उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर बगैर अनुमति 15 जनवरी के बाद लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा. योगी अादित्यनाथ सरकार ने हाईकोर्ट के अादेश पर अमल करते हुए यह फैसला किया है. हाईकोर्ट ने बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के अादेश यूपी सरकार को दे रखे हैं. सरकार को पहली फरवरी को कोर्ट को बताना है कि उसने ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम की दिशा में क्या कदम उठाए.
कैसे बजेगा लाउडस्पीकर?
यूपी के होम मिनिस्ट्री की अोर से सभी जिलों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि वे पता करें कि धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर कितने लाउडस्पीकर लगे हैं अौर उन्हें बजाने की मंजूरी ली गई है या नहीं. मंजूरी नहीं ली गई हो तो 15 जनवरी तक निर्धारित प्रारूप पर मंजूरी लेनी होगी.
10 से 15 जनवरी के बीच थाने और तहसील स्तर से यह मंजूरी दी जाएगी. उसके बाद बगैर अनुमति लाउडस्पीकर बजने पर धार्मिक स्थलों के प्रबंधकों पर कार्रवाई की जाएगी. उन जगहों के लाउडस्पीकर भी उतरवा दिए जाएंगे. यूपी सरकार के अादेश में कहा गया है कि सभी तरह के जुलूसों और शादी समारोहों के मामले में भी यह अादेश प्रभावी होगी. हालांकि धार्मिक स्थलों के मामले में इसके सियासीकरण की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा.
लाउडस्पीकर पर बवाल का इतिहास
धार्मिक स्थलों के लाउडस्पीकर बजने पर उत्तर प्रदेश में तनातनी का पुराना इतिहास रहा है. दंगों और बलवों के कई वाकयों के पीछे मंदिरों या मस्जिदों में लाउडस्पीकर बजाने या उसका विरोध किए जाने का कारण अहम रहा है. यहां उल्लेखनीय है कि 2017 के सावन में कांवड़ यात्रा के मौके पर खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा में डीजे बजाने का समर्थन किया था.
तब उनका वह बयान खासा चर्चाअों में रहा था कि कांवड़ यात्रा में डीजे नहीं बजेगा तो क्या शव यात्रा में बजेगा? जबकि डीजे बजाने पर रोक की पहल इसलिए हुई थी क्योंकि यूपी में कांवड़ यात्रा के दौरान सांप्रदायिक टकराव के वाकए होते रहे हैं. अब चूंकि धार्मिक स्थलों के साथ जुलूसों में भी लाउडस्पीकर बजाने के वास्ते तय मानकों के मुताबिक मंजूरी लेनी होगी ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस साल कांवड़ यात्रा में डीजे बजाने का भविष्य क्या होगा.
इतनी जल्दबाजी की क्या है वजह?
हालांकि हाईकोर्ट का अादेश अौर उस पर अमल की यूपी सरकार की पहल के पीछे मकसद ध्वनि प्रदूषण रोकना है. हाईकोर्ट ने यह आदेश दिसंबर में दिया था. आदेश के पखवाड़े भर के भीतर ही यूपी ने फटाफट कार्यवाही शुरू कर दी. यूपी सरकार की इस जल्दीबाजी पर सवाल उठ रहे हैं.
गृह विभाग ने 4 जनवरी को एक आदेश दिया था. इस आदेश के मुताबिक, 10 से 15 जनवरी के बीच धार्मिक स्थलों को मंजूरी लेनी होगी. यानी अगले दस दिनों के भीतर सब होना है.
निष्पक्ष और न्यायसंगत रूप से काम न करने के यूपी के प्रशासनिक तंत्र के कई उदाहरण मौजूद हैं. ऐसे में धर्मिक स्थलों के लाउडस्पीकरों को वैध या अवैध बताने में ऐसा नहीं होगा इसकी कोई गारंटी नहीं. ऐसा हुअा तो जाहिर तौर पर सियासी शोर भी मचेगा.
हालांकि यूपी सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है कि इस पहल को धार्मिक नजरिए से नहीं देखना चाहिए क्योंकि यह प्रदूषण रोकने की दिशा में किया जा रहा है. इसकी जद में मंदिर और मस्जिद समेत सभी धर्मिक स्थल अाएंगे. इसके बावजूद मुस्लिम धर्मगुरुअों के बीच इसपर सुगबुगाहट तेज हो गई है.
क्यों सब हैं चुप?
चूंकि मामला हाईकोर्ट का है लिहाजा कोई खुल कर नहीं बोल रहा. यह अाशंका जोर पकड़ रही है कि कहीं स्थानीय प्रशासन इस अादेश की अाड़ में मस्जिदों से लाउडस्पीकर होने वाली अज़ान न रोक दे. अज़ान दिन में पांच बार होती है.
मुस्लिम धर्मगुरु अपनी अाशंका के पीछे यूपी सरकार के कुछ फैसलों को स्थानीय प्रशासन के निष्पक्ष रूप से अमल न किए जाने के वाकयों को याद दिलाते हैं. मसलन अवैध बूचड़खानों पर रोक का फैसला. जो कार्रवाई अवैध बूचड़खानों पर होनी थी उसकी चपेट में कई ऐसे भी अा गए जो इस दायरे में नहीं अाते थे.
इसी तरह हाल में लखनऊ के हज हाउस की चारदीवारी को भगवा रंग से पोतने और विवाद होने पर उसे दोबारा सफेद रंग से रंगने का वाकया भी ताजा है. एक अाम धारणा बन रही है कि सत्तारूढ़ दल भगवामय करने की जितनी उतावली में नहीं है उससे कहीं ज्यादा अफसरशाही उत्साहित हैं.
हज हाउस का वाकया उसी की उपज था. मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ के जिलों के दौरों कै मौके पर उनकी बैठक में भगवा रंग का खूब जोर रहता है. जबकि मुख्यमंत्री ने एक मौके पर कहा था कि यह सब तड़क-भड़क न किया जाए. इसके बावजूद यह प्रवृति थम नहीं रही.
लखनऊ में सचिवालय के एनेक्सी भवन पर भगवा रंग की पुताई के बाद कुछ स्कूलों की चारदीवारी को भगवा और कुछ जगहों पर थानों को भी भगवा रंगने के वाकए हुए हैं. जहां प्रशासन का यह रवैया हो वहां बगैर मंजूरी के लाउडस्पीकरों को बजने से रोकने के मामले में निष्पक्षता बरती जाएगी ऐसा एक बड़े तबके को नहीं लगता. लिहाजा योगी सरकार की जिम्मेदारी ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए लाउडस्पीकर पर नियंत्रण के साथ ही उसके किसी संभावित विवाद से उपजे सियासी शोर को थामना भी होगा.
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