प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने की कोशिश में लगे विपक्षी दलों की तरफ से बुलाई गई बैठक स्थगित कर दी गई है. सीएनएन न्यूज 18 के मुताबिक, विपक्षी कुनबे की एकता दिखाने वाली यह बैठक 22 नवंबर को बुलाई गई थी, जिसे टालना पड़ा है.
सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन की इस बैठक को लेकर एसपी, बीएसपी और टीएमसी बहुत उस्साहित नहीं दिख रहे थे. इन सभी पार्टी को ऐसा लग रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा करना फायदेमंद नहीं है. हो सकता है कि इनकी तरफ से अपनी शक्ति का आकलन भी किया जा रहा हो, या फिर अपने से ज्यादा कांग्रेस की शक्ति का आकलन करने की कोशिश हो रही हो, जिसके बाद कांग्रेस से डील करना ज्यादा आसान होगा.
अगर बात एसपी की करें तो पिछले साल यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ चुकी एसपी अबकी बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से हाथ मिलाने से पहले फूंक-फूंक कर कदम रखना चाह रही है. दूसरी तरफ, बीएसपी ने मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन करने के बजाए अलग से मैदान में ताल ठोंक दी है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती की तरफ से उस वक्त बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस के खिलाफ भी काफी तल्ख तेवर देखा गया था. ऐसे में मायावती नहीं चाहेंगी कि विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ आने का कोई संदेश जनता के बीच जाए. मायावती की कांग्रेस को लेकर तल्खी विपक्षी कुनबे के कांग्रेस के नेतृत्व में आगे बढ़ने की संभावना को फिलहाल खारिज करती दिख रही है.
उधर टीएमसी का रुख लगभग वैसा ही है. ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को साथ लाने की पहल काफी पहले शुरू की थी. लेकिन, उनकी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, ममता भी विधानसभा चुनाव के बाद ही विपक्षी खेमे की बड़ी बैठक बुलाए जाने के पक्ष में हैं. लिहाजा महागठबंधन की 22 नवंबर की प्रस्तावित बैठक को टाला जा रहा है.
Kolkata: Andhra Pradesh CM Chandrababu Naidu reaches Nabanna; he was received by West Bengal CM Mamata Banerjee. pic.twitter.com/SDAjR6CLvT
— ANI (@ANI) November 19, 2018
हालांकि महागठबंधन की बैठक टलने की खबर उसी दिन सामने आई जिस दिन आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात होनी थी. नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खड़ा करने में लगे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी से मिले.
चंद्रबाबू नायडू से बैठक के बाद ममता बनर्जी ने सकारात्मक लहजे में कहा कि 'महागठबंधन' का चेहरा हर व्यक्ति होगा. ममता बनर्जी के कहने का मतलब था कि इस गठबंधन में जो भी दल शामिल होंगे उन सभी के नेता महागठबंधन के चेहरे होंगे. मुलाकात के बाद ममता बनर्जी ने ट्वीट कर चंद्रबाबू नायडू को धन्यवाद भी दिया.
Thank you so much @ncbn for coming to Kolkata and visiting us at Nabanna
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) November 19, 2018
नायडू-ममता की मुलाकात को विपक्ष के नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है. क्योंकि ममता तो पहले से ही ऐसा कर रही हैं, अब नायडू ने एनडीए छोड़कर बाहर निकलने के बाद तो विपक्षी कुनबे की एकता बनाने का बीड़ा उठा लिया है.
कभी तीसरे मोर्चे में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके चंद्रबाबू नायडू ने सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों को साध कर अब तीसरा मोर्चा बनाने के बजाए कांग्रेस के साथ विपक्षी एकता की कसरत शुरू कर दी है. लेकिन, महागठबंधन की प्रस्तावित बैठक का टलना यह दिखा रहा है कि सबको साध कर कांग्रेस के साथ एक मंच पर लाना इतना आसान नहीं है.
ऐसा करना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि इन सभी क्षेत्रीय दलों के नेताओं की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी है कि उनकी तरफ से कांग्रेस और राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं किया जा रहा है. इसके अलावा इन सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों की आपस की खींचतान भी महागठबंधन की गांठ को और पेचीदा बना देते हैं. ऐसे में नायडू की हैदराबाद से दिल्ली और कोलकाता तक भी दौड़ के बावजूद सबकुछ विधानसभा चुनाव के परिणाम पर आकर टिक गया है. विधानसभा का चुनाव परिणाम ही लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी रणनीति तय करेगा.
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