसरी चिंता है कि कहीं इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने एनडीए के साथ के पहले कार्यकाल की तरह विकास का पूरा सेहरा अपने माथे पर ना ले लें. लिहाजा कोशिश हो रही है कि बिहार में बीजेपी कोटे के मंत्री भी काम करते दिखें. यही वजह है कि अब जनता से सीधे संवाद स्थापित करने की कोशिश की जा रही है.
इस बाबत अब बिहार में भी सरकार और संगठन में सही समन्वय पर भी जोर दिया जा रहा है. अब ऐसा नहीं होगा कि संगठन की अनदेखी कर सरकार में शामिल मंत्री अपनी अलग धुन में चलें, बल्कि संगठन को भरोसे में लेकर ही बीजेपी कोटे के मंत्रियों को आगे चलना होगा.
हालांकि सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी की तरफ से इस बार बिहार में मिशन 40 का लक्ष्य तय किया गया है. बीजेपी को लगता है कि पिछली बार लोकसभा चुनाव में एनडीए को राज्य की तीन चौथाई सीटों पर जीत मिली थी तो इस बार जब नीतीश कुमार भी साथ आ गए हैं तो फिर सभी चालीस सीटें क्यों नहीं मिल सकतीं? पार्टी की तरफ से इस बाबत रणनीति भी बनाई जा रही है, जिसमें बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी के साथ-साथ आरएलएसपी को भी साथ लेकर सभी चालीस सीटों पर कब्जा किया जाए.
बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय ने फर्स्टपोस्ट से बातचीत में बताया कि ‘बिहार में बीजेपी के सभी मंत्री जनता से सीधे संवाद कर उनकी परेशानियों को भी दूर करेंगे और सरकार के काम काज की उपलब्धियों को भी बताएंगे.’
हालांकि अभी तय नहीं हो पाया है कि बिहार के मंत्रियों के जनता संवाद का प्रारूप क्या होगा? क्या मंत्री पटना में ही संवाद करेंगे या फिर अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर संवाद करेंगे. इस पर अभी फैसला नहीं हो पाया है. लेकिन, बीजेपी के मंत्रियों का जनता संवाद करना काफी दिलचस्प है क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सोमवार को जनता दरबार में सूबे की जनता से सीधा संवाद ही करते हैं.
इस मीटिंग में बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय, डिप्टी सीएम सुशील मोदी, पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे, राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर के अलावा केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह और गिरिराज सिंह भी मौजूद रहे.
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