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सिंधिया ने छात्रों को समझाया व्यापमं तो प्रिंसिपल हुए सस्पेंड

सिंधिया ने अपने संबोधन में छात्रों से कहा कि प्रदेश में गरीब का लायक बेटा अफसर नहीं बन पाता है. लेकिन अमीर का नालायक बेटा जरूर पैसे के दम पर अफसर बन जाता है.

Updated On: Oct 13, 2017 11:16 AM IST

Dinesh Gupta
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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सिंधिया ने छात्रों को समझाया व्यापमं तो प्रिंसिपल हुए सस्पेंड

कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने संसदीय क्षेत्र गुना के मुंगावली स्थित सरकारी कॉलेज में छात्रों को व्यापमं घोटाले के बारे में समझाया तो सरकार ने अपना गुस्सा प्रिंसिपल डॉ. बीएल अहिरवार पर उतारा. प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया गया. सिंधिया को कॉलेज आने का आमंत्रण प्रिंसिपल अहिवार ने ही दिया गया था. कार्यक्रम राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के बैनर पर आयोजित किया गया था.

उच्च शिक्षा विभाग ने अहिरवार के सस्पेंशन आर्डर में लिखा है कि राजनीतिक दल के चुनाव चिन्ह वाले बैनर लगवाकर एनएसएस का कार्यक्रम कराया गया. कार्यक्रम में राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा और राजनीतिक दल के बैनर कॉलेज कैंपस में लगाए गए. प्राचार्य पर छात्रों को पैसे का प्रलोभन देकर किसी राजनीतिक दल को वोट देने की सिफारिश करने का आरोप भी सस्पेंशन आर्डर में लगाया गया है.

दरअसल प्रिंसिपल को सस्पेंड किए जाने की वजह सिंधिया का छात्रों के सामने व्यापमं घोटाले का जिक्र करना रहा है. सिंधिया ने अपने संबोधन में व्यापमं घोटाला कैसे हुआ यह समझाने के लिए छात्रों से कहा कि प्रदेश में गरीब का लायक बेटा अफसर नहीं बन पाता है. लेकिन अमीर का नालायक बेटा जरूर पैसे के दम पर अफसर बन जाता है. इसी का नाम व्यापमं है.

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उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेज और सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए व्यवसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित परीक्षा में बड़े स्तर पर घोटाला उजागर हुआ था. राज्य की शिवराज सिंह चौहान की सरकार पिछले चार साल से इस घोटाले के कारण विवादों में घिरी हुई है. मामले के कई आरोपियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है.

सिंधिया से छात्राओं ने मांगी थी फर्नीचर के लिए आर्थिक सहायता

मुंगावली के जिस सरकारी कॉलेज के कार्यक्रम को लेकर सियासत तेज हो गई है, वह गणेश शंकर विद्यार्थी के नाम पर है. प्रिसिंपल अहिरवार कहते हैं कि सिंधिया को क्षेत्रीय सांसद होने के कारण कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था. सांसद अथवा उसका प्रतिनिधि कॉलेज की जन भागीदारी समिति का पदेन अध्यक्ष भी होता है. यह समिति सरकारी कॉलेज के लिए होती है. इस समिति में दानदाता को भी सदस्य नॉमिनेट किया जाता है. समिति का गठन सरकार करती है. समिति कॉलेज में दानदाताओं की मदद से जरूरी संसाधन जुटाती है.

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मुंगावली के कॉलेज में छात्राएं आज भी टाट-पट्टी पर बैठतीं हैं. क्लास रूम में फर्नीचर नहीं है. सिंधिया के कार्यक्रम में छात्रा अाफरीन ने दो लाख रुपए की मदद की मांग फर्नीचर के लिए रखी थी. सिंधिया ने कुल तीन लाख रुपए की राशि सांसद निधि से देने का वादा किया. एक-एक लाख रुपए की राशि फर्नीचर और लाइब्रेरी के लिए, 75 हजार रुपए खेल सामग्री के लिए और पच्चीस हजार रूपए की राशि पीने के पानी के इंतजाम के लिए है.

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प्रिसिंपल के निलंबन के बाद सिंधिया ने अपने ट्वीट में कहा कि शिक्षकों की कमी, प्रयोगशाला पेयजल, यहां तक कि छात्रों के बैठने की व्यवस्था नहीं है. लेकिन, सरकार समाधान करने के बजाए गंदी राजनीति कर रही है. सांसद निधि से राशि मंजूर करने को ही उच्च शिक्षा विभाग ने यह छात्रों को दिया गया आर्थिक प्रलोभन मानते हुए प्रिसिंपल को सस्पेंड किया है. भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं कि प्रिसिंपल को कंडक्ट रूल के तहत सस्पेंड किया गया है. वे चाहे तो कोर्ट जा सकते हैं.

मुंगावली में होना है विधानसभा का उपचुनाव

मुंगावली राज्य के अशोकनगर जिले का एक विधानसभा क्षेत्र है. इस क्षेत्र में आने वाले कुछ दिनों में विधानसभा का उपचुनाव होना है. क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा का पिछले महीने लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. मुंगावली के उपचुनाव के जरिए राज्य की बीजेपी सरकार कांग्रेस सांसद सिंधिया की घेराबंदी करना चाहती है.

राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव भी हैं. यह अनुमान लगाया जा रहा कि कांग्रेस पार्टी इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की काट के तौर पर सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है. इसी संभावना के चलते सिंधिया पर लगातार राजनीतिक हमले भी किए जा रहे हैं. जमीनों के मामलों की फाइलें भी खोल दी गईं हैं. सिंधिया के कट्टर विरोधी माने जाने वाले राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया को क्षेत्र की कमान सौंपी गई है.

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हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अगले लोकसभा चुनाव में सिंधिया को शिकस्त देने का टारगेट भी स्थानीय नेतृत्व को दिया है. शाह के निर्देश के बाद आधा दर्जन से अधिक मंत्री और सांसद गुना संसदीय क्षेत्र में सक्रिय हैं. सिंधिया अकेले ही इस सभी का जवाब दे रहे हैं. सिंधिया जिस दिन कॉलेज के कार्यक्रम में मौजूद थे, उसी दिन मुंगावली में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नंदकुमार चौहान तीन वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मिलकर सिंधिया के खिलाफ आमसभा कर रहे थे.

दादी का जन्मदिन मना रही है सरकार

स्वर्गीय विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी हैं. 12 अक्टूबर को उनका जन्मदिन होता है. विजयाराजे सिंधिया को प्रदेश में राजमाता के नाम से भी जाना जाता है. जब तक वे जिंदा रहीं, बीजेपी में हर फैसला उनकी मर्जी से ही लिया जाता रहा है.

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब 1857 की क्रांति में सिंधिया राजवंश पर अंग्रेजों का साथ देने का आरोप लगाया तो खूब बवाल मचा. राजमाता की पुत्री राज्य की खेलमंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने आरोप से नाराज होकर कहा था कि-राजमाता ने बीजेपी को खड़ा करने के लिए मेरे और मेरी बहन वसुंधरा राजे के हिस्से के गहने बेचकर इलेक्शन में गाड़िया भेजी थीं. गहने नीलाम कर पार्टी की आर्थिक मदद की. यशोधरा राजे के तेवरों के बाद सिंधिया परिवार पर अंग्रेजों का साथ देने के आरोप लगने जरूर बंद हो गए हैं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया की काट के तौर पर बीजेपी अब विजयाराजे सिंधिया के जन्मदिन पर कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है. पहली बार सरकार ने विजयाराजे सिंधिया का जन्म दिन लाडली शिक्षा पर्व के रूप में मनाया.

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