live
S M L

मानेसर लैंडस्कैम: भूपिंदर सिंह हुड्डा के सामने खड़ी है बड़ी कानूनी लड़ाई

मामलों की बढ़ती संख्या से लंबे वक्त तक हुड्डा को अपना अधिकतर समय कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने और खुद का बचाव करने में ही खर्च करना पड़ सकता है

Updated On: Feb 05, 2018 10:05 AM IST

vipin pubby

0
मानेसर लैंडस्कैम: भूपिंदर सिंह हुड्डा के सामने खड़ी है बड़ी कानूनी लड़ाई

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा जान-बूझकर एक गलती करने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने भू-माफिया, बिल्डर्स और प्रभावशाली लोगों को उदारतापूर्वक जमीन बांटी. यह काम हुड्डा ने किसानों और राज्य के खजाने को भारी नुकसान होने के बावजूद किया. अतीत के फैसले अब उनका पीछा कर रहे हैं. अब उन्हें अदालतों में लंबी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है.

हुड्डा के खिलाफ जो जांच चल रही है या उन पर जो मामले हैं, वो सब संदेहात्मक भूमि सौदों से जुड़े हैं. इनमें कौड़ियों के मोल जमीन का आवंटन और अपने रिश्तेदारों व दोस्तों के लिए लैंड यूज बदलने की अनुमति देना शामिल है. इनमें सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा जैसे प्रभावशाली लोग, नामीचन बिल्डर्स और कांग्रेस से जुड़े संगठन शामिल हैं.

2014 में बनी थी कांग्रेस के हार की वजह

बीजेपी ने 2014 के आम चुनाव में इन भूमि सौदों को बड़ा मुद्दा बनाया था. उसी साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने इस मुद्दे को नहीं छोड़ा. इसके चलते दशक भर पुरानी हुड्डा की कांग्रेस सरकार को कुर्सी से हाथ धोना पड़ा और मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में राज्य में बीजेपी की सरकार बनी. सरकार को संदेहास्पद भूमि सौदों में अभियोग की कार्यवाही शुरू करने में चार साल लग गए, जबकि अगला विधानसभा चुनाव होने में महज एक साल बचा है.

ये भी पढ़ें: राहुल को मिडिल क्लास के गुस्से पर इतना भरोसा नहीं करना चाहिए

इस कड़ी में सबसे नई सीबीआई की 80 हजार पन्नों की चार्जशीट है. मानेसर भूमि घोटाले के सिलसिले में जांच एजेंसी ने यह आरोप पत्र दायर किया है. दूसरे अनेक भूमि सौदों की तरह इसमें भी लैंड यूज बदलने का मामला है. इसके तहत कृषि भूमि के कारोबारी और आवासीय उपयोग में लाने की अनुमति दी गई. इस बदलाव ने जमीन की कीमत कई गुना बढ़ा दी, और जमीन मालिकों की चांदी हो गई.

किसानों को पहुंचाया गया 1500 करोड़ का नुकसान

सीबीआई चार्जशीट कहती है कि मानेसर और गुड़गांव के आसपास के गांवों के किसानों से महज एक हस्ताक्षर लेकर उन्हें 15 सौ करोड़ रुपए का नुकसान में पहुंचाया गया. इसके मुताबिक हुड्डा सरकार ने मानेसर में इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप के लिए 912 एकड़ जमीन अधिगृहित करने की अधिसूचना जारी की. लेकिन अधिसूचना के 22 दिन के भीतर ही सरकार ने नोटिफिकेशन वापस ले लिया.

इस बीच, नोटिफिकेशन के इस चक्कर ने किसानों को चार सौ एकड़ जमीन बेचने पर मजबूर कर दिया. भू-माफियाओं ने किसानों के बीच ऐसा माहौल बना दिया कि उनकी जमीन औने-पौने दामों में खरीद ली जाएगी. भू-माफियाओं ने किसानों को महज सौ करोड़ रुपए दिए. जमीन को गैर-अधिसूचित करने के तुरंत बाद लैंड यूज बदल दिया गया और इस पर कारोबारी और आवासीय उपयोग की अनुमति दे दी गई. इससे चार सौ एकड़ जमीन की कीमत आसमान छूने लगी और ये 16 सौ करोड़ रुपए हो गई. इस तरह कुछ ही दिनों में पीड़ित किसानों को 15 सौ करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा.

farmers 2

हुड्डा के साथ आरोप पत्र में 33 लोगों के नाम हैं. इनमें वरिष्ठ नौकरशाह एम एल तायल भी हैं. तायल तब मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री के अतिरिक्त पीएस और बाद में यूपीएससी के सदस्य बने छत्तर सिंह और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के पूर्व निदेशक एस एस ढिल्लो भी हैं. हालांकि हुड्डा किसी भी अनियमितता से इनकार कर रहे हैं. उनका दावा है कि मामला पूरी तरह 'राजनीतिक' है.

ये भी पढ़ें: राजस्थान उपचुनाव: क्यों काम नहीं कर सका अमित शाह का बूथ मैनेजमेंट

कई मामलों में हुड्डा को लगाने पड़ सकते हैं चक्कर

इसके अलावा संदेहास्पद भूमि सौदों के तीन और मामले हैं, जिनमें हुड्डा को अदालत के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं. इनमें से एक वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से जुड़ा है. कंपनी ने मानेसर में तीन एकड़ जमीन महज सात करोड़ रुपए मे खरीदी थी और कुछ ही महीनों बाद रियल एस्टेट क्षेत्र की बड़ी कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दी. इन कुछ महीनों में बस इतना बदलाव हुआ कि हुड्डा सरकार ने इस जमीन को कृषि से हटाकर इस पर कारोबारी और आवासीय गतिविधियों की अनुमति दे दी. बीजेपी सरकार ने मामले की जांच के लिए ढींगरा आयोग बनाया था, जिसमें उन्हें दोषी माना गया. अगला विधानसभा चुनाव महज कुछ महीने दूर है इसलिए हुड्डा के खिलाफ मामला जरूर दायर होगा. हालांकि वाड्रा खुद को बेकसूर बता रहे हैं.

दूसरा मामला कांग्रेस से जुड़ा है. पंचकुला में नेशनल हेराल्ड को जमीन आवंटित करने के मामले में हरियाणा सतर्कता ब्यूरो ने हुड्डा पर मामला दर्ज किया है. यह अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स निकालता है. कंपनी पर कांग्रेस का अपने वरिष्ठ नेताओं के जरिए नियंत्रण है. हुड्डा के खिलाफ दर्ज एफआईआर में लिखा है कि उन्होंने जब्त की हुई जमीन को अवैध तरीके से संगठन को महज 59 लाख में आवंटित की, जबकि बाजार की कीमत करीब 23 करोड़ रुपए थी.

ये भी पढ़ें: यूपी में बागियों के भरोसे कांग्रेस: क्या मोदी की राह पर चल रहे हैं राहुल गांधी?

सीबीआई ने उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज कर रखा है. यह मामला हुड्डा के दूसरे कार्यकाल के आखिरी समय में पंचकुला में 14 कीमती औद्योगिक भूखंडों के आवंटन से जुड़ा है. हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HUDA) के अध्यक्ष के नाते उन्होंने अपने रिश्तेदारों और खास लोगों को ये 14 प्लॉट आवंटित किए जबकि इनमें से अधिकतर लोग बुनियादी मानदंडों को भी पूरा नहीं करते थे.

नवीनतम चार्जशीट हुड्डा के लिए राजनीतिक झटका भी है. वो हरियाणा कांग्रेस प्रमुख के पद पाने के लिए जोर लगा रहे हैं, ताकि वो फिर से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो जाएं. लेकिन मामलों की बढ़ती संख्या से लंबे वक्त तक हुड्डा को अपना अधिकतर समय कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने और खुद का बचाव करने में ही खर्च करना पड़ सकता है.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi