live
S M L

मध्य प्रदेश: वंदे मातरम के मुद्दे पर बीजेपी कार्यकर्ताओं को हताशा से उबारने की कोशिश

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चल रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन रोक कर एक अनचाहे विवाद में फंस गई है.

Updated On: Jan 02, 2019 07:03 PM IST

Dinesh Gupta
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

0
मध्य प्रदेश: वंदे मातरम के मुद्दे पर बीजेपी कार्यकर्ताओं को हताशा से उबारने की कोशिश

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चल रही मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन रोक कर एक अनचाहे विवाद में फंस गई है. मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को बैठे-बैठाए सरकार को घेरने का एक मुद्दा भी हाथ लग गया है. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस राजनीतिक विवाद को भांपकर विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा है कि मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन को जल्द ही नए रूप में प्रस्तुत किया जाएगा.

बाबूलाल गौर के कार्यकाल में शुरू हुआ था वंदेमातरम का गायन

राज्य मंत्रालय में वंदे मातरम गायन की व्यवस्था लगभग चौदह साल पूर्व बाबूलाल गौर के मुख्यमंत्रित्व काल में शुरू हुई थी. इस व्यवस्था के तहत हर माह की पहली तारीख को मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में तैनात अधिकारी एवं कर्मचारी कार्यालय शुरू होने के समय सुबह साढ़े दस बजे वंदे मातरम का सामूहिक गान करते थे. माह की पहली तारीख को अवकाश होने पर अगले कार्यालयी दिवस में वंदेमातरम का कार्यक्रम आयोजित किया जाता था.

पिछले चौदह साल में मुख्यमंत्री ने यदाकदा ही इस कार्यक्रम में रस्मी तौर पर हिस्सा लिया. कभी-कभी कोई मंत्री भी भूले-भटके इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंच जाता था. राज्य मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में बीस हजार से अधिक अधिकारी एवं कर्मचारी तैनात हैं. इसके बाद भी वंदे मातरम के सामूहिक गान कार्यक्रम में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति कभी भी एक हजार का आकंडा नहीं छू पाई.

kamal nath

पिछले कुछ सालों से लगातार वंदे मातरम के गायन को वरिष्ठ अधिकारियों ने भी गंभीरता से लेना बंद कर दिया था. राज्य के मुख्य सचिव इस सामूहिक गायन में आमतौर पर मौजूद रहते थे. पिछले कुछ माह में इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले कर्मचारियों की संख्या भी तेजी से घटी. इसकी वजह मंत्रालय के कर्मचारियों का समय पर कार्यालय न पहुंचना रहा है.

उमा भारती की तिरंगा यात्रा का जवाब माना जाता था वंदे मातरम

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के लिए वंदे मातरम का गायन हमेशा ही राष्ट्र भक्ति साबित करने का बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है. बाबूलाल गौर ने मंत्रालय में वंदे मातरम गायन का निर्णय उन दिनों लिया था, जब उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाए जाने की चर्चाएं जोर पकड़ने लगी थीं. गौर को अगस्त 2004 में राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था.

गौर, साध्वी उमा भारती के स्थान पर मुख्यमंत्री बनाए गए थे. कर्नाटक के हुबली में दर्ज एक आपराधिक मामले के चलते उमा भारती को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. यह आपराधिक मामला राष्ट्र ध्वज तिरंगा के कथित अपमान से जुड़ा हुआ था.

इस्तीफे के बाद उमा भारती ने तिरंगा यात्रा भी निकाली. तिरंगा यात्रा पूरी होने और हुबली मामले में कोर्ट से मिली राहत के बाद उमा भारती ने गौर को हटाने के लिए पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. जवाब में गौर ने एक जुलाई 2005 से मंत्रालय में वंदे मातरम का गायन शुरू कर दिया. यद्यपि इसके बाद भी गौर अपनी कुर्सी नहीं बचा पाए. उनके स्थान पर नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री बना दिए गए.

वंदे मातरम के गायन कार्यक्रम में अधिकारी एवं कर्मचारी हिस्सा लें, इसका कोई बंधन सरकार की ओर से नहीं रखा गया था. वर्ष 2019 के पहले ही दिन मंत्रालय में वंदेमातरम का गायन न होने पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि इस बारे में मुख्यमंत्री कमलनाथ से बात करेंगे.

बीजेपी की कोशिश लोकसभा चुनाव से पहले गांव-गांव पहुंचे मुद्दा

एक जनवरी को मंत्रालय परिसर में वंदे मातरम का गायन कार्यक्रम न होने पर प्रदेश की राजनीति अचानक गर्म हो गई है. भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे के जरिए एक बार फिर राष्ट्रवाद के मुद्दे को हवा देने में लग गई है. बीजेपी के नेताओं ने सरकार के निर्णय का विरोध करते हुए बुधवार को मंत्रालय के समक्ष वंदे मातरम का सामूहिक गान किया.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वंदेमातरम के गान को बंद करने के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कांग्रेस सरकार की राष्ट्र भक्ति पर सवाल खड़े किए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि देश भक्ति से ऊपर कुछ नहीं है. बीजेपी के विधायक छह जनवरी को मंत्रालय के समक्ष वंदे मातरम का सामूहिक गान करेंगे.

Shivraj Singh

सात जनवरी से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है. बीजेपी की योजना विधानसभा के भीतर भी सरकार को घेरने की है. बीजेपी इस मुद्दे के जरिए लोगों को यह बताना चाहती है कि कांग्रेस ने वंदे मातरम के गायन का फैसला अल्पसंख्यक वोटों के तुष्टिकरण के लिए लिया है.

तीन माह बाद लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इससे पहले बीजेपी गांव-गांव तक इस मुद्दे को ले जाना चाहती है. हाल ही में हुए विधानसभा के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बहुमत से कुछ कदम ही दूर रह गई थी. बीजेपी 109 सीटें ही जीत पाई थी. जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं.

बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है. कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका ज्यादा सीटें जीतने के कारण मिला है. कांग्रेस को विधानसभा में मिली सीटों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपनी कई मौजूदा सीटों को गंवाना पड़ सकता है. वर्तमान में बीजेपी के पास लोकसभा की 29 में से 26 सीटें हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ पार्टी की सॉफ्ट हिन्दुत्व की नीति पर चलते हुए गाय रक्षा का एजेंडे का प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखे हुए हैं.

कमलनाथ ने अधिकारियों से साफ शब्दों में कहा है कि उन्हें सड़क पर गाय नहीं दिखना चाहिए. सरकार पंचायत स्तर पर गौशाला खोलने की तैयारी भी कर रही है. साधु-संतों को साधने के लिए आध्यात्म विभाग भी बनाया जा रहा है.

वंदे मातरम का गायन नहीं होगा,इसकी खबर सिर्फ चंद अफसरों को थी

वंदे मातरम के मुद्दे पर तेज हुई सियासत के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि किसी की राष्ट्र भक्ति सिर्फ वंदे मातरम के गाने से तय नहीं की जा सकती. कमलनाथ ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वे वंदे मातरम के गान की परंपरा को नए रूप में जल्द ही शुरू करेंगे.

एक जनवरी को मंत्रालय में वंदे मातरम का गान नहीं होगा इसकी जानकारी सिर्फ चुनिंदा अफसरों को ही थी. सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 29 दिसंबर को एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें एक जनवरी को वंदे मातरम के सामूहिक गान के कार्यक्रम की सूचना सभी कर्मचारियों की दी गई थी. सूचना जरूर जारी की गई लेकिन, कार्यक्रम की तैयारियां नहीं की गईं.

पुलिस बैंड को भी सूचित नहीं किया गया. कुछ अधिकारी कर्मचारी निर्धारित समय पर मंत्रालय परिसर में पहुंचे लेकिन, वहां तैयारी न देख अपनी सीट पर चले गए. मुख्यमंत्री कमलनाथ भोपाल से बाहर थे. वे अपने निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा से सीधे उज्जैन महाकाल के दर्शन करने के लिए चले गए थे. राज्य के नए मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने भी नए साल के पहले दिन ही कार्यभार ग्रहण किया था.

0

अन्य बड़ी खबरें

वीडियो
KUMBH: IT's MORE THAN A MELA

क्रिकेट स्कोर्स और भी

Firstpost Hindi