राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के जाने पर कांग्रेस के सीनियर नेता मनीष तिवारी ने सवाल खड़ा किया है. तिवारी ने कहा कि मुखर्जी ने वहां जाकर राष्ट्रवाद पर भाषण क्यों दिया जबकि वे नेताओं को हमेशा संघ के ‘इरादे और योजना’ को लेकर आगाह करते रहे हैं.
वैसे, तिवारी की इस टिप्पणी पर कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. पार्टी के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने पत्रकारों से कहा, ‘इस मामले पर पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कल (गुरुवार) विस्तार से बता दिया. अब इस बारे में कुछ कहने के लिए नहीं बचा है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या मुखर्जी को लेकर पार्टी में अलग-अलग राय है तो गोहिल ने कहा कि सुरजेवाला ने जो कहा है वही कांग्रेस की राय है.
कांग्रेस नेता तिवारी ने शुक्रवार को एक के बाद एक कई ट्वीट कर मुखर्जी के नागपुर जाने पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा, ‘प्रणब मुखर्जी, क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूं जिसका आपने अब तक जवाब नहीं दिया है और जो लाखों सेकुलर और बहुलवादी लोगों को अखर रहा है. आपने आरएसएस मुख्यालय जाने और राष्ट्रवाद पर संबोधन देने का फैसला क्यों किया?’
तिवारी का प्रणब मुखर्जी से सवाल
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘आपकी पीढ़ी 1980 और 1990 के दशक में आरएसएस के इरादे और योजना को लेकर आगाह करती रही. आप उस सरकार का हिस्सा थे जिसने 1975 और 1992 में आरएसएस को बैन किया. आपको नहीं लगता कि आपको हमें यह बताना चाहिए कि उस वक्त आरएसएस में क्या बुराई थी और आज वही आरएसएस कैसे भली हो गई?’
-@CitiznMukherjee May I ask you a question that you still have not answered that is bothering millions of Secularists&Pluralists.Why did you choose go to the RSS headquarters & deliver homilies on Nationalism?Your generation cautioned mine in training camp after training camp 1/2
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 8, 2018
तिवारी ने कहा, ‘या तो उस समय हमें जो बताया गया वो गलत था या फिर आपने आरएसएस को जो सम्मान दिया है वह सार्वजनिक जीवन में आपके कद के उपयुक्त नहीं है. क्या यह वैचारिक मेलमिलाप है और राजनीतिक रुख में कड़वाहट कम करने की कोशिश है जैसा कि आलोचक कह रहे हैं?’
3/3 or your lending respectability if not legitimacy to RSS by the act of association is not kosher given your stature in Public life.Was it an attempt at ideological rapprochement/lowering bitterness in political firmament/positioning as cynics suggest.Whatever the motivation4/4
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 8, 2018
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा, ‘जो भी मकसद रहा हो लेकिन इसे आरएसएस को सेकुलर और बहुलवादी सोच में शामिल करने के प्रयास के तौर पर देखा जाएगा.’
4/4 was it will be seen as just an attempt to mainstream RSS in secular&pluralistic consciousness.History tells us when Nazi’s were strutting around Europe in black berets Chamberlain thru Munich Pact- 1938 thought he had bought the ‘Peace of our Times’.What a false dawn it was
— Manish Tewari (@ManishTewari) June 8, 2018
संघ को 'सच का आईना'
मुखर्जी के आरएसएस मुख्यालय में भाषण के बाद कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने गुरुवार को कहा था कि मुखर्जी ने संघ को 'सच का आईना' दिखाया और नरेंद्र मोदी सरकार को 'राजधर्म' की याद दिलाई.
‘राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम’’ के बारे में आरएसएस मुख्यालय में अपने विचार साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि भारत की आत्मा ‘बहुलतावाद और सहिष्णुता’ में बसती है.
मुखर्जी ने कहा कि भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से पाते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं. हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं.
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