2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में नरेंद्र मोदी ने स्वर्गीय राजीव गांधी पर सीधा हमला बोला था. इस हमले का जवाब प्रियंका गांधी ने दिया था. प्रियंका गांधी ने एक जनसभा में कहा था कि बीजेपी उनके शहीद पिता पर नीच राजनीति कर रही है.
प्रियंका ने कहा था, 'इन्होंने अमेठी की धरती पर मेरे शहीद पिता का अपमान किया है, अमेठी की जनता इस हरकत को कभी माफ नहीं करेगी. इनकी नीच राजनीति का जवाब मेरे बूथ के कार्यकर्ता देंगे. अमेठी के एक-एक बूथ से जवाब आएगा.'
प्रियंका गांधी के इस जवाब का उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने रुख ही बदल दिया. मोदी ने प्रियंका गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि निचली जाति से होने की वजह से उनकी राजनीति को नीचा कहा जा रहा है. इसके बाद ये किसी को याद नहीं रहा कि बात की शुरुआत नीच राजनीति से हुई थी.
नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, 'सामाजिक रूप से निचले वर्ग से आया हूं, इसलिए उन लोगों के लिए मेरी राजनीति नीच राजनीति ही होगी. हो सकता है कुछ लोगों को यह नजर नहीं आता हो, पर निचली जातियों के त्याग, बलिदान और पुरुषार्थ ने देश को इस ऊंचाई पर पहुंचाने में अहम भूमिका है.'
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अपने पिता पर दिए बयान से आहत हुई प्रियंका का जवाब कांग्रेस के लिए भारी साबित हुआ. कांग्रेस ये बार-बार कहती रही कि बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार वोट हासिल करने की कोशिश में जाति की राजनीति में करने लगे हैं.
उस वक्त कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा था कि 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी ने राजनीतिक फायदा उठाने के लिए प्रियंका के बयान को तोड़ा-मरोड़ा है.' लेकिन इस सफाई का कोई असर नहीं हुआ. भावनाओं के आवेग में बहकर प्रियंका गांधी कांग्रेस का नुकसान कर चुकी थी.
नीच शब्द किसी के लिए भी गले उतरने वाला नहीं है. लेकिन इसके इस्तेमाल को जिस चतुराई से बदल दिया गया वो भी कम दिलचस्प नहीं है. आज के राजनीतिक तौर पर बेहद संवेदनहीन दौर में इस चतुराई का निश्चित तौर पर फायदा मिलता है. कांग्रेस के कई पढ़े लिखे और सीनियर नेता इस लिहाज से नासमझ साबित हुए हैं. मणिशंकर अय्यर ऐसे ही नेता है.
सिर्फ कांग्रेस के कई नेताओं की बदजुबानी का नुकसान पार्टी कई मौकों पर उठा चुकी है. ऐसे कई मौकों की जानकारी खुद बीजेपी के नेता देते हैं. मणिशंकर अय्यर द्वारा पीएम मोदी को ‘नीच’ बोले जाने के बाद केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने बाकायदा एक लिस्ट जारी कर दी कि किन-किन मौकों पर कांग्रेस के नेताओं ने पीएम मोदी के लिए कई चुनिंदा गलत शब्दों का इस्तेमाल किया है.
ट्विटर पर राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कांग्रेस नेताओं के नाम और पीएम के ऊपर उनकी बदजुबानी वाले बयानों के साथ ट्वीट कर लिखा कि कांग्रेस के नेता शायद किसी गरीब घर के आदमी को बढ़ते हुए नहीं देख सकते.
श्री @narendramodi जी के लिए कांग्रेस के नेताओं ने इस्तेमाल किए हुए कुछ चुनिंदा शब्द।
शायद वे किसी गरीब घर के आम आदमी को आगे बढ़ते देख ही नहीं सकते। @BJP4India और कांग्रेस के बीच Class War जैसे हालात हो गए हैं। pic.twitter.com/990qnoMRY9— Rajyavardhan Rathore (@Ra_THORe) December 7, 2017
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए लिखा कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच क्लास वार जैसे हालात बन चुके हैं. राज्यवर्धन सिंह राठौर ठीक कहते हैं. इन सारे बयानों में कांग्रेस की सामंतवादी मानसिकता दिखाई देती है. लेकिन ये भी देखना होगा कि ऐसे हर बयान के बाद ‘गरीब बीजेपी’ को ही इसका फायदा मिलता है.
राज्यवर्धन सिंह राठौर की लिस्ट में पहला ही नाम सोनिया गांधी का है. 2007 में गुजरात चुनाव के दौरान सोनिया गांधी ने उस वक्त गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कह डाला था. 2007 में कांग्रेस गुजरात में अपनी खोई ताकत को वापस पाने की जद्दोजहद में लगी थी.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नरेंद्र मोदी पर लगातार हमलावर थीं और इसी दौरान उन्होंने मोदी को ‘मौत का सौदागर’ बता दिया. इसके बाद हिंदू वोटों की राजनीति करने वाली बीजेपी ने इस बयान को हिंदू अस्मिता से जोड़ते हुए चुनावी मुद्दा बना दिया और कांग्रेस राज्य में धराशाई हो गई.
राज्यवर्धन सिंह राठौर ने अपनी लिस्ट में राहुल गांधी का नाम तो नहीं लिया है, शायद उन्हें याद न रहा हो लेकिन 2016 में एक ऐसा ही बयान राहुल गांधी ने भी दिया था. यूपी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में कांग्रेस के लिए माहौल बनाने के लिए राहुल गांधी ने किसान यात्रा की शुरुआत की थी.
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अक्टूबर 2016 में सेना के सर्जिकल स्ट्राइक का देशभर में माहौल बना था. सेना ने पाकिस्तानी सीमा के भीतर जाकर आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप तबाह किए थे. मोदी सरकार सेना की इस कार्रवाई को अपनी उपलब्धि बताकर प्रचारित कर रही थी. इसे मोदी के 56 इंच वाला सीना के बयान से जोड़कर देखा जा रहा था.
खासकर सोशल मीडिया पर सेना और सरकार के समर्थन में जबरदस्त माहौल बना था. ऐसे वक्त में राहुल गांधी ने किसान यात्रा के समापन के मौके पर कह डाला कि मोदी सरकार जवानों के खून की दलाली कर रही है. राहुल गांधी के इस बयान की चौतरफा आलोचना हुई. सेना के सर्जिकल स्ट्राइक से बने भीषण देशभक्ति वाले माहौल में कोई राहुल गांधी का ये बयान सुनने को तैयार नहीं था.
इसके बाद बीजेपी ने राहुल गांधी पर ताबड़तोड़ हमले किए. यूपी में पहले से अपनी जमीन खो चुकी कांग्रेस के लिए फिर से खड़ा होना मुश्किल हो गया. यूपी चुनाव में आखिरी वक्त में कांग्रेस की समाजवादी पार्टी से गठबंधन भी बना लेकिन ये कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुआ न समाजवादी पार्टी के लिए. कई राजनीतिक विश्लेषकों की राय में दरअसल कांग्रेस के सामंतवादी मानसिकता वाले नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पचा ही नहीं पाते.
इन नेताओं ने पीएम मोदी को बीजेपी के एक साधारण कार्यकर्ता से आगे बढ़कर पहले सीएम और अब पीएम बनते देखा है. लेकिन ये लोग कांग्रेस के अपने स्वर्णकाल के दौर से बाहर आकर आज की कड़वी हकीकत को स्वीकार ही नहीं करना चाहते.
शायद इसलिए कई मौकों पर ऐसे नेताओं की हताशा उनके बयानों में झलक जाती है. इस बात में कोई शक नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी शायद अब तक देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री होंगे जिन्हें लेकर इतने अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल हुआ.
ये अलग बात है कि उनके लिए जितने छिछले शब्दों का इस्तेमाल हुआ है वो उतने ही आगे बढ़ते गए हैं. बीजेपी ऐसे हर बयान का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर ही लेती है.
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