देर रात तक चली मतगणना और चुनाव परिणाम आने के बाद आधी रात को मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल को चिट्ठी लेकर मिलने का वक्त मांगा. कमलनाथ की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया गया है. इस दावे में जल्दबाजी दिख रही थी, जल्दबाजी हो भी क्यों न, गोवा और मणिपुर में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सत्ता से दूर हो जाने का मलाल कांग्रेस को अभी तक है. कर्नाटक में भी राज्यपाल ने पहले बीजेपी विधायक दल के नेता बीएस येदुरप्पा को बुला लिया था, लिहाजा, कांग्रेस ने बिना देर किए आधी रात को ही राजभवन का दरवाजा खटखटा दिया.
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कुल 230 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. दूसरी तरफ, बीजेपी को 109 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है. इसके अलावा बीएसपी के 2, एसपी के 1 विधायक के अलावा 4 निर्दलीय भी चुनाव जीत कर आए हैं.
राज्य में बहुमत के लिए 116 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. यानी कांग्रेस को महज 2 विधायकों के समर्थन मिलने से सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा मिल जाएगा. कांग्रेस का दावा है कि उसे 2 बीएसपी, 1 एसपी के अलावा सभी चारों निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. ऐसा होता है तो कांग्रेस का आंकड़ा 121 तक पहुंच जाएगा, जो साधारण बहुमत के आंकड़े से ज्यादा होगा. कांग्रेस इसी दम पर सरकार बनाने का दावा पेश कर रही है. उसका तर्क है कि राज्य में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए उसे ही बुलाया जाना चाहिए.
एसपी और बीएसपी की राजनीति की बात करें तो यह दोनों ही दल कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़े हैं. लेकिन, मौजूदा वक्त में लोकसभा चुनाव से पहले इनकी तरफ से बीजेपी के साथ जाने की कोई भी कोशिश लोकसभा चुनाव में इनका खेल बिगाड़ सकती है. एसपी और बीएसपी दोनों उत्तर प्रदेश की मुख्य पार्टियां रही हैं और दोनों के नेता अल्पसंख्यक वोट बैंक को साथ लाने की कोशिश करते रहे हैं. उन्हें इसमें समर्थन भी मिला है.
BSP और SP का BJP को समर्थन देने का सवाल नहीं उठता
ऐसे में सेक्युलर राजनीति का दम भरने वाले अखिलेश यादव और मायावती की तरफ से बीजेपी को समर्थन देने का कोई सवाल नहीं उठता है. लेकिन, हकीकत यह भी है कि ये दोनों नेता यूपी में कांग्रेस को किनारे कर लोकसभा चुनाव में महागठबंधन करने की फिराक में हैं. ऐसे में उनको भी फैसले लेने में दुविधा हो रही थी. लेकिन, अंत में मजबूरी में ही सही सेक्युलर राजनीति के नाम पर इन दोनों दलों का समर्थन कांग्रेस को मिल रहा है. मायावती ने बकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर इस बात का ऐलान भी कर दिया.
Mayawati: Even though we don't agree with many of Congress's policies we have agreed to support them in Madhya Pradesh and if need be in Rajasthan #AssemblyElections2018 pic.twitter.com/1EDRUwyNuU
— ANI (@ANI) December 12, 2018
हालांकि अखिलेश भी इसमें पीछे नहीं रहे और उन्होंने भी कांग्रेस के साथ जाने का ऐलान किया.
समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन करती हैं।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 12, 2018
दूसरी तरफ, बीजेपी, जिसके 109 विधायक जीत कर आए हैं वो 116 के बहुमत के आंकड़े से 7 कदम दूर रह गई. नतीजे आने के बाद बीजेपी ने अपनी ओर से समर्थन जुटाने की कोशिश की मगर कोई रास्ता न निकलता देख अंत में हार मान ली. सरकार बनाने के खेल में कांग्रेस ने जरूरी समर्थन जुटाकर बीजेपी को मात दे दी.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को औपचारिक तौर पर कांग्रेस विधायक दल का नेता शाम तक चुन लिया जाएगा, जिसके बाद वो औपचारिक तौर पर राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे.
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