2009 के लोकसभा चुनाव के बाद जब मीरा कुमार स्पीकर पद के लिए चुनी गईं, तब सदन में विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी व अन्य विपक्षी दलों के नेताअों ने इस तथ्य को प्रमुखता के साथ रेखांकित किया था कि पहली महिला स्पीकर के रूप में मीरा कुमार महिला सशक्तिकरण के अभियान को नया आयाम प्रदान करेंगी. महिला सांसदों व देश की महिलाअों के लिए यह गौरव का क्षण था.
श्रीमती मीरा कुमार के पहले माकपा के नेता सोमनाथ चटर्जी लोकसभा के स्पीकर थे, इसलिए दोनों के बीच मीडिया में तुलना करते हुए कहा गया था कि मीरा कुमार पद के साथ पूरा न्याय नहीं कर पाएंगी. पहले दो-तीन सत्रों के बाद ही मीरा कुमार ने यह अहसास करा दिया था कि वे स्पीकर पद की गरिमा के साथ कोई समझौता नहीं करेंगी.
पन्द्रहवीं लोकसभा में पक्ष व विपक्ष के बीच भ्रष्टाचार से जुड़े कई मुद्दों पर गंभीर टकराव की स्थिति बनीं, लेकिन मीरा कुमार ने अपनी निष्पक्ष कार्यशैली के माध्यम से विपक्ष का विश्वास जीतने में सफलता पाई. सदन में उनका प्रिय वाक्य होता था- ‘कृपया शांत हो जाइए, शांत हो जाइए’. उनका गुस्सा भी मधुरता के साथ प्रकट होता था.
स्पीकर बनने के पहले मीरा कुमार बिहार के सासाराम लोकसभा सीट से चार बार चुनाव जीत चुकी थी, लेकिन उनकी मुख्य छवि पूर्व उप-प्रधानमंत्री जगजीवन राम की पुत्री के तौर पर ही थी. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में भी उन्हें कोई बड़ा विभाग नहीं दिया गया था. लोकसभा में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान मीरा कुमार को कभी ऊंची आवाज में बोलते हुए नहीं देखा गया.
पिता से मिली राजनीतिक विरासत को संभाला
मीरा कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी दलित होने के नाते कुछ पाने की कोशिश नहीं की, लेकिन आज कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने दलित समुदाय से होने के नाते ही राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. इसे देश की राजनीतिक त्रासदी के रूप में ही देखा जाना चाहिए कि राष्ट्रपति चुनाव को दलित बनाम दलित का रूप दे दिया गया है.
बाबू जगजीवन राम अपने बेटे सुरेश राम को राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन सुरेश राम एक सेक्स स्कैंडल में फंस गए थे, जिसकी वजह से मीरा कुमार को बाबूजी ने अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का निर्णय लिया. सुरेश राम के सेक्स स्कैंडल की तस्वीरें मेनका गांधी द्वारा संपादित पत्रिका ‘सूर्या’ में प्रकाशित हुई थीं. यह वह दौर था जब आपातकाल के बाद बाबू जगजीवन राम ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और अपनी नई पार्टी बना ली थी. जनता पार्टी के जीत के बाद वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी थे.
भारतीय विदेश सेवा में मीरा कुमार का कार्यकाल बहुत उ्ल्लेखनीय नहीं माना जाता था, इसलिए वे राजनीति में आना चाहती थीं. भाई सुरेश राम की दावेदारी के चलते यह संभव नहीं था. बाद में सुरेश राम की असामयिक मौत के बाद वे पिता की राजनीतिक विरासत की एकमात्र दावेदार बन गई. वे बाबूजी की लोकसभा सीट सासाराम से ही चुनाव लड़ती रहीं.
2014 में सासाराम से लोकसभा चुनाव हारने के बाद मीरा कुमार राजनीतिक हाशिए पर ही दिखाई दी. अब जब कांग्रेस को राष्ट्रपति पद के लिए दलित उम्मीदवार की जरूरत पड़ी तो मीरा कुमार अचानक महत्वपूर्ण हो गई. चुनाव का गणित पूरी तरह स्प्ष्ट है कि मीरा कुमार की पराजय सुनिश्चित है.
हंदवाड़ा में भी आतंकियों के साथ एक एनकाउंटर चल रहा है. बताया जा रहा है कि यहां के यारू इलाके में जवानों ने दो आतंकियों को घेर रखा है
कांग्रेस में शामिल हो कर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने जा रहीं फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वह ग्लैमर के कारण नहीं बल्कि विचारधारा के कारण कांग्रेस में आई हैं
पीएम के संबोधन पर राहुल गांधी ने उनपर कुछ इसतरह तंज कसा.
मलाइका अरोड़ा दूसरी बार शादी करने जा रही हैं
संयुक्त निदेशक स्तर के एक अधिकारी को जरूरी दस्तावेजों के साथ बुधवार लंदन रवाना होने का काम सौंपा गया है.