लोकसभा चुनावों की घोषणा होते ही राजनीतिक पार्टियों की बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है. टीएमसी नेता और कोलकाता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के मेयर फरहद हकीम का मानना है कि चुनाव की तारीखों को रमजान के दौरान रखा गया है, ताकि अल्पसंख्यक वर्ग वोट न डाल सकें. उन्होंने कहा, चुनाव आयोग ने रमजान के दौरान चुनाव की तारीखे तय की हैं. इससे अल्पसंख्यक वर्ग को वोट डालने में परेशानी हो सकती है.
TMC इससे पहले भी उठा चुकी है रमजान का मुद्दा
यह पहली बार नहीं है जब टीएमसी रमजान का मुद्दा उठा रही है. पिछले पंचायत चुनावों के दौरान भी टीएमसी नेता और मंत्री पार्थ चटर्जी ने पश्चिम बंगाल के चुनाव आयुक्त से मिलकर कहा था कि इसे रमजान के पहले करवा लिया जाए. पश्चिम बंगाल में 31 फीसदी मुसलमान मतदाता है. चुनाव आयोग की घोषणा के अनुसार पश्चिम बंगाल में सात चरणों में चुनाव होंगे. इसी बीच 5 मई से 4 जून के बीच रमजान पड़ रहे हैं. कांग्रेस ने भी इसका समर्थन किया है. पश्चिम बंगाल के कांग्रेस प्रमुख सोमेंद्र नाथ मित्रा ने कहा कि पोल पैनल को इस पर विचार करना चाहिए.
BJP ने क्या कहा?
बीजेपी ने इस पर पलटवार किया. बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अखिल भारतीय सचिव अरशद आलम ने कहा कि संविधान में कहीं नहीं लिखा कि रमजान के वक्त एयर कंडीशन कमरों में आराम करना है. उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता की नेताओ को हर बार चुनाव के वक्त रमज़ान को बीच में लाना चाहिए.'
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