महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर बवाल खत्म नहीं हो रहा है. महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस संबंध में मराठा नेताओं से मुलाकात की है, साथ ही आरक्षण को लेकर ऑल पार्टी मीटिंग भी हुई है लेकिन आरक्षण को लेकर मराठा संगठन अपने रुख में नरमी लाने को तैयार नहीं हैं. मराठा क्रांति मोर्चा ने 1 अगस्त से पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर एक और संगठन मराठा कोआर्डिनेशन कमिटी ने सोमवार को बंद बुलाया है.
रविवार को लातुर में मराठा क्रांति मोर्चा के नेताओं ने बैठक की. बैठक के बाद बताया गया कि उन्होंने सरकार को दो दिन का वक्त दिया है. इन दो दिनों में मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र सरकार को फैसला करना है. महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की कुल आबादी करीब 33 फीसदी है और ये अपने लिए 16 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहे हैं.
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मराठा समुदाय की मांगों को लेकर सकल मराठा आर्गेनाइजेशन और महाराष्ट्र स्वाभिमान पार्टी के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद नारायण राणे से भी मुलाकात की. उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर है. फडणवीस ने भरोसा दिलाया कि आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान मराठा युवाओं पर दर्ज हुए केस वापस लिए जाएंगे. सिर्फ उन युवाओं के केस वापस नहीं होंगे जिन्होंने प्रदर्शन के दौरान हिंसा की हो या फिर पुलिस के साथ हाथापाई की हो.
आरक्षण को लेकर सरकार के रूख पर मराठा नेताओं की अलग-अलग प्रतिक्रिया आ रही है. कुछ मराठा नेता जहां से सरकार से बातचीत को राजी हैं वहीं कुछ का कहना है कि बातचीत से कोई नहीं निकलने वाला है. मराठा समुदाय के अलग-अलग संगठन अलग-अलग जिलों में विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं. वो विरोध प्रदर्शन के अपने प्लान से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
मराठा समुदाय के साथ-साथ महाराष्ट्र की दूसरी जातियों की तरफ से भी आरक्षण को लेकर मांग उठने लगी है. धनगर जाति के लोग खुद को एसटी कैटेगरी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं. ऐसा नहीं होने पर वो भी सड़कों पर उतरने की चेतावनी दे रहे हैं. विदर्भ में हल्बा-कोष्टी समुदाय के लोग नाराज हैं. हल्बा-कोष्टी जाति के लोगों को एसटी कैटेगरी में डाले जाने को कोर्ट में चुनौती दी गई है. समुदाय के लोगों में इस बात को लेकर विरोध हो रहा है. ओबीसी जातियां आरक्षण बढ़ाए जाने को लेकर अलग से मांग रख रही हैं.
महाराष्ट्र में कुल 52 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. इसमें 13 फीसदी कोटा एससी के लिए, 7 फीसदी एसटी के लिए, ओबीसी के लिए 19 फीसदी और घूमतुं जातियों के लिए 13 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था है. ओबीसी जातियां अपने लिए 27 फीसदी आरक्षण चाहती हैं.
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