गुरुवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने प्रधानमंत्री के बड़े नोट बंद करने के फैसले को गलत बताया और इस पर जबरदस्त गुस्सा जाहिर किया.
मायावती ने कहा, 'देश का हर नागरिक भ्रष्टाचार से परेशान है. उन्होंने कहा कि अगर वाकई कालेधन पर अंकुश लगाना चाहते तो ढाई साल तक इंतजार न करते. प्रधानमंत्री ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं. मोदी सरकार देश और जनता का ध्यान भटका रही है. ढाई वर्षों में मोदी को कालेधन की याद आई है.
मायावती ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मोदी का ये कदम अघोषित आर्थिक इमरजेंसी की तरह है.
माया ने ये भी कहा,
बसपा सुप्रीमों ने कहा,'मोदी के बड़े नोट बंद करने से कालाबाजारी और बढ़ गई. उनके इस फैसले से पेट्रोल पंप वालों की चांदी हो गई और बीमारों को दवा नहीं मिल सकी. इससे देश की 90 फीसदी जनता परेशान है.'
मायावती ने कहा कि मोदी के नोट बंद करने की बात पता चलते ही लोग घरों से ऐसे बाहर निकल आए जैसे भूकंप आने पर जान बचाने के लिए भागते हैं. जनता बीजेपी एंड कंपनी को सजा देगी.
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लोग परेशान हैं. नोट बंदी का फैसला देश हित में नहीं है. गरीब, किसान और मजदूर परेशान है.
उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव है. ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी सरकार के बड़े नोट बंद करने के फैसले का सबसे ज्यादा असर इस चुनाव पर पड़ेगा. ऐसे में मायावती का यह गुस्सा राजनीति से प्रेरित लग रहा है. गौरतलब है कि चुनाव आयोग भी लगातार इस पर अंकुश लगाने के कदम उठाता रहा है. हालांकि अभी भी कई बड़े-छोटे राजनीतिक दल अपने आय-व्यय का ब्यौरा देने में आनाकानी करते रहे हैं.
जहां तक बात बसपा की है तो पार्टी छोड़ने वाले या निकाले गए ज्यादातर नेता आरोप लगाते रहे हैं कि मायावती पैसे लेकर टिकट देती हैं. गत जुलाई को बीएसपी में पासियों के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले आरके चौधरी ने मायावती पर टिकट बेचने का इल्जाम लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी.
इसके अलावा जुलाई में ही पार्टी छोड़ते हुए बसपा के प्रमुख नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती पर आरोप लगाया,
इसके अलावा 23 सितंबर 2001 को ही मायावती ने यह बात स्वीकार भी की थी कि वह अपने जन्मदिन पर पार्टी के नाम पर करोड़ों रुपये चंदा लेती हैं. इस चंदे का हिसाब-किताब भी नहीं रखा जाता है.
अमर उजाला अखबार ने गुरुवार को एक खबर में बताया है कि बुधवार पूरे दिन लखनऊ स्थित बसपा दफ्तर में गहमा-गहमी का माहौल रहा है. अखबार का दावा है कि पार्टी नेताओं की करीब 100 गाड़ियां दफ्तर पहुंची. सभी गाड़ियों में ब्रीफकेस और बैग भरे हुए थे. हालांकि बसपा नेताओं ने बताया कि ब्रीफकेस व बैग में चुनाव से संबंधित पैमफ्लेट भरकर भेजे गए हैं.
इस तरह की तमाम चर्चाओं के बीच मायावती का बयान कई सवाल उठाता है. ऐसे में भले यह कहें कि देश की 90 फीसदी जनता परेशान है, लेकिन उनका यह गुस्सा वोट दिलाने में सक्षम नहीं लग रहा है.
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