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मध्य प्रदेश चुनाव 2018: क्या उमा भारती की घरवापसी का रास्ता खुल रहा है?

उमा भारती के चेहरे को ही आगे रखकर पार्टी ने दिग्विजय सिंह के दस साल के शासन को पलट दिया था

Updated On: Nov 15, 2018 10:15 AM IST

Dinesh Gupta
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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मध्य प्रदेश चुनाव 2018: क्या उमा भारती की घरवापसी का रास्ता खुल रहा है?

साल 2003 में मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने वाली उमा भारती का वनवास इस विधानसभा चुनाव में खत्म होता नजर आ रहा है. पिछले पंद्रह साल में उमा भारती का राजनीतिक ग्राफ घटता-बढ़ता रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विरोध के कारण वे पिछले आठ साल से मध्यप्रदेश की सक्रिय राजनीति से दूर थीं. इस चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में उमा भारती जिस तरह से प्रचार कर रहीं हैं, उससे लगता है कि वे अगले लोकसभा चुनाव में अपने गृह राज्य मध्यप्रदेश की किसी सीट से चुनाव लड़ सकतीं हैं.

शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाने के खिलाफ थीं उमा भारती

साल 2003 में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर भारतीय जनता पार्टी पहली बार विधानसभा के चुनाव मैदान में उतरी थी. उमा भारती के चेहरे को ही आगे रखकर पार्टी ने दिग्विजय सिंह के दस साल के शासन को पलट दिया था.

उमा भारती राज्य की मुख्यमंत्री बनीं लेकिन, कर्नाटक की हुवली में दर्ज एक आपराधिक मामले के चलते उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उमा भारती के स्थान पर बाबूलाल गौर को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था. इस घटनाक्रम के बाद उमा भारती तिरंगा यात्रा पर निकल गई थीं. तिरंगा यात्रा समाप्त होने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री के पद पर अपनी वापसी के लिए पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष वैंकेया नायडू से भी उमा भारती की पटरी नहीं बैठती थी. प्रमोद महाजन जैसे ताकतवर नेता शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में थे.

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उमा भारती ने पार्टी संसदीय बोर्ड के निर्णय के बाद भी मध्यप्रदेश बीजेपी की विधायक दल की बैठक में शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध भी किया. उमा भारती ने पार्टी से बगावत कर भारतीय जनशक्ति पार्टी के नाम से एक नया राजनीतिक दल गठित कर लिया. साल 2008 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती ने अपने उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में उतारे थे. उमा भारती की पार्टी के मैदान में होने का लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिला था. राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. उमा भारती पिछले पंद्रह सालों में दो बार बीजेपी से अलग हुई हैं. जून 2011 में उनकी बीजेपी में वापसी इस शर्त पर हुई थी कि वे मध्यप्रदेश की राजनीति से अपने आपको दूर रखेंगी.

Uma Bharti

उमा भारती

व्यापमं कांड में नाम आने से भी बढ़ा था शिवराज-उमा का तनाव

उत्तरप्रदेश की राजनीति में उमा भारती ने चरखारी विधानसभा सीट से शुरुआत की थी. मध्यप्रदेश में साल 2013 में हुए विधानसभा के आम चुनाव में भी पार्टी ने उमा भारती को दूर ही रखा था. उमा भारती साल 2014 में झांसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर लोकसभा पहुंच गईं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में उन्हें जल संसाधन और गंगा सफाई मंत्रालय की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई. बाद में उन्हें पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय दे दिया गया. इसी बीच मध्यप्रदेश में उजागर हुए व्यापमं घोटाले में उनका नाम भी सामने आ गया. उमा भारती ने इसे राजनीतिक षडयंत्र बताते हुए गिरफ्तारी देने की तैयारी कर ली. किसी तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बात को संभाला. लेकिन, इस पूरे घटनाक्रम से शिवराज-उमा के बीच तनाव काफी गहरा हो गया.

पिछले कुछ महीने में राजनीतिक हालात काफी बदले हैं. इन बदले हालातों में शिवराज सिंह चौहान ने भी उमा भारती से अपने रिश्तों को सुधारना शुरू कर दिया. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को भोपाल में आवंटित किए गए बंगलों को खाली कराने का आदेश दिया था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आदेश के बाद भी उमा भारती का बंगला खाली नहीं कराया. विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के दौरान जब यह खबरें चलीं कि उमा भारती ने टिकट के लिए अपनी एक अलग सूची दी है, तो उन्होंने तत्काल प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया कि मैने कोई नाम नहीं दिए हैं.

BJP 'Karyakarta Mahakumbh' Bhopal: Prime Minister Narendra Modi flanked by BJP National President Amit Shah (R) and Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Singh Chouhan wave at their supporters during BJP 'Karyakarta Mahakumbh', in Bhopal, Tuesday, Sept 25, 2018. (PTI Photo) (PTI9_25_2018_000109B)

बागी सरताज सिंह से उमा भारती ने कहा कि कांग्रेस का टिकट लौटा दो

मध्यप्रदेश विधानसभा के इस चुनाव में उमा भारती की सक्रियता लोगों को हैरान करने वाली है. उमा भारती विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सीताशरण शर्मा का पर्चा भरवाने के लिए होंशगाबाद पहुंच गईं. वहां डॉ. शर्मा का मुकाबला बीजेपी के बागी सरताज सिंह से हो रहा है. सरताज सिंह को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. निर्वाचन अधिकारी के कक्ष में ही उमा भारती का सरताज सिंह से आमना-सामना हो गया. सरताज सिंह ने उमा भारती के पैर छुए.

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उमा भारती ने सरताज सिंह से कहा कि वे नामंकन पत्र दाखिल न करें और कांग्रेस को टिकट लौटा दें. बीजेपी उम्मीदवार सीताशरण शर्मा, उमा भारती के समर्थक माने जाते हैं. उमा भारती कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश विजयवर्गीय का चुनाव प्रचार करने के लिए भी इंदौर गईं. कैलाश विजयवर्गीय, उमा भारती मंत्रिमंडल में काफी ताकतवर मंत्री रहे थे. बाद में दोनों के बीच दूरी भी बनी. आकाश विजयवर्गीय इंदौर तीन से चुनाव लड़ रहे हैं.

पार्टी ने उमा भारती का नाम स्टार प्रचारकों की सूची में भी रखा है. उमा भारती, बुंदेलखंड क्षेत्र में भी प्रचार के लिए सक्रिय हैं. उमा भारती इस सक्रियता का अर्थ यह निकाला जा रहा है कि वे विधानसभा चुनाव के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सक्रिय भूमिका में नजर आ सकती हैं.

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