नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एक उच्च स्तरीय सेलेक्शन कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटा दिया. हालांकि इस मामले को लेकर कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने फैसले का विरोध किया. कमेटी में पीएम मोदी के अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे और एके सीकरी शामिल थे. जिसमें पीएम मोदी और सीकरी वर्मा को हटाए जाने के पक्ष में थे.
उच्च स्तरीय सेलेक्शन कमेटी में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीबीआई निदेशक को पद से हटाने के कदम का विरोध किया. सेलेक्शन कमेटी ने वर्मा को पद से हटाने का फैसला किया है. वहीं दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को इस पद पर बहाल किया था.
सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान समिति के सदस्य खड़गे ने कहा कि वर्मा को दंडित नहीं किया जाना चाहिए और उनका कार्यकाल 77 दिन के लिए बढ़ाया जाना चाहिए. इस अवधि के लिए वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया था. यह दूसरा मौका है जब खड़गे ने वर्मा को पद से हटाने पर आपत्ति जताई.
तीन सदस्यीय समिति में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के तौर पर न्यायमूर्ति एके सीकरी भी शामिल थे. सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कुछ आरोप हैं, इस पर खड़गे ने कहा, 'आरोप कहां हैं.'
कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से किए ट्वीट में कहा, 'आलोक वर्मा को उनका पक्ष रखने का मौका दिए बिना पद से हटाकर प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि वह जांच चाहे स्वतंत्र सीबीआई निदेशक से हो या संसद या जेपीसी से हो, उसको लेकर काफी भयभीत हैं.' वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया. इसके साथ ही एजेंसी के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले वह सीबीआई के पहले प्रमुख बन गए हैं.
By removing #AlokVerma from his position without giving him the chance to present his case, PM Modi has shown once again that he's too afraid of an investigation, either by an independent CBI director or by Parliament via JPC.
— Congress (@INCIndia) January 10, 2019
वहीं सूत्रों का कहना है कि पैनल ने आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी के जरिए की गई टिप्पणियों की गंभीरता से लिया है. पैनल का विचार था कि एक बहुत ही संवेदनशील संगठन का मुखिया होने के नाते वर्मा ईमानदारी के साथ काम नहीं कर रहे थे.
Sources: CVC found evidence of influencing of investigation in Moin Qureshi case. There was also evidence of taking of bribe of Rs. 2 crore. CVC said Alok Verma's conduct in the case is suspicious, and there is a prima facie case against him. https://t.co/cfPFKWoSkC
— ANI (@ANI) January 10, 2019
सूत्रों का कहना है कि सीवीसी को मोइन कुरैशी मामले में जांच प्रभावित करने के सबूत मिले. जिनमें 2 करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का सबूत भी था. सीवीसी ने कहा कि मामले में आलोक वर्मा का आचरण संदेहास्पद है और उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मुकदमा चल रहा है.
सूत्रों ने कहा कि आईआरसीटीसी मामले में सीवीसी ने महसूस किया कि आलोक वर्मा ने जानबूझकर एफआईआर से एक नाम को बाहर कर दिया था, जिसके बारे में वो ही अच्छी तरह से जानते होंगे. वहीं सीवीसी ने उनके खिलाफ कई अन्य मामलों में भी सबूत पाया.
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